कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श अध्याय 4 मैथिलीशरण गुप्त – मनुष्यता

कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श भाग 2 पद्य खंड अध्याय 4 मैथिलीशरण गुप्त – मनुष्यता के सभी प्रश्न उत्तर विस्तार से सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए विद्यार्थी यहाँ से प्राप्त करें। प्रश्न अभ्यास के प्रश्न उत्तर के साथ साथ वाक्यांशों के भाव स्पष्ट करने वाले प्रश्नों के भी उत्तर यहाँ दिए गए हैं। सभी प्रश्न उत्तर तथा भावार्थ सरलतम शब्दों में दिए गए हैं ताकि पढने तथा समझने में कोई दिक्कत न हो। कक्षा 10 समाधान ऐप में सभी विषयों के हल हिंदी और अंग्रेजी मीडियम में दिए गए हैं।

कक्षा 10 हिंदी स्पर्श पद्य खंड अध्याय 4 मैथिलीशरण गुप्त – मनुष्यता

कक्षा 10 हिंदी स्पर्श अध्याय 4 के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर

कवि मैथिलीशरण गुप्त की कविता मनुष्यता का सार क्या है?

कवि मैथिलीशरण गुप्त की कविता में उन मनुष्यों का गुणगान किया है जो अपने लिए न जी कर दूसरों के लिए जिए है। कवि कहता है जो मनुष्य केवल अपने लिए जीता है वह पशुओं के समान है, और जो दूसरों के लिए अपने प्राणों की आहुति देते है उनका जीवन धन्य है, अमर है और समाज के लिए आदरणीय के रूप में सदा जीवित रहता है। कवि ने कविता में भी बहुत से अद्रनीय व्यक्तियों का गुणगान बड़े आदर से किया है, और उन महान व्यक्तियों को सरस्वती के माध्यम से अमर कर दिया है।

मैथिलीशरण गुप्त का जन्म कब और कहाँ हुआ तथा उनके पिता कौन थे

मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 1886 में झाँसी के चिरगांव में हुआ था, उनके पिता का नाम सेठ रामचरण दास था और वे भी कवि थे।

कवि ने कौन सी मृत्यु और जीवन को व्यर्थ कहा हैं?

कवि ने कहा है प्रत्येक मनुष्य को यह पता है कि उसकी मृत्यु निश्चित है परंतु फ़िर भी मनुष्य को अपनी मृत्यु से डरना नहीं चाहिए और अगर मरना भी पड़े तो दूसरों के लिए मरे ताकि मरने के बाद भी लोग तुम्हें याद रखे अन्यता मृत्यु और जीवन दोनों ही व्यर्थ है। वह जीवन पशुओं के जीवन के सामान है और केवल अपने लिए जीते हैं।

मनुष्य जीवन में कौन-कौन उपलब्धियों का होना अतिआवश्यक है?

मनुष्य जीवन में उदार, त्यांग, परोपकार, दया, कर्म योगी और देश भक्ति जैसी उपलब्धियों का होना अतिआवश्यक है। तभी मनुष्य जीवन सिद्धार्थ होता है। ईश्वर ने मनुष्य को स्वश्रेष्ट बुद्धि जीव बनाया है, ताकि वह केवल अपने लिए न जीकर सम्पूर्ण संसार का उद्धार कर सकें।

कवि ने मनुष्य को किस घमंड से बचने की सलाह दी है?

कवि ने मनुष्य को सलाह दी है कि कभी भी धन-संपति और अपने परिवार पर घमंड नहीं करना चाहिए, कि वह अनाथ नहीं है। कवि कहता है कि संसार में कोई भी मनुष्य अनाथ नहीं होता ईश्वर जो त्रिलोकनाथ के रूप में सभी के पिता के रूप में विधमान हैं। केवल ईश्वर पर भरोषा न करने वाले व्यक्ति ही भाग्य हीन होते है।

कवि के अनुसार मनुष्य कहलाने के लिए मनुष्य को क्या करना चाहिए?
जो व्यक्ति पूरे संसार को अखंड भाव, और भाई चारे कि भावना में बाँधता है और अपने पूरे जीवन में दूसरों की चिंता करता हैं मनुष्य कहलाने योग्य होता हैं। कवि के अनुसार वही मनुष्य है जो अन्य मनुष्य की भलाई, चिंता, और परोपकार की भावना को अपने अंदर सँजोए रखता हैं।

कक्षा 10 हिंदी स्पर्श अध्याय 4 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

कवि ने मनुष्य को मनुष्य का बंधु बनने को क्यों कहा हैं?

कवि के अनुसार जिसने स्वंय की रचना की है वह परम पिता परमेश्वर है और उन्हीं ने हम सबकी रचना की है इसी नाते हम सभी भाई-बंधु है और ये बड़े विवेक की बात है। यही बात हमारे वेद और ग्रन्थों में भी लिखी है। मनुष्य को एक दूसरे की मदद करनी चाहिए भाई के समान आचरण करना चाहिए ताकि संसार में आपसी प्रेम भावना प्रकाशित होती रहे।

कवि ने देवताओं के समक्ष बैठने और उनसे सम्मान प्राप्त करने के लिए मनुष्य को कौन से कर्म करने को कहा है?

कवि ने देवताओं के समक्ष बैठने और उनसे सम्मान प्राप्त करने के लिए मनुष्य को परोपकार करने, एक दूसरे की मदद करने और सभी को मिला के चलने के कर्म को करने को कहा है क्योकि देवता भी ऐसे ही मनुष्यों का सम्मान करते है और अपनी गोद में बिठाते हैं।

कवि ने मनुष्यता कविता में परोपकार करने वाले कौन से महापुरुषों का गुणगान किया है?

कवि ने मनुष्यता कविता में महात्मा गौतम बुद्ध, रंतीदेव, ऋषि दधीचि, उशीनर क्षितीश और कुंती पुत्र कर्ण जैसे महापुरुषों का गुणगान किया है, जिन्होंनें अपने प्राणों की आहुति व संपूर्ण जीवन समाज कल्याण के लिए लगा दिया था। जो हमारी किताबों में आज भी अमर हैं

कवि ने मनुष्य द्वारा अपने चुने हुए मार्ग के बारे में क्या कहा हैं?

कवि ने मनुष्य द्वारा अपने चुने हुए मार्ग पर ही चलना चाहिए। चाहे उस मार्ग में कितनी ही बांधाए क्यों ने आए, हमें उन बाधाओं से लड़ते हुए आगे बढ़ता रहना चाहिए। मनुष्य को अपना मेल-जोल बनाए रखना चाहिए और कभी भी भेद-भाव नहीं करना चाहिए। कवि कहता है मनुष्य को अपने साथ-साथ दूसरों की चिंता व उनके उद्धार करने के लिए तत्पर रहना चाहिए वही मनुष्य कहलाने योग्य है।

कक्षा 10 हिंदी स्पर्श अध्याय 4 के प्रश्न उत्तर
कक्षा 10 हिंदी स्पर्श अध्याय 4 की व्याख्या