एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 10 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 10 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग के प्रश्न उत्तर तथा पाठ के अंत में दिए गए अभ्यास के लिए अतिरिक्त प्रश्नों के हल सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। 12वीं कक्षा जीव विज्ञान के समाधान सीबीएसई के साथ-साथ राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए भी बहुत उपयोगी है।
कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 10 के लिए एनसीईआरटी समाधान
कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 10 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग के प्रश्न उत्तर
विषाणु मुक्त पादप तैयार करने के लिए पादप का कौन सा भाग सबसे अधिक उपयुक्त है तथा क्यों?
पौधे के शीर्षस्थ व कक्षस्थ विभज्योतक विषाणुरहित होते हैं। अत: पौधों का शीर्षस्थ भाग विषाणुमुक्त पादप तैयार करने के लिए उपयुक्त है।
सूक्ष्मप्रवर्धन द्वारा पादपों के उत्पादन के मुख्य लाभ क्या हैं?
सूक्ष्मप्रवर्धन विधि द्वारा अत्यन्त ही अल्प अवधि में कई पौधे तैयार किए जा सकते हैं। इस विधि का अन्य महत्त्वपूर्ण उपयोग रोगग्रसित पादपों से स्वस्थ पादपों को प्राप्त करना है। इस प्रकार बने पौधे विषाणु रहित व स्वस्थ होते हैं।
पत्ती में कर्त्तोतक पादप के प्रवर्धन में जिस माध्यम का प्रयोग किया गया है, उसमें विभिन्न घटकों का पता लगाओ।
पत्ती में कर्तातक पादप के प्रवर्धन में जिस माध्यम का प्रयोग किया जाता है, उसके विभिन्न घटक निम्नलिखित हैं:
एक्सप्लाण्ट (शीर्षस्थ या कक्षस्थ कलिकाओं का भाग)
संवर्धन माध्यम (सूक्रोज, अकार्बनिक लवण, विटामिन, अमीनो अम्ल )
वृद्धि नियन्त्रक (ऑक्सिन, साइटोकाइनिन)
क्राई प्रोटींस क्या हैं? उस जीव का नाम बताओ जो इसे पैदा करता है। मनुष्य इस प्रोटीन को अपने फायदे के लिए कैसे उपयोग में लाता है।
क्राई प्रोटीन एक विषाक्त प्रोटीन है जो क्राई जीन द्वारा कोड की जाती है। क्राई प्रोटींस कई प्रकार के होते हैं, जैसे- जो प्रोटींस जीन क्राई 1 एसी व क्राई 2 एबी द्वारा कूटबद्ध होते हैं, वे कपास के मुकुल कृमि को नियंत्रित करते हैं, जबकि क्राई 1 एबी मक्का छेदक को नियंत्रित करता है।
क्राई प्रोटीन बैसिलस थूरीनजिएसीस (Bt) द्वारा बनता है। इसके निर्माण को नियंत्रित करने वाले जीन को क्राई जीन कहते हैं, जैसे: क्राई 1 एबी, क्राई 1 एसी, क्राई 11 एबी । यह जीवाणु प्रोटीन को एंडोटॉक्सिन के रूप में प्रोटॉक्सिन क्रिस्टलीय अवस्था में उत्पन्न करता है। दो क्राई जीन कॉटन (Bt कॉटन) में डाले जाते हैं, जबकि एक कॉर्न (Bt कॉर्न) में डाला जाता है। जिसके परिणामस्वरूप Bt कॉटन बॉलवार्म के लिए प्रतिरोधक बन जाता है, जबकि Bt कॉर्न प्रतिरोधकता-कॉर्नबोर के लिये विकसित करता है।
जीन चिकित्सा क्या है? एडीनोसीन डिएमीनेज (ए डी ए) की कमी का उदाहरण देते हुए इसका सचित्र वर्णन करें।
जीन चिकित्सा में मानव में उपस्थित दोषपूर्ण जीन को स्वस्थ्य व क्रियाशील जीन से बदला जाता है। जीन चिकित्सा द्वारा किसी बच्चे या भ्रूण में चिह्नित किए गये जीन के दोषों को सुधार किया जा सकता है। इसमें रोग के उपचार के लिए जीन को व्यक्ति की कोशिकाओं या ऊतकों में प्रवेश कराया जाता है। इस विधि में आनुवंशिक दोष वाली कोशिकाओं के उपचार हेतु सामान्य जीन को व्यक्ति या भ्रूण में स्थानांतरित करते हैं जो निष्क्रिय जीन की क्षतिपूर्ति कर उसके कार्यों को संपन्न करते हैं।
जीन चिकित्सा का पहला प्रयोग सन् 1990 में एक चार वर्षीय लड़की में एडीनोसीन डिएमिनेज (ए डी ए) की कमी को दूर करने के लिए किया गया था। यह एंजाइम प्रतिरक्षातंत्र में कार्य के लिए अति आवश्यक होता है। कुछ बच्चों में ए डी ए की कमी को उपचार अस्थिमज्जा में प्रत्यारोपण से होता है। जीन चिकित्सा में सर्वप्रथम रोगी के रुधिर से लसीकाणु को निकालकर शरीर से बाहर संवर्धन किया जाता है।
सक्रिय ए डी ए का सी डीएनए संवाहक द्वारा लसीकाणु में प्रविष्ट कराकर लसीकाणु को रोगी के शरीर में वापस पहुँचा दिया जाता है। ये कोशिकाएँ मृतकाय होती हैं। इसलिए आनुवंशिक निर्मित लसीकाणु को समय-समय पर रोगी के शरीर से अलग करने की आवश्यकता होती है। यदि मज्जा कोशिकाओं से विलगित अच्छे जींस को प्रारंभिक भ्रूणीय अवस्था की कोशिकाओं से उत