एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 इतिहास अध्याय 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 इतिहास अध्याय 11 आधुनिकीकरण के रास्ते पुस्तक विश्व इतिहास के कुछ विषय के सवाल जवाब शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त करें। कक्षा 11 इतिहास पाठ 11 के सभी प्रश्नों के हल यहाँ दिए गए हैं जो लगभग 1700 से 2000 ईसवी तक की ऐतिहासिक घटनाओं को दर्शाता है।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 इतिहास अध्याय 11

सन यात-सेन के तीन सिद्धांत क्या थे?

सन यात-सेन आधुनिक चीन के संस्थापक माने जाते हैं। वे एक गरीब परिवार से थे। सन यात-सेन के नेतृत्व में 1911 ई. में मांचू साम्राज्य को समाप्त कर चीनी गणतंत्र की स्थापना की। सनयात-सेन के तीन सिद्धांत निम्नलिखित हैं:

    • गणतांत्रिक सरकार की स्थापना- अन्य साम्राज्यवादियों को हटाना और गणतंत्र की स्थापना करना।
    • समाजवाद, जो पूँजी का नियमन करे तथा भूस्वामित्व में समानता लाए।
    • राष्ट्रवाद का अर्थ था मांचू वंश जिसे विदेशी राजवंश के रूप में माना जाता था- को सत्ता से हटाना। साथ ही साथ अन्य साम्राज्यवादियों को हटाना।
    • सन यात-सेन के विचार कुऔमीनतांग के राजनीतिक दर्शन का आधार बने।

कोरिया ने 1997 में विदेशी मुद्रा संकट का सामना किस प्रकार किया?

कोरिया ने वर्ष 1997 में अपने बढ़ते व्यापार घाटे, वित्तीय संस्थाओं द्वारा खराब प्रबंधन, संगोष्ठीयों तथा अन्य के द्वारा लापरवाह व्यवसाय संचालन के बीच विदेशी मुद्रा संकट का सामना किया। संकट की वजह से दुनियाभर में आर्थिक मंदी की आशंका पैदा होने लगी। कारियाई वित्तीय संस्थाओं ने अपने अल्पकालिक दायित्वों का सामना करने के लिए कोरियाई सरकार ने अपने सीमित विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग किया।

क्या पड़ोसियों के साथ जापान के युद्ध और उसके पर्यावरण का विनाश तीव्र औद्योगीकरण की जापानी नीति के चलते हुआ?

औद्योगीकरण की जापानी नीति ने ही जापान को पड़ोसियों के साथ युद्धों में उलझा दिया तथा उसके पर्यावरण को समाप्त कर दिया। मेजी पुर्नस्थापना के लगभग 40 वर्षों के अंतराल में जापान ने सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की। वहाँ के तत्कालीन सम्राटों ने विदेशियों को जंगली समझकर उनकी विशेषताओं को नज़रअंदाज़ नहीं किया बल्कि उसने स्वयं सीखने की कोशिश की। ‘फ़ुकोकु क्योहे‘ अर्थात् ‘समृद्ध देश, मजबूत सेना’ के नोर के साथ सरकार ने अपनी नई नीति की घोषण की। इस नई नीति का उद्देश्य था अपनी अर्थव्यवस्था और सेना को मजबूत बनाना। मेजी सुधारों के तहत अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण पर अत्यधिक ज़ोर दिया गया। सरकार ने उद्योगों के विकास के लिए विदेशों से भी सहायता ली। सूती वस्त्र उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए कपास की नवीन किस्मों को विकसित करने की कोशिश की। संचार तथा यातायात के आधुनिक संसाधनों आर्थिक क्रांति में अहम भूमिका निभाई। 20वीं शताब्दी के प्रथम दशक तक जापान की गणना विश्व के सर्वोत्तम औद्योगिक देशों में होने लगी। जापान भी बाजार की खोज में 19वीं शताब्दी में औपनिवेशिक दौड़ में शामिल हो गया। जापान के साम्राज्यवाद का एक अन्य मुख्य कारण एशिया तथा प्रशांत क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता को सिद्ध करना था। परिणामस्वरूप उसे 1894-95 ई. में चीन के साथ तथा 1904-05 में रूस के साथ युद्ध करना पड़ा।

