कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श अध्याय 3 बिहारी – दोहे

कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श भाग 2 पद्य खंड अध्याय 3 बिहारी – दोहे के प्रश्न उत्तर, प्रश्न अभ्यास में दिए गए सभी लिखित प्रश्नों के उत्तर तथा वाक्यांश की व्याख्या सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त करें। सभी प्रश्नों के उत्तर आसान शब्दों में विस्तार से दिए गए हैं, ताकि प्रत्येक विद्यार्थी इसे आसानी से समझ सके। कक्षा 10 के विद्यार्थी दसवीं कक्षा समाधान ऐप से सभी विषयों के समाधान मुफ़्त प्राप्त कर सकें।

कक्षा 10 हिंदी स्पर्श पद्य खंड अध्याय 3 बिहारी – दोहे

कक्षा 10 हिंदी स्पर्श अध्याय 3 के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर

बिहारी जी के पहले दोहे की व्यख्या कीजिए।

प्रथम दोहे में कवि बिहारी जी ने श्री कृष्ण के साँवले शरीर की सुंदरता का बखान किया है। कवि कहते है कि श्री कृष्ण के साँवले शरीर पर पीले वस्त्र बहुत अच्छे लगते हैं। ऐसा लग रहा है जैसे नीलमणि पर्वत पर प्रातः काल की धूप पड़ रही हो। यहाँ पर श्री कृष्ण के साँवले शरीर को नीलमणि पर्वत तथा पीले वस्त्र सूर्य की धूप को कहा गया हैं।

कवि बिहारी का जन्म कब और कहा हुआ, और उनके काव्य गुरु कौन थे?

कवि बिहारी जी का जन्म 1995 को ग्वालियर में हुआ था, और उनके काव्य गुरु आचार्य केशवदास जी थे।

कवि बिहारी ने श्री कृष्ण के साँवले शरीर की सुंदरता का बखान किस प्रकार किया हैं?

कवि बिहारी ने श्री कृष्ण के साँवले शरीर की तुलना नीलमणि पर्वत से की है और प्रातः काल की धूप को पीले वस्त्र कहा है अर्थात नीलमणि पर्वत पीले वस्त्र धारण कर श्री कृष्ण की तरह सुंदर दिखाई देता हैं।

कवि बिहारी जी के दूसरे दोहे की व्यख्या कीजिए।

कवि बिहारी जी ने अपने दूसरे दोहे में कहा है, भीषण गर्मी से बेहाल जानवर एक ही स्थान पर बैठे हैं। मोर और साँप एक साथ बैठे है, हिरण और शेर एक साथ बैठे हैं। कवि कहते है कि गर्मी के कारण जंगल तपोवन की तरह हो गया है जैसे तपोवन में सभी आपसी द्वेष को भुला कर एक साथ रहते है उसी तरह गर्मी से बेहाल ये जानवर भी आपसी द्वेष को भुला कर एक साथ बैठे हैं।

    • किस कारण वस जंगल को कवि ने तपोवन की उपांधी दी हैं?
      भीषण गर्मी के कारण जंगल के जीव एकत्र होकर बैठ जाते है और आपसी द्वेष को भी भूल जाते है, जैसे मानों वे जंगल में न रह कर तपोवन की भाँति एक दूसरे के साथ रहते हैं।
    • बिहारी जी के तीसरे दोहे की व्यखया कीजिए।
      बिहारी जी अपने तीसरे दोहे में गोपियों द्वारा श्री कृष्ण की बाँसुरी चुराए जाने का वर्णन किया हैं। बिहारी जी कहते है, कि गोपियाँ श्री कृष्ण से बात करने के लालच में उनकी बाँसुरी को चुरा लिया है। गोपियाँ झूठी कसम भी खाती है कि उन्होंनें बाँसुरी नहीं चुराई है लेकिन बाद में भोंहे घूमा कर हँसने लगती है और बाँसुरी देने से मना कर रही हैं।

बिहारी जी के चौथे दोहे की व्यख्या कीजिए।

बिहारी जी ने अपने चौथे दोहे में कहते है कि नायक और नायिका एक दूसरे से आँखों ही आँखों में बात-चित करते हैं। नायक की बातों का उतर कभी नायिका इंकार से देती है, कभी उसकी बातों पर मोहित हो जाती है, कभी बनावटी गुस्सा दिखती है और जब उनकी आँखेँ मिलती है तो वे दोनों खुश हो जाते है और कभी-कभी शर्मा भी जाते हैं। बिहारी जी कहते हैं, कि इसी तरह वे भीड़ में एक दूसरे से बात करते है और किसी को ज्ञात भी नहीं होता हैं।

गोपियाँ श्री कृष्ण से बात करने के लिए क्या करती है?
गोपियाँ श्री कृष्ण से बात करने के लिए कृष्ण की बाँसुरी को चुरा लेती है, ताकि कृष्ण उनसे बाँसुरी के बहाने बात कर सके।

कक्षा 10 हिंदी स्पर्श अध्याय 3 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

भीड़ में नायक-नायिका किस प्रकार एक दूसरे से बात करते हैं?

भीड़ में नायक और नायिका अपनी आँखों के भाव और अपनी भोंहे को ऊपर नीचे घूमा कर और अपनी मुस्कान देकर बिना किसी शब्द का इस्तेमाल कर के एक दूसरे से बात करते हैं।

बिहारी जी के पांचवे दोहे की व्यख्या क्या है?

बिहारी जी पांचवे दोहे में कहते है कि जून महीने की गर्मी इतनी अधिक हो रही है कि छाया भी छाया ढूंढ रही है, अर्थात वह भी गर्मी से बचने के लिए जगह तलास कर रही हैं। वह या तों उसे किसी घनें जंगल में मिलेगी या किसी घर के अंदर।

कवि बिहारी के अनुसार छाया किसे और क्यों ढूँढती हैं?

कवि बिहारी के अनुसार छाया जून के महीने की गर्मी के कारण खुद के लिए छाया को ढूँढती है, जो उसे घनें जंगल या किसी भवन में ही मिलेगी।

बिहारी जी के छठे दोहे की व्यख्या क्या है?

बिहारी जी के छठे दोहे में बिहारी जी कहते है कि नायिका अपनी विरह की पीड़ा को कागज़ पर नहीं लिख पा रही है और कह कर संदेश भेजने में उसे शर्म आ रही हैं। वह नायक से कहती है कि तुम अपने हृदय से पूछ लो वह मेरे हृदय कि बात जनता है, अर्थात तुम मेरी विरह दशा से भली भांति परिचित होंगें।

नायिका अपने विरह पीड़ा का संदेश नायक को क्या कहकर देती हैं?

नायिका अपने विरह पीड़ा का संदेश नायक से यह कहकर दिया कि तुम अपने हृदय से पूछ लो वह मेरे हृदय की बात जनता है, वह मेरी विरह दशा से भली भांति परिचित हैं।

बिहारी जी के सांतवे दोहे की व्यख्या क्या है?

बिहारी जी के सांतवे दोहे में कहते है कि हे! श्री कृष्ण अपने चंद्र वंश में जन्म लिया और स्वंय ही ब्रज में आ कर बस गए। बिहारी जी कहते है उनके पिता का नाम केशवराय है और श्री कृष्ण का एक नाम केशव है, इसलिए कवि कहता है कि आप मेरे पिता के समान है, अतः मेरे सारे कष्टों का नाश कर दीजिए।

कवि बिहारी जी ने अपने आठवें दोहे में क्या वर्णन किया है?

कवि बिहारी जी ने आठवें दोहे में कहा है कि केवल ईश्वर के नाम की माला जपने से, ईश्वर नाम लिखने से, तथा तिलक करने से ईश्वर भक्ति का कर्म पूरा नहीं होता। यदि मन में ईश्वर के लिए विश्वास न हो तो उनकी भक्ति में नाचना भी व्यर्थ हैं। इसके विपरीत जो सच्चे मन से ईश्वर भक्ति करते है, ईश्वर उन्हीं से प्रसन्न होते हैं।

कवि बिहारी ने ईश्वर की सच्ची भक्ति किसे कहा है?

कवि बिहारी के अनुसार ईश्वर का नाम जपने, माला फेरने, और टीका लगाने से नहीं होती, बल्कि मन में ईश्वर की सच्ची श्रद्धा रखने से होती है और ईश्वर भी उन्हीं से प्रसन होते हैं।

कक्षा 10 हिंदी स्पर्श अध्याय 3 के प्रश्न उत्तर