एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 इतिहास अध्याय 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 इतिहास अध्याय 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य पुस्तक विश्व इतिहास के कुछ विषय के सभी सवाल जवाब सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से निशुल्क प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 11 इतिहास पाठ 3 के उत्तर हिंदी में विस्तृत विवरण के साथ दिए गए हैं जिसमें लगभग 100 ई. पूर्व से 1300 ईसवी तक के काल का का विविरण है।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 इतिहास अध्याय 3
कक्षा 11 इतिहास अध्याय 3 तीन महाद्वीपों में साम्राज्य एक प्रश्न उत्तर
यदि आप रोम साम्राज्य में रहे होते तो कहाँ रहना पसंद करते? नगरों में या ग्रामीण क्षेत्र में? कारण बताइए।
यदि हम रोम साम्राज्य में रहे होते तो नगरों में रहना पसंद करते। इसके निम्न कारण हैं:
- नगरीय जीवन की कई विशेषताएँ थीं जो लोगों को काफ़ी आकर्षक लगती है। नगर विभिन्न उद्योगों का केंद्र था और प्रायः व्यावसायिक क्रियाकलाप यहीं से संचालित किए जाते थे।
- नगरों में रहना इसलिए भी पसंद करते क्योंकि रोम में कार्थेज, सिंकदरिया, एंटिऑक आदि नगरों में लोगों को जीवन ग्रामीण लोगों के जीवन की अपेक्षा अधिक सुरक्षित था।
- नगरों में रहने से एक फ़ायदा यह भी था कि वहाँ खाद्यान्नों की कमी नहीं होती थी।
- वहाँ अकाल के दिनों में भी लोग अपना जीवन सुखमय तरीके से बिताते थे जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के किसान अपनी जिंदगी पेड़ों की पत्तियाँ, जड़ें, छालें तथा झाड़ियाँ आदि खाकर बचाते थे।
- नगरो में उच्च स्तर के मनोरजंन भी उपलब्ध थे। उदाहरण – एक कैलेंडर के अनुसार एक वर्ष में कम-से-कम 176 दिन लोगों के मनोरंजन के लिए कोई-न-कोई कार्यक्रम चलता रहता था।
इस अध्याय में उल्लिखित कुछ छोटे शहरों, बड़े नगरों, समुद्रों और प्रांतों की सूची बनाइये और उन्हें नक्शों पर खोजने की कोशिश कीजिए। क्या आप अपने द्वारा बनाई गई सूची में संकलित किन्हीं तीन विषयों के बारे में कुछ कह सकते हैं?
- कुछ छोटे शहर तथा बड़े नगर: सिकंदरिया, रोम, कुस्तनतुनिया, दमिश्क, कार्थेज, एंटिऑक, बगदाद आदि।
- समुद्र: भूमध्य सागर, लाल सागर, काला सागर, फ़ारस की खाड़ी, कैस्पियन सागर आदि।
- प्रांत: गॉल, नुमिदिया, हिसपेनिया, मेसीडोनिया, बेटिका, ट्यूनीजिया, केंपेनिया आदि।
- नदियाँ: नील नदी, राइन नदी, दजला नदी, फ़रात नदी, डेन्यूब नदी आदि।
सूची में संकलित तीन विषयों के बारे में जानकारी:
- भूमध्य सागर को रोम साम्राज्य का हृदय कहा जाता था।
- रोम साम्राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों पर कुशल प्रशासन की स्थापना में इन नगरों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। सरकार इन्हीं नगरों की सहायता से ग्रामीण क्षेत्रों पर कर लगाती थी।
- रोम साम्राज्य के उत्तर में राइन तथा डेन्यूब नदियाँ साम्राज्य की सीमा निर्धारक थीं।
कल्पना कीजिए कि आप रोम की एक गृहिणी हैं जो घर की जरूरत की वस्तुओं की खरीददारी की सूची बना रही हैं। अपनी सूची में आप कौन सी वस्तुएँ शामिल करेंगे?
यदि मैं रोम की गृहिणी होती तो घर की जरूरत की वस्तुओं में निम्न वस्तुओं को शामिल करती:
- गेहूँ
- सब्जियाँ
- दालें
- चीनी
- बच्चों के लिए सामग्री
- सफ़ाई हेतु सामान
- दूध
- तेल
- सौंदर्य प्रसाधन
- रोटी तथा मक्खन
- अंडे तथा मांस
- पहनने योग्य सामान आदि।
आपको क्या लगता है कि रोमन सरकार ने चाँदी में मुद्रा का डालना क्यों बंद किया होगा और वह सिक्कों के उत्पादन के लिए कौन-सी धातु का उपयोग करने लगे?
सिक्कों को ढालन के लिए चाँदी स्पेन से आती थी। परंतु रोमन सरकार ने चाँदी में मुद्रा को ढालना बंद कर दिया क्योंकि परवर्ती साम्राज्य में स्पेन को खानों से चाँदी मिलनी बंद हो गई थी तथा सरकार के पास चाँदी की मुद्रा के प्रचलन के लिए पर्याप्त चाँदी नहीं रह गई थी। सम्राट कॉन्स्टेनटाइन ने सोने पर आधारित नई मौद्रिक प्रणाली स्थापित की। यहाँ तक कि सम्राट कॉन्स्टैनटाइन ने सॉलिडस नाम का शुद्ध सोने का सिक्का चलाया। परवर्ती सम्पूर्ण पुराकाल में सोने की मुद्राओं का अधिक प्रचलन रहा। वस्तुतः रोम में सोने के भंडार थे।
अगर सम्राट त्राज़ान भारत पर विजय प्राप्त करने में वास्तव में सफ़ल रहे होते और रोमवासियों का इस देश पर अनेक सदियों तक कब्ज़ा रहा होता, तो क्या आप सोचते हैं कि भारत वर्तमान समय के देश से किस प्रकार भिन्न होता?
अगर सम्राट त्रज़ान भारत पर विजय प्राप्त करने में वास्तव में सफ़ल रहे होते और रोमवासियों का इस देश पर अनेक सदियों तक कब्ज़ा रहा होता, तो भारत वर्तमान समय के देश से निम्नलिखित प्रकार से भिन्न होता:
- सर्वप्रथम भारत में राजतंत्र स्थापित होता।
- देश में दास प्रथा प्रचलित होती।
- सांस्कृतिक क्षेत्र में कला, भवन निर्माण कला, मूर्तिकला तथा स्थापत्यकला का नमूना रोमन कला के आधार पर होता।
- ईसाई धर्म राजधर्म के रूप में घोषित होता।
- बहुत-से रोमन प्रांतों की तरह यहाँ भी छोटे-छोटे राज्य स्थापित हो जाते।
- भारत का आर्थिक शोषण होता।