एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 11 जीव और समष्टियाँ

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 11 जीव और समष्टियाँ के अभ्यास के सवाल जवाब अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 12 जीव विज्ञान के पाठ 11 के हल सीबीएसई और राजकीय बोर्ड दोनों के लिए उपयोगी हैं।

कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 11 के लिए एनसीईआरटी समाधान

उन गुणों को बताइए जो व्यष्टियों में तो नहीं पर समष्टियों में होते हैं।

समष्टि में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो व्यष्टि में नहीं पाए जाते। जैसे व्यष्टि जन्म लेता है, इसकी मृत्यु होती है, लेकिन समष्टि की जन्मदर और मृत्युदर होती है। समष्टि में इन दरों को क्रमशः प्रति व्यष्टि जन्मदर और मृत्युदर कहते हैं। जन्म और मृत्युदर को समष्टि के सदस्यों के संबंधो में संख्या में वृद्धि का ह्रास के रूप में प्रकट किया जाता है। जैसे- किसी तालाब में गत वर्ष जल लिली के 20 पौधे थे और इस वर्ष जनन द्वारा 8 नए पौधे और बन जाते हैं तो वर्तमान में समष्टि 28 हो जाती है तो हम जनन दर की गणना 8/20 = 0.4 संतति प्रति जल लिली की दर से करते हैं। अगर प्रयोगशाला समष्टि में 50 फल मक्खियों में से 5 व्यष्टि किसी विशेष अंतराल (जैसे- एक सप्ताह) में नष्ट हो जाती हैं तो इस अंतराल में समष्टि में मृत्युदर 5/50 = 0.1 व्यष्टि प्रति फलमक्खी प्रति सप्ताह कहलाएगी।
समष्टि की दूसरी विशेषता लिंग अनुपात अर्थात् नर एवं मादा का अनुपात है। सामान्यतया समष्टि में यह अनुपात 50 : 50 होता है, लेकिन इसमें भिन्नता भी हो सकती है जैसे- समष्टि में 60 प्रतिशत मादा और 40 प्रतिशत नर हैं।
निर्धारित समय में समष्टि भिन्न आयु वाले व्यष्टियों से मिलकर बनती है। यदि समष्टि के सदस्यों की आयु वितरण को आलेखित किया जाए तो इससे बनने वाली संरचना आयु पिरैमिड कहलाती है। पिरेमिड का आकार समष्टि की स्थिति को प्रतिबिंबित करता है।
समष्टि का आकार आवास में उसकी स्थिति को स्पष्ट करता है। यह सजातीय, अंतर्जातीय प्रतिस्पर्धा, पीड़कनाशी, वातावरणीय कारकों आदि से प्रभावित होता है। इसे तकनीकी भाषा में समष्टि घनत्व से स्पष्ट करते हैं। समष्टि घनत्व का आकलन विभिन्न प्रकार से किया जाता है।
किसी जाति के लिए समष्टि घनत्व (आकार) निश्चित नहीं होता। यह समय-समय पर बदलता रहता है। इसका कारण भोजन की मात्रा, परिस्थितियों में अंतर, परभक्षण आदि होते हैं। समष्टि की वृद्धि चार कारकों पर निर्भर करती है जिनमें जन्मदर और आप्रवासन समष्टि में वृद्धि करते हैं, जबकि मृत्युदर तथा उत्प्रावसन इसे घटाते हैं। यदि आरंभिक समष्टि No है, Nt एक समय अन्तराल है तथा । बाद की समष्टि है तो
Nt = No + (B + I) – (D + E) = No + B + 1 – D – E
समीकरण से स्पष्ट है कि यदि जन्म लेने वाले “B” संख्या + अप्रवासी “1” की संख्या (B + I) मरने वालों की संख्या “D” + उत्प्रवासी “E” की संख्या से अधिक है तो समष्टि घनत्व बढ़ जाएगा अन्यथा घट जाएगा।

