एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 इतिहास अध्याय 5 यायावर साम्राज्य
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 इतिहास अध्याय 5 यायावर साम्राज्य पाठ्यपुस्तक विश्व इतिहास के कुछ विषय के प्रश्न उत्तर हिंदी मीडियम में सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित रूप में यहाँ से प्राप्त करें। कक्षा 11 इतिहास पाठ 5 के सवाल जवाब हिंदी में सरल भाषा में यहाँ दिए गए हैं जिसमें लगभग 100 ई. पूर्व से 1300 ईसवी तक की घटनाओं का विविरण है।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 इतिहास अध्याय 5
कक्षा 11 इतिहास अध्याय 5 यायावर साम्राज्य के प्रश्न उत्तर
मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था?
मंगोलों के लिए व्यापार निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण थे:
- पशुपालक तथा आखेट संग्राहक अर्थव्यवस्था में घनी आबादी का अस्तित्व संभव नहीं था। इसी कारण इन क्षेत्रें में कोई भी नगर नहीं बन सके। इसलिए उन्हें वस्तुएँ बेचने के लिए दूर जाना पड़ता था।
- स्टेपी प्रदेश की जलवायु कृषि के प्रतिकूल थी। मौसमों के अनुसार सामान्यतः अत्यधिक ठंडा तथा गरम होता था। भीषण लंबी शीत ऋतु के बाद थोड़े समय के लिए शुष्क ग्रीष्म ऋतु आती थी। इसलिए वहाँ व्यापार के अलावा कृषि कार्य संभव नहीं था।
- स्टेपी क्षेत्रों में संसाधनों की कमी के कारण मंगोलों तथा मध्य-एशियाई यायावरों को व्यापारी और वस्तु-विनिमय के लिए उनके पड़ोसी चीनवासियों के पास जाना पड़ता था। यह व्यवस्था दोनों पक्षों के लिए लाभकारी थी। यायावर कबीलेवासी खेती से प्राप्त उत्पादों और लोहे के उपकरणों को चीन से लाते थे और घोड़े, फ़र व स्टेपी में पकड़े गए शिकार का विनिमय करते थे।
चंगेज़ खान ने यह क्यों अनुभव किया कि मंगोल कबीलों को नवीन सामाजिक और सैनिक इकाइयों में विभक्त करने की आवश्यकता है?
चंगेज खान उन विभिन्न जनजातीय समूहों, जो उसके महासंघ के सदस्य थे, उनकी पहचान को योजनाबद्ध तरीके से मिटाने का कृतसंकल्प था। मंगोलों तथा अन्य अनेक घुमक्कड़ समाजों में प्रत्येक जवान सदस्य हथियारबंद होते थे। जब कभी आवश्यकता पड़ती थी तो यही लोग सशस्त्र सेना के रूप में संगठित हो जाते थे। विभिन्न मंगोल जनजातियों के एकीकरण तथा उसके बाद विभिन्न लोगों के विरूद्ध अभियानों से चंगेज़ खान की सेना में नए सदस्य शामिल हुए। इस प्रकार उसकी सेना जो कि अपेक्षाकृत छोटी तथा अविभेदित समूह थी, वह अविश्सनीय रूप से एक विशाल विषमजातीय संगठन में परिवर्तित हो गई। इसमें उसकी सत्ता को अपनी इच्छा से स्वीकार करने वाले तुर्कीमलू के उइगुर समुदाय के लोग सम्मिलित थे।
केराईटों जैसे द्वारा पराजित शत्रुओं को भी महासंघ में सम्मिलित कर लिया गया था। चंगेज खान की सेना स्टेपी-क्षेत्रें की पुरानी दशमलव प्रणाली के अनुसार गठित की गई थी। यह दस, सौ, हजार तथा दस हजार सैनिकों की इकाई में विभक्त थी। पुरानी प्रणाली के कुल, कबीले, सैनिक दशमलव इकाइयाँ एक साथ कायम थीं। चंगेज़ खान ने इस प्रथा को समाप्त किया। उसने प्राचीन जनजातीय समूहों को विभाजित कर उनके सदस्यों को नवीन सैनिक इकाइयों में विभाजित कर दिया। इसका कारण यह था कि उसे यह संदेह था कि कहीं ये सभी लोग संगठित होकर उसकी सत्ता न पलट दें और अपने-अपने साम्राज्य स्थापित न कर लें। इसलिए चंगेज खान को ऐसा अनुभव हुआ कि मंगोल कबीलों को नवीन सामाजिक और सैनिक इकाइयों में विभाजित किया जाए।
यास के बारे में परवर्ती मंगोलों का चिंतन किस तरह चंगेज़ खान की स्मृति के साथ जुड़े हुए उनके तनावपूर्ण संबधों को उजागर करता है?
कई इतिहासकारों ने यास को चंगेज खान की ‘विधि संहिता’ कहा है। चंगेज खान ने 1206 ई. कुरिलताई में घोषणा की थी। उसके उन जटिल विधि का विस्तृत वर्णन किया गया है जो महान खान की स्मृति को बनाए रखने के लिए उसने उत्तराधिकारियों ने प्रयुक्त की थी। अपने प्रारंभिक स्वरूप में यह शब्द यसाक लिखा जाता था जिसका अर्थ नियम, आदेश या आज्ञा था। प्राप्त अल्प विवरण से ज्ञात होता है कि यासक का संबंध प्रशासनिक विनियमों से है। 13वीं शताब्दी के बीच तक किसी प्रकार से मंगोलों से संबद्ध शब्द यासा का प्रयोग तथा अधिक सामान्य अर्थ में करना शुरू कर दिया। जोची ने सुनहरा गिरोह का गठन किया और रूस के स्टेपी-क्षेत्रों पर कब्जा किया। चघताई के वंशज मध्य एशिया व रूस के गोल्डन होर्ड के स्टेपी निवासियों में यायावर परंपराएँ सर्वाधिक समय तक चलीं। यास मगोंल जनजाति की प्रथागत रीति-रिवाजों का एक संकलन था, जिसे चंगेज़ खान के वंशजों ने चंगेज़ खान की विधि-संहिता कहा।
उसके वंशज अच्छी तरह जानते थे कि 1221 में चंगेज़ खान ने अपने यास या हुक्मनामा में बुखारा के लोगों की निंदा की थी और उन्हें पापी कहा था और यह चेतावनी दी थी कि अपने प्रायश्चित के लिए वे अपना छिपा धन उसे दे दें। इस यास ने उसके उत्तराधिकारियों के शासनकाल में काफ़ी कठिनाई उत्पन्न कर दी। चंगेज़ खान की स्मृति को ध्यान में रखते हुए इसने शंकालु तथा तनावपूर्ण संबंध उत्पन्न किए। उनके वंशज बाद में मंगोलों पर चंगेज़ खान के कठोर नियमों को अपनी प्रजा पर लागू नहीं कर सकते थे। इसको कारण यह था कि वे अब स्वयं काफ़ी सभ्य हो चुके थे और अनेक सभ्य जातियों के लोगों पर उनका राज्य स्थापित हो चुका था। निःसंदेह चंगेज़ खान के वंशजों को विरासत के रूप में जो कुछ भी मिला वह महत्वपूर्ण था, लेकिन उनके सामने एक समस्या थी। उन्हें अब एक स्थानबद्ध समाज में अपनी धाक जमानी थी। इस बदले हुए समय में वे वीरता की वह तस्वीर पेश नहीं कर सकते थे जैसी चंगेज़ खान ने की थी। इस प्रकार यास का संकलन चंगेज़ खाने की स्मृति के साथ गहराई से जुड़ा था।
यदि इतिहास नगरों में रहने वाले साहित्यकारों के लिखित विवरणों पर निर्भर करता है तो यायावर समाजों के बारे में हमेशा प्रतिकूल विचार ही रखे जाएँगे। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? क्या आप इसका कारण बताएँगे कि फ़ारसी इतिवृत्तकारों ने मंगोल अभियानों में मारे गए लोगों की इतनी बढ़ा-चढ़ा कर संख्या क्यों बताई है?
यह कथन सत्य है कि यदि इतिहास लिखित तथ्यों पर विश्वास रखता है जिसे नगरों में रहने वाले साहित्यकारों ने तो यायावार समाजों के बारे में प्रतिकूल विचार ही रखे जाएंगे। इन लेखकों ने यायावारों के जीवन संबंध में सूचनाएँ अत्यधिक दोषपूर्ण तथा पक्षपात रूप में पेश की है।
फ़ारसी इतिवृत्तकारों ने मंगोल अभियान में मारे गए लोगों की इतनी बढ़ा-चढा़ कर संख्या निम्नलिखित कारणों से बताई है:
- मारे गए लोगों की संख्या अनुमान पर आधारित है। इल्खन के फ़ारसी इतिवृत्तकार जुवेनी ने कहा कि मर्व में 1300000 लोगों का वध किया गया।
- उसने उस संख्या का अनुमान इस प्रकार लगाया कि 13 दिन तक 100000 ‘शव प्रतिदिन गिने जाते थे।
- इतिवृत्तकारों की सोच मंगोल के प्रति गलत थी। वे सदैव उनसे गलत कार्य विशेषरूप लूटमार तथा हत्या की ही आशा करते थे।
मंगोल और बेदोइन समाज की यायावरी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए, यह बताइए कि आपके विचार में किस तरह उनके ऐतिहासिक अनुभव एक-दूसरे से भिन्न थे? इन भिन्नताओं से जुड़े कारणों को समझाने के लिए आप क्या स्पष्टिकरण देंगे?
मंगोल लोग पूर्व में तातार, खितान तथा मंचू लोगों से और पश्चिम में तुर्की कबीलों से भाषागत समानता होने के फ़लस्वरूप परस्पर जुड़े हुए थे। कुछ मंगोल पशुपालक थे तथा कुछ शिकारी संग्राहक थे। पशुपालक घोड़ी, भेड़ों और कुछ हद तक अन्य पशुओं जैसे ऊँट तथा बकरी को भी पालते थे। उनका यायावरीकरण मध्य एशिया की चारण भूमि (स्टपीज) में हुआ जो आज के आधुनिक मंगोलिया राज्य का भू-भाग है। इस क्षेत्र का दृश्य आज जैसा ही अत्यंत मनोरम था और क्षितिज अत्यंत विस्तृत और लहरिया मैदानों से घिरा था। पशुचारण के लिए यहाँ पर अनेक हरे घास के मैदान तथा प्रचुर मात्र में छोटे-मोटे शिकार अनुकूल ऋतुओं में उपलब्ध हो जाते थे। शिकारी संग्राहक लोग, पशुपालक कबीलों के आवास क्षेत्र के उत्तरी भाग में साईबेरियाई वनों में रहते थे। वे पशुपालक लोगों की अपेक्षा अधिक निर्धन होते थे तथा ग्रीष्मकाल में पकड़े गए जानवरों की खाल के व्यापार से अपना जीविकोपार्जन करते थे।
मंगोलों ने अपने पश्चिम के तुर्कों के विपरीत कृषि कार्य को नहीं अपनाया क्योंकि शिकारी संग्राहकों की अर्थव्यवस्था घनी आबादी वाले क्षेत्रों का भरण-पोषण करने में समर्थ थी। नृजातीय व भाषायी संबंधों के कारण मंगोल समाज आपस में संगठित था, पर उपलब्ध आर्थिक संसाधनों में कमी के फ़लस्वरूप उनका समाज अनेक पितृपक्षीय वंशों में विभक्त हुआ था। समृद्ध परिवारों में सदस्यों की तादाद अधिक होती थी तथा पशु व चारण भूमि व्यापक स्तर पर उनके पास रहती थी। इसके फ़लस्वरूप उनका स्थानीय राजनीति पर नियंत्रण रहता था। यायावरी सामाजिक तथा राजनीतिक संगठन कृषि अर्थव्यवस्थाओं से ज्यादा भिन्न थे, परंतु ये दोनों समाज एक-दूसरे की व्यवस्था से अनजान नहीं थे।