कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श गद्य अध्याय 2 सीताराम केसरिया – डायरी का एक पन्ना
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कक्षा 10 हिंदी स्पर्श अध्याय 2 सीताराम केसरिया – डायरी का एक पन्ना
कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श गद्य खंड अध्याय 2 सीताराम केसरिया – डायरी का एक पन्ना
कलकत्ता वासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का दिन क्यों महत्वपूर्ण था?
26 जनवरी 1931 का दिन वहाँ के लोग के लिए स्वतंत्रता दिवस की पुनरावृति थी। पूरे कलकता में राष्ट्रीय झंडा फहराया जा रहा था, मानो स्वतंत्रता मिल गई हो। लोग सभाओं के आयोजन और जुलूस निकालने की तैयारी कर रहे थे। औरतें बड़-चड़ कर इसमें हिस्सा ले रही थी, जो कलकता में पहले कभी-भी नहीं देखा गया था। इसी कारण यह दिन वहाँ के लोगों के लिए महत्वपूर्ण बन गया था।
सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था?
सुभाष बाबू के जुलूस का भार मुख्य कार्यकर्ता पूर्णोदास पर था।
विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई थी?
विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर उन्हें गिरफ्तार कर पकड़ लिया और शामिल लोगों को मार-पीट कर वहाँ से हटा दिया था।
पुलिस ने बड़े-बड़े पार्को तथा मैदानों को क्यों घेर लिया था?
पुलिस को पता चल गया था कि बड़े-बड़े पार्को और मैदानों पर लोग सभाओं का आयोजन कर सकते हैं। लोग यहाँ इकट्ठे हो कर स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा लेकर राष्ट्रीय झंडा फहराएँगे। इन सभी गतिविधियों को रोकने के लिए पुलिस ने पार्को तथा मैदानों को घेर लिया था।
लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर किस बात का संकेत देना चाहते थे?
लोग अपने-अपने मकानो व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर तमाम होने वाली गतिविधियों में शामिल होने का संकेत देना चाहते थे। जुलूस और सभी होने वाली सभाओं के साथ है, बताना चाहते थे।
26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियाँ की गई थी?
26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए कार्यकर्ता घर-घर जा के लोगों के अंदर देश भक्ति की क्रांति का पाठ पढ़ा रहे थे। बड़े-बड़े पार्को तथा मैदानों पर स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा लेकर राष्ट्रीय झण्डा फहराया जा रहा था। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि इसकी तैयारी पहले से की गई थी। कलकत्ते के प्रत्येक भाग में झंडे लगाए गए, रास्तों में उत्साह और नवीनता मालूम होती थी जो इससे पहले कभी नहीं हुई थी।
किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है?
पहली बार अंग्रेज़ो के कानून को भंग करने के लिए इतनी बड़ी सभा का आयोजन किया जा रहा था, जो अंग्रेज़ो के खिलाफ़ एक खुली लड़ाई थी, जिसमें अंग्रेज़ो को खुला चैलेंज देकर पहली बार ऐसी सभा की जा रही थी जोकि अपने आप में निराली थी।
पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था?
पुलिस कमिश्नर के नोटिस में अमुक-अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं होगी यदि सभा में भाग लेगे तो दोषी समझे जाएँगे और कौंसिल के नोटिस में लिखा था कि झंडा फहरा के स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी, सर्वसाधारण की उपस्थिति होनी चाहिए।
धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया था?
पुलिस ने जुलूस पर लाठी चलानी शुरू कर दी थी। जुलूस में भीड़ होने के कारण काफ़ी आदमी घायल हो गए और धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस टूट गया। 50-60 महिलाएँ वहीं मोड़ पर बैठ गई। पुलिस ने उन्हें पकड़ के लालबाजार भेज दिया।
डॉ दासगुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख-रेख तो कर रहे थे, उनके फ़ोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगों के फ़ोटो खीचने की क्या वजह हो सकती थी?
उन लोगों के फ़ोटो खींचने की वजह यह थी कि जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ था। कलकता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा। इन फ़ोटो को देख कर यह कलंक अवश्य मिट जाएगा और लोग सोचने लगेगे कि यहाँ भी बहुत सा काम हो सकता है।