एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 संस्कृत पाठ 9 भूकम्पविभीषिका

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 संस्कृत अध्याय 9 – नवम: पाठ: भूकम्पविभीषिका शेमुषी भाग 2 के उत्तर और पाठ का हिंदी अनुवाद शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से निशुल्क प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 10 संस्कृत के ये समाधान सीबीएसई बोर्ड के साथ साथ अन्य राजकीय बोर्ड के विद्यार्थियों के लिए भी उपयोगी हैं। यहाँ दिए गए पाठ के हिंदी अनुवाद की मदद से विद्यार्थी परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं।

कक्षा 10 संस्कृत अध्याय 9 के लिए एनसीईआरटी समाधान

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संस्कृत वाक्यहिन्दी अनुवाद
एकोत्तरद्विसहस्रतमेीष्टाब्दे (2001 ईस्वीये वर्षे) गणतन्त्र-दिवस-पर्वणि यदा समग्रमपि भारतराष्ट्रं नृत्य-गीतवादित्राणाम्‌ उल्लासे मग्नमासीत्‌ तदाकस्मादेव गुर्जर-राज्यं पर्याकुलं, विपर्यस्तम्‌, क्रन्दनविकलं विपन्नञ्च जातम्‌।सन् दो हजार एक के साल (26 जनवरी 2001 ई०) गणतन्त्र-दिवस-पर्व पर जब सारा भारत देश नाचने-गाने और बजाने की खुशी में मग्न था तब अचानक ही गुजरात राज्य चारों ओर से व्याकुल, अस्त-व्यस्त, रोने-चिल्लाने से दुःख और मुसीबत में फँस गया।
भूकम्पस्य दारुणविभीषिका समस्तमपि गुर्जरक्षेत्रं विशेषेण च कच्छजनपदं ध्वंसावशेषेषु परिवर्तितवती। भूकम्प की भयानक मुसीबत ने सम्पूर्ण गुजरात क्षेत्र को विशेषकर कच्छ जिले को विनाश के बाद बची हुई खंडहर के रूप में बदल दिया था।
भूकम्पस्य केन्द्रभूतं भुजनगरं तु मृत्तिकाक्रीडनकमिव खण्डखण्डम्‌ जातम्‌। भूकम्प का केन्द्र रहा भुज शहर तो मिट्टी के खिलौने की तरह टुकड़े-टुकड़े हो (टूट-फूट) गया।
बहुभूमानि भवनानि क्षणेनैव धराशायीनि जातानि। बहुमंजिली इमारतें तो क्षण भर में ही धराशायी (गिर) हो गई।
संस्कृत वाक्यहिन्दी अनुवाद
उत्खाता विद्युद्दीपस्तम्भा:। बिजली के खंभे उखड़ गए।
विशीर्णा: गृहसोपानमार्गा:।घर की सीढ़ीनुमा रास्ते बिखर गए थे।
फालद्वये विभक्ता भूमि:। धरती दो भागों में बँट गई थी।
भूमिगर्भादुपरि निस्सरन्तीभि: दुर्वार-जलधाराभि: महाप्लावनदृश्यम्‌ उपस्थितम्‌। धरती के अन्दर से ऊपर की ओर निकलती हुई जलधाराओं ने तो महाप्रलय का दृश्य उपस्थित कर दिया था।
संस्कृत वाक्यहिन्दी अनुवाद
सहस्रमिता: प्राणिनस्तु क्षणेनैव मृता:। हजारों की संख्या में प्राणी क्षणभर में ही मर गए थे।
ध्वस्तभवनेषु सम्पीडिता: सहस्रशोऽन्ये सहायतार्थं करुणकरुणं क्रन्दन्ति स्म। टूटे हुए भवनों में दुःखी हजारों दूसरे लोग सहायता के लिए करुण विलाप कर रहे थे।
हा दैव! क्षुत्क्षामकण्ठा: मृतप्राया: केचन शिशवस्तु ईश्वरकृपया एव द्वित्राणि दिनानि जीवनं धारितवन्त:।भूख से दुर्बल (सूखे) कण्ठ वाले लगभग मरे हुए (मरे हुए से) कुछ बच्चों ने तो ईश्वर की कृपा से दो-तीन दिन ही जीवन धारण किए।
इयमासीत्‌ भैरवविभीषिका कच्छ-भूकम्पस्य। यह कच्छ के भूकम्प की भयानक विभीषिका थी।
संस्कृत वाक्यहिन्दी अनुवाद
पञ्चोत्तर-द्विसहस्रतमे ]ीष्टाब्दे (2005 ईस्वीये वर्षे) अपि कश्मीर-प्रान्ते पाकिस्तान-देशे च धराया: महत्कम्पनं जातम्‌।दो हजार पाँच ईस्वीय वर्ष (2005 ई.) में भी कश्मीर राज्य और पाकिस्तान देश में धरती का महा कम्पन्न हुआ था।
यस्मात्कारणात्‌ लक्षपरिमिता: जना: अकालकालं कवलिता:। जिसके कारण से लाखों लोग असमय ही मौत की भेंट चढ़ गए थे।