औद्योगिकीकरण के कारण 1920 तक जापान की जनसंख्या लगभग 5-5 करोड़ हो गई। प्रथम विश्व युद्ध के बाद जापान की अर्थव्यवस्था लगातार विकास की ओर अग्रसर होने लगी। जापान रेयन, सूती वस्त्र तथा कच्चे रेशम का सबसे बडा़ निर्यातक देश बन गया। लोहा-इस्पात उद्योग के क्षेत्र में भी जापान ने अभूतपूर्व विकास किया। औद्योगिक विकास ने लकड़ी की माँग में वृद्धि की इससे पेड़ों की कटाई हुई। फ़लस्वरूप पर्यावरण पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान में औद्योगिक विकास और तीव्र हो गया जिसकी वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। अतः यह कथन सत्य है कि पड़ोसियों के साथ जापान के युद्ध और उसके पर्यावरण का विनाश तीव्र औद्योगीकरण की जापानी नीति के चलते हुआ।

क्या आप मानते हैं कि माओ त्सेतुंग और चीन के साम्यवादी दल ने चीन को मुक्ति दिलाने और मौजूदा कामयाबी की बुनियाद डालने में सफ़लता प्राप्त की?

जी हाँ, यह कथन सत्य है कि माओ त्सेतुंग और चीन के साम्यवादी दल ने चीन को मुक्ति दिलाने और मौजूदा कामयाबी की बुनियाद डालने में सफ़लता प्राप्त की। 1921 ई. में साम्यवादी दल की स्थापना की गई जो अपने प्रारंभिक चरण में ही एक शक्तिशाली दल के रूप में उभरने लगा। एक समय चीन में दो सरकारों का आधिपत्य रहा। एक थी राष्ट्रवादी दल (कुओमीनतांग) तथा दूसरी सरकार का अधयक्ष सैनिक जनरल च्यांग कोईशेक था। इसका मुख्यालय बीजिंग में था। लोग दोहरी मार झेल रहे थे। कर तथा खाद्य वस्तुओं के कारण महँगाई थी, ये दोनों ही समस्याएँ जनता को परेशान कर रही थी। चीनी साम्यवादी पार्टी के प्रमुख नेता माओ त्सेतुंग की कोशिशों के फ़लस्वरूप वह पार्टी एक शक्तिशाली राजनैतिक शक्ति बन गई थी। उन्होंने किसान संगठन बनाया तथा भूमि अधिग्रहण करके फि़र से नए नियमों के अनुसार वितरण किया। उन्होंने स्वतंत्र सरकार तथा सैन्य संगठन पर जोर दिया।

माओ त्सेतुंग एक शोषणमक्त राष्ट्र का निर्माण करना चाहते थे। अक्टूबर 1943 में चीन में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना के नाम से गणतंत्रीय सरकार की स्थापना कर दी गई। माओ त्सेतुंग ऐसे समाजवादी व्यक्तियों का निर्माण करना चाहते थे, जिन्हें पितृभूमि, काम, जनता, विज्ञान तथा जनसंपत्ति पाँचों से बहुत प्यार हो। उन्होंने महिलाओं के लिए ‘आल चाइना डेमोक्रेटिस वीमेन्स फ़ेडरेजन’ और विद्यार्थियों के लिए ऑल चाइना स्टूडेंट्स फ़ेडरेजन का निर्माण किया। जनमुक्ति सेना के युवा अंग लाल रक्षकों द्वारा क्रांति को करने या जारी रखने के नाम पर भयंकर अत्याचार किए गए। माओ त्सेतुंग की विचारधारा को स्वीकार न करने वालों पर कई प्रकार की मुसीबतों तथा पीड़ाओं का सामना करना पड़ा। फ़लतः अर्थव्यवस्था तथा शिक्षा व्यवस्था में रूकावट आने लगी। 1970 ई.में चीन की परिस्थितियाँ भी तीव्र गति से बदलने लगीं। चीन की अर्थव्यवस्था भी विकास के पथ पर आगे बढ़ने लगी।
उपरोक्त विवरणों से यह कहना उचित होगा कि माओ त्सेतुंग और चीन के साम्यवादी दल ने चीन को मुक्ति दिलाने और बुनियाद डालने में सफ़लता प्राप्त की।

क्या साउथ कोरिया की आर्थिक वृद्धि ने इसके लोकतंत्रीकरण में योगदान दिया?

साउथ कोरिया की आर्थिक वृद्धि ने इसके लोकतंत्रीकरण में निम्नलिखित योगदान दिया:

    • दक्षिण कारिया ने आरंभ से लेकर अंत तक विश्व के सबसे तेज़ी से विकास करने वाले देशों में से एक था। यह विकसित देशों में सर्वाधिक तीव्र गति से विकास करने वाले देशों में था।
    • वर्ष 2020 में दक्षिण कोरिया विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा निर्यातक तथा दसवाँ सबसे बड़ा आयातक था।
    • दक्षिण कोरिया मूल एशियाई चीतों वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है तथा एकमात्र विकसित देश है जिसे नॅक्ट इलैवन समूह में शामिल किया गया।
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