कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श अध्याय 7 विरेन डंगवाल – तोप

कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श भाग 2 पद्य खंड अध्याय 7 विरेन डंगवाल – तोप के प्रश्न उत्तर तथा भाव स्पष्ट करना आदि सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए विद्यार्थी यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं। कविता के प्रत्येक भाग को विस्तार से समझाया गया है और उसपर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर भी दिए गए हैं। विद्यार्थी इन प्रश्नों के माध्यम से परीक्षा की तैयारी आसानी से आकर सकता है। वेबसाइट तथा 10वीं कक्षा समाधान ऐप दोनों में ही कक्षा 10 के सभी विषयों के हल दिए गए हैं।

कक्षा 10 हिंदी स्पर्श पद्य खंड अध्याय 7 विरेन डंगवाल – तोप

कक्षा 10 हिंदी स्पर्श अध्याय 7 के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर

कविता में तोप सैलानियों को अपने बारे में क्या बताती हैं?

कविता में तोप ने अपनी ताकत का बखान किया है। बाग में आए सैलानियों को अपनी चलने की ताकत और बड़े-बड़े वीरों के चिथड़े-चिथड़े करने की बात बताती है। तोप ने अपने पुराने समय को याद करते हुए अपने सामने बड़े-बड़े वीरों को धराशाही होते देखा है जो आज केवल दर्शनीय मात्र बन कर रह गई हैं।

वीरेन डंगवाल का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

वीरेन डंगवाल का जन्म 5 अगस्त 1947 को उतराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले के कीर्तिनगर में हुआ था।

कविता में कंपनी बाग में रखी तोप हताश क्यों है?

कविता में कंपनी बाग में रखी तोप अपने समय को देख हताश है। किसी समय बड़े-बड़े वीर भी उसके सामने आने से घबरा जाते थे और आज एक चिड़िया भी उसके ऊपर बैठ कर गपसप करती है। और तो और कभी बिना डरे तोप के अंदर भी बैठ जाती है और कहती है कि एक दिन तो होना ही था उसका मुँह बंद।

तोप कविता में गोरैये ने तोप को आधार बना के क्या बात बताई है?

तोप को आधार बना के गोरैये ने बयाया है कि चाहे कोई भी कितना बड़ा शक्तिशाली या ताकतवर हो एक न एक दिन उस का अंत भी हो जाता हैं। गोरैये के माध्यम से कवि भी अभिमानी, अधर्मी और शक्तिशाली व्यक्तियों के अंत के बारे में बताया है।

कविता के माध्यम से तोप की विडम्बना की व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए।

कविता में तोप अपने बारे में बता रही है कि ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बनाए गए कंपनी बाग के द्वार पर 1857 की धरोहर समझ कर मुझे सम्हाल के रखा गया है। जिसे साल में दो बार पोलिस व चमकाया जाता है – वे दिन 26 जनवरी और 15 अगस्त हैं। सुबह-शाम कंपनी बाग में घूमने आए सैलानियों को अपनी बहादुरी से चलने की बात बताती है कि उसने बड़े-बड़े सूरवीरों के चिथड़े-चिथड़े कर दिए थे।

अब तो वह केवल छोटे बच्चों के घुड़सवारी मात्र बनकर रह गई है। चिड़िया भी उसके ऊपर बैठ कर गपशप करती है। जिसके सामने बड़े बड़े सूरमा आने से घबरा जाते थे उसमें कभी-कभी तो गोरैये अंदर बैठ कर बोलती है कि एक न एक दिन तो मुँह बंद होना ही था।

कक्षा 10 हिंदी स्पर्श अध्याय 7 के प्रश्न उत्तर
कक्षा 10 हिंदी स्पर्श अध्याय 7 के समाधान