पृथ्वी कस्मात्प्रकम्पते इति विषये वैज्ञानिका: कथयन्ति यत्‌ पृथिव्या अन्तर्गर्भे विद्यमाना: बृहत्य: पाषाण- शिला: यदा संघर्षणवशात्‌ त्रुट्‌यन्ति तदा जायते भीषणं संस्खलनम्‌, संस्खलनजन्यं कम्पनञ्च। धरती कैसे काँपती है वैज्ञानिक इस विषय में कहते हैं कि पृथ्वी के अन्दर विद्यमान (स्थित) बड़ी-बड़ी पत्थर की शिलाएँ जब घर्षण (कम्पन) के कारण टूटती हैं तब भयंकर स्खलन (क्षरण / पतन) और स्खलन से उत्पन्न (होने वाला) कंपन पैदा होता है।
तदैव भयावहकम्पनं धराया: उपरितलमप्यागत्य महाकम्पनं जनयति येन महाविनाशदृश्यं समुत्पद्यते।तभी भयंकर कंपन धरती के ऊपरी तल पर आकर महान कँपकँपी पैदा करता है जिससे महाविनाश का दृश्य पैदा होता है।
संस्कृत वाक्यहिन्दी अनुवाद
ज्वालामुखपर्वतानां विस्फोटैरपि भूकम्पो जायत इति कथयन्ति भूकम्पविशेषज्ञा:।ज्वालामुखी पर्वतों के विस्फोटों से भी भूकम्प उत्पन्न होता है ऐसा भूकम्प के विशेषज्ञ कहते हैं।
पृथिव्या: गर्भे विद्यमानोऽग्निर्यदा खनिजमृत्तिकाशिलादिसञ्चयं क्वथयति तदा तत्सर्वमेव लावारसताम्‌ उपेत्य दुर्वारगत्या धरां पर्वतं वा विदार्य बहिर्निष्क्रामति। पृथ्वी के अन्दर (गर्भ में) स्थित आग जब खनिजों, मिट्टी और शिला (पत्थर) आदि को तपाती (उबालती) है तब वह सब अंगारों का रूप धारण करके तेज़ गति से धरती अथवा पहाड़ को फोड़कर (फाड़कर) बाहर निकलता है।
धूमभस्मावृतं जायते तदा गगनम्‌। तब आकाश धुएँ और राख से ढक जाता है।
सेल्सियश-ताप-मात्राया अष्टशताङ्कतामुपगतोऽयं लावारसो यदा नदीवेगेन प्रवहति तदा पार्श्वस्थग्रामा नगराणि वा तदुदरे क्षणेनैव समाविशन्ति।सेल्सियस की गर्मी मात्रा के आठ सौ (800) अंकों (आठ सौ डिग्री सेल्सियस) को प्राप्त यह लावा (अंगारे) जब नदी की गति से (नीचे) बहता है तब पास में स्थित गाँव अथवा शहर क्षण भर में ही उसके पेट में समा जाते हैं
संस्कृत वाक्यहिन्दी अनुवाद
निहन्यन्ते च विवशा: प्राणिन:। और विवश (बेचारे) प्राणी मारे जाते हैं।
ज्वालामुदिर्ग न्त एते पर्वता अपि भीषणं भूकम्पं जनयन्ति।ज्वालाओं को उगलते हुए ये पहाड़ भी भयानक भूकम्प को पैदा करते हैं।
यद्यपि दैव: प्रकोपो भूकम्पो नाम, तस्योपशमनस्य न कोऽपि स्थिरोपायो दृश्यते।जबकि भूकम्प दैवीय (प्राकृतिक प्रकोप (मुसीबत) है, अत: उसके निराकरण (शान्ति) का कोई स्थिर (कारगर) उपाय नहीं दिखाई देता है।
प्रकृतिसमक्षमद्यापि विज्ञानगर्वितो मानव: वामनकल्प एव, तथापि भूकम्परहस्यज्ञा: कथयन्ति यत्‌ बहुभूमिकभवननिर्माणं न करणीयम्‌। प्रकृति के सामने आज भी विज्ञान के ज्ञान से घमण्डी मनुष्य बौने की तरह ही है तो भी भूकम्प के रहस्यों को जानने वाले विद्वान कहते हैं कि बहुमंजिले भवन को नहीं बनाना चाहिए।
संस्कृत वाक्यहिन्दी अनुवाद
तटबन्धं निर्माय बृहन्मात्रं नदीजलमपि नैकस्मिन्‌ स्थले पुञ्जीकरणीयम्‌ अन्यथा असन्तुलनवशाद्‌ भूकम्पस्सम्भवति। बाँध बनाकर बड़ी मात्रा में नदी के जल को भी एक स्थान पर नहीं रोकना चाहिए। नहीं तो असन्तुलन के कारण भूकम्प सम्भव है।
वस्तुत: शान्तानि एव पञ्चतत्त्वानि क्षितिजलपावकसमीरगगनानि भूतलस्य योगक्षेमाभ्यां कल्पन्ते। वास्तव में शान्त पाँचों ही तत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश धरती के योग-क्षेम (अप्राप्त की प्राप्ति और प्राप्ति की रक्षा) के लिए समर्थ कहलाते हैं।
अशान्तानि खलु तान्येव महाविनाशम्‌ उपस्थापयन्ति।निश्चय से जो अशान्त होते हैं वे ही महाविनाश को पैदा करते हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 संस्कृत पाठ 9 भूकम्पविभीषिका के प्रश्न उत्तर
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