कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श अध्याय 6 महादेवी वर्मा – मधुर मधुर मेरे दीपक जल
कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श भाग 2 पद्य खंड अध्याय 6 महादेवी वर्मा – मधुर–मधुर मेरे दीपक जल के प्रश्न उत्तर, भावार्थ तथा भाव स्पष्ट करने वाले प्रश्नों के उत्तर विद्यार्थी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। प्रश्नों के उत्तर को सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित किया गया है। विद्यार्थी प्रश्नों के उत्तर को पीडीऍफ़ के रूप में डाउनलोड करके या कक्षा 10 समाधान ऐप डाउनलोड करके उसे ऑफलाइन भी पढ़ सकते हैं।
कक्षा 10 हिंदी स्पर्श पद्य अध्याय 6 महादेवी वर्मा – मधुर–मधुर मेरे दीपक जल
कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श पद्य खंड अध्याय 6 महादेवी वर्मा – मधुर–मधुर मेरे दीपक जल
कक्षा 10 हिंदी स्पर्श अध्याय 6 के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर
कवयित्री ने ईश्वर के रास्ते को आलोकित करने के लिए कौन से प्रयास कर रही है?
कवयित्री ने ईश्वर के रास्ते को आलोकित करने के लिए प्रतिदिन, हर समय, हर पल ईश्वर का गुणगान किया और उनके पथ पर चलने के लिए लोगों को प्रेरित करती रही और अपने मन में ज्ञान के दीपक जलाए रखने और ईश्वर में उसकी आस्था बनी रहे, के प्रयास किए हैं।
महादेवी वर्मा का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
महादेवी वर्मा का जन्म उतर प्रदेश के फ़र्रुखाबाद में 1907 में हुआ था।
कविता में कवयित्री ने अपने मन के दीपक से क्या बात कहीं है?
कवयित्री ने कविता में अपने मन के दीपक को धूप के प्रकाश के समान फैलने, अगरबती की सुगंध की तरह फैलने की बात कहीं है। कवयित्री ने अपने अंदर की अच्छाइयों को कविता में दीपक बताया है जिसका प्रकाश वह पूरे संसार में फैलना चाहती है अर्थात अपनी अच्छाइयों को विस्तुत रूप से फैलाना चाहती हैं। ईश्वर में अपनी आस्था का साम्राज्य बढ़ाना चाहती हैं।
कविता में विश्व-शलभ किसे कहा है और वह क्या चाहता है?
कविता में ‘विश्व-शलभ’ संसार के लोगों को कहा है जो ज्ञान के दीपक में पतंगों के समान जल जाना चाहते है अर्थात वे लोग पछता रहे है कि हमनें क्यों नहीं ज्ञान प्राप्त किया। वे ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं।
कविता में सागर का हृदय क्यों जलता है कवयित्री ने ऐसा क्यों कहा है?
सागर का हृदय जलता है, कवयित्री ने इसलिए कहा है क्योकि सागर यानि समुद्र में इतना अधिक पानी होने के बाद भी लोग उसका उपयोग नहीं करते उसे वह व्यर्थ समझता है। कवयित्री सागर के माध्यम से ज्ञानी लोगों को भी यह बात समझाना चाहती हैं।
कवयित्री ने स्नेहहीन दीपक किसे और क्यों कहा है?
कवयित्री ने आकाश में अनगिनत तारों को ‘स्नेहहीन दीपक’ कहा है क्योकि वे चाहा के भी अपना प्रकाश धरती तक नहीं पहुँचा पाते।