अगर चरघातांकी रूप से (एक्स्पोनेन्शियली) बढ़ रही समष्टि 3 वर्ष दोगुने साइज की हो जाती है, तो समष्टि की वृद्धि की इंट्रीनिजक दर (r) क्या है?
चरघातांकी वृद्धि: किसी समष्टि की अबाधित वृद्धि उपलब्ध संसाधनों (आहार, स्थान आदि) पर निर्भर करती है। असीमित संसाधनों की उपलब्धता होने पर समष्टि में संख्या वृद्धि पूर्ण क्षमता से होती है। जैसा कि डार्विन ने प्राकृतिक वरण सिद्धान्त को प्रतिपादित करते हुए प्रेक्षित किया था, इसे चरघातांकी अथवा ज्यामितीय वृद्धि कहते हैं। अगर N साइज की समष्टि में जन्मदर “b” और मृत्युदर “d” के रूप में निरूपित की जाए, तब इकाई समय अवधि “t” में समष्टि की वृद्धि या कमी होगी: dN/dt =(b – d) N
मान लीजिए (b – a) =r है, तब dN/dt =rN
“r” प्राकृतिक वृद्धि की इंट्रीनिजक दर कहलाती है। यह समष्टि वृद्धि पर जैविक या अजैविक कारकों के प्रभाव को निर्धारित करने के लिए महत्त्वपूर्ण प्राचल है। यदि समष्टि 3 वर्ष में दोगुने साइज की हो जाती है तो समष्टि की वृद्धि की इंट्रीनिजक दर 3r’ होगी।

पादपों में शाकाहारिता (हार्बिवोरी) के विरुद्ध रक्षा करने की महत्त्वपूर्ण विधियाँ बताइए।

पत्तियों पर कॅटीले किनारों का निर्माण।
पत्ती की सतह पर मोटी क्यूटिकल का निर्माण।
पत्तियों में तेज सिलिकेटेड किनारों का विकास।
काँटों के रूप में पत्तियों का रूपान्तरण, जैसे- डुरेन्टा।
पत्ती पर काँटों का निर्माण, जैसे- नागफनी।
बहुत से पादप ऐसे रसायन उत्पन्न और भंडारित करते हैं जो खाए जाने पर शाकाहारियों को बीमार कर देते हैं। उनकी पाचन का संदमन करते हैं। उनके जनन को भंग कर देते हैं। यहाँ तक कि मार देते हैं, जैसे: कैलोट्रोपिस अत्यधिक विषैला पदार्थ ग्लाइकोसाइड उत्पन्न करता है।

ऑर्किड पौधा, आम के पेड़ की शाखा पर उग रहा है। ऑर्किड और आम के पेड़ के बीच पारस्परिक क्रिया का वर्णन आप कैसे करेंगे?
ऑर्किड पौधा तथा आम के पेड़ की शाखा सहभोजिता प्रदर्शित करता है। यह ऐसी पारस्परिक क्रिया है जिसमें एक जाति को लाभ होता है और दूसरी जाति को न लाभ और न हानि होती है। आम की शाखा पर अधिपादप के रूप में उगने वाले ऑर्किड को लाभ होता है जबकि आम के पेड़ को उससे कोई लाभ नहीं होता।

कीट पीड़कों (पेस्ट/इंसेक्ट) के प्रबंध के लिए जैव- नियंत्रण विधि के पीछे क्या पारिस्थितिक सिद्धान्त है?
कृषि पीड़कनाशी के नियंत्रण में अपनाई गई जैव नियंत्रण विधियाँ परभक्षी की समष्टि नियमन की योग्यता पर आधारित हैं। परभक्षी, स्पर्धा शिकार जातियों के बीच स्पर्धा की तीव्रता कम करके किसी समुदाय में जातियों की विविधता बनाए रखने में भी सहायता करता है। परभक्षी पीड़कों का शिकार करके उनकी संख्या को उनके वास स्थान में नियंत्रित रखते हैं। गेम्बूसिया मछली मच्छरों के लार्वा को खाती है और इस प्रकार कीटों की संख्या को नियंत्रित रखती है।

समष्टि (पॉपुलेशन) और समुदाय (कम्युनिटी) की परिभाषा दीजिए।

1. समष्टि (पॉपुलेशन): किसी खास समय और क्षेत्र में एक ही प्रकार की स्पीशीज के व्यष्टियों या जीवों की कुल संख्या को समष्टि कहते हैं।
2. समुदाय (कम्युनिटी): किसी विशिष्ट आवास-स्थान की जीव-समष्टियों का स्थानीय संघ समुदाय कहलाता है।

निम्नलिखित की परिभाषा दीजिए और प्रत्येक का एक-एक उदाहरण भी दीजिए
(क) सहभोजिता (कमेंसेलिज्म)
(ख) परजीविता (पैरासिटिज्म)
(ग) छद्मावरण (कैमुफ्रलॉज)
(घ) सहोपकारिता (म्युचुऑलिज्म)
(च) अंतरजातीय स्पर्धा (इंटरस्पेसिफिक कंपीटीशन)
उत्तर:
(क) सहभोजिता (कमेंसेलिज्म): यह ऐसी पारस्परिक क्रिया है जिसमें एक जाति को लाभ होता है और दूसरी जाति को न लाभ और न हानि होती है। उदाहरण-आम की शाखा पर उगने वाला ऑर्किड तथा ह्वेल की पीठ पर रहने वाला बार्नेकल।
(ख) परजीविता (पैरासिटिज्म): दो जातियों के बीच पारस्परिक संबंध जिसमें एक जाति को लाभ होता है जबकि दूसरी जाति को हानि, परजीविता कहलाती है। उदाहरण- मानव यकृत पर्णाभ (लिवर फ्लूक) ।
(ग) छद्मावरण (कैमुफ्लॉज): जीवों के द्वारा अपने आपको परभक्षी द्वारा आसानी से पहचान लिए जाने से बचने के लिए गुप्त रूप से रंगा होना, छद्मावरण कहलाता है। उदाहरण- कीट एवं मेंढक की कुछ जातियाँ।
(घ) सहोपकारिता (म्युचुआलिज्म): दो जातियों के बीच पारस्परिक संबंध जिसमें दोनों जातियों को लाभ होता है, सहोपकारिता कहलाती है। उदाहरण- शैवाल एवं कवक से मिलकर बना हुआ लाइकेन।
(च) अंतरजातीय स्पर्धा (इंटरस्पेसिफिक कंपीटिशन): जब निकट रूप से संबंधित जातियाँ उपलब्ध संसाधनों (भोजन, आवास) के लिए स्पर्धा करती हैं जो सीमित हैं, अंतरजातीय स्पर्धा कहलाती है। उदाहरण- गैलापैगोस द्वीप में बकरियों के आगमन से एबिंग्डन का विलुप्त होना। बार्नेकल बेलनेस के द्वारा बार्नेकल चैथेमैलस को भगाना।

उपयुक्त आरेख (डायग्राम) की सहायता से लॉजिस्टिक (संभार तंत्र) समष्टि (पॉपुलेशन) वृद्धि का वर्णन कीजिए।
प्रकृति में किसी भी समष्टि के पास इतने असीमित साधन नहीं होते कि चरघातांकी वृद्धि होती रहे। इसी कारण सीमित संसाधनों के लिए व्यष्टियों में प्रतिस्पर्धा होती है। आखिर में योग्यतम् व्यष्टि जीवित बना रहेगा और जनन करेगा। प्रकृति में दिए गए आवास के पास अधिकतम संभव संख्या के पालन-पोषण के लिए पर्याप्त संसाधन होते हैं, इससे आगे और वृद्धि संभव नहीं है। उस आवास में उस जाति के लिए इस सीमा को प्रकृति की पोषण क्षमता (K) मान लेते हैं।
किसी आवास में सीमित संसाधनों के साथ वृद्धि कर रही समष्टि आरंभ में पश्चता प्रावस्था (लैग फेस) दर्शाती है। उसके बाद त्वरण और मंदन और अन्ततः अनन्तस्पर्शी प्रावस्थाएँ आती हैं। समष्टि घनत्व पोषण क्षमता प्रकार की समष्टि वृद्धि विर्हस्ट-पर्ल लॉजिस्टिक वृद्धि कहलाता है।

समष्टि (पॉपुलेशन) की कोई तीन महत्वपूर्ण विशेषताएँ बताइए और व्याख्या कीजिए।

समष्टि (पॉपुलेशन) की तीन महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
(1) समष्टि (पॉपुलेशन) आकार और समष्टि (पॉपुलेशन) घनत्व: किसी जाति के लिए समष्टि (पॉपुलेशन) का आकार स्थैतिक प्रायता नहीं है। यह समय-समय पर बदलता रहता है जो विभिन्न कारकों, जैसे- आहार उपलब्धता, परभक्षण दाब और मौसमी परिस्थितियों पर निर्भर करता है। समष्टि (पॉपुलेशन) घनत्व बढ़ रहा है। अथवा घट रहा है कारण कुछ भी हो, परंतु दी गई अवधि के दौरान दिए गए आवास में समष्टि (पॉपुलेशन) का घनत्व चार मूलभूत प्रक्रमों में घटता-बढ़ता है। इन चारों में से दो (जन्मदर और आप्रवासन) समष्टि (पॉपुलेशन) घनत्व को बढ़ाते हैं और दो (मृत्युदर और उत्प्रवासन) इसे घटाते हैं।
अगर समय t में समष्टि घनत्व N है तो समय t + 1 में इसका घनत्व Nt + 1 = Nt + (B + I) – (D + E) होगा।
उपरोक्त समीकरण में आप देख सकते हैं कि यदि जन्म लेने वालों की संख्या + आप्रवासियों की संख्या (B + I) मरने वालों की संख्या + उत्प्रवासियों की संख्या (D + E) से अधिक है तो समष्टि (पॉपुलेशन)घनत्व बढ़ जाएगा, अन्यथा यह घट जाएगा।
(2) जन्मदर: यह साधारणत: प्रतिवर्ष प्रति समष्टि (पॉपुलेशन) के 1000 व्यक्ति प्रति जन्म की संख्या द्वारा व्यक्त की जाती है। जन्मदर समष्टि (पॉपुलेशन) आकार तथा समष्टि (पॉपुलेशन) घनत्व को बढ़ाता है।
जन्मदर=(वर्ष में जीवित जन्म की कुल संख्या)/(वर्ष के मध्य में कुल समष्टि)×100
(3) मृत्युदर: यह जन्मदर के विपरीत है। यह साधारणतः प्रतिवर्ष प्रति समष्टि (पॉपुलेशन) के 1000 व्यक्ति प्रति मृत्यु की संख्या द्वारा व्यक्त की जाती है।
मृत्युदर=(एक वर्ष में मृत्यु की कुल संख्या)/(वर्ष के मध्य में कुल समष्टि)×100

निम्नलिखित कथनों में परजीविता (पैरासिटिज्म) को कौन सा सबसे अच्छी तरह स्पष्ट करता है:
(क) एक जीव को लाभ होता है।
(ख) दोनों जीवों को लाभ होता है।
(ग) एक जीव को लाभ होता है दूसरा प्रभावित नहीं होता है।
(घ) एक जीव को लाभ होता है दूसरा प्रभावित होता है।
उत्तर:
(घ) एक जीव को लाभ होता है दूसरा प्रभावित होता है।

कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 11 जीव और समष्टियाँ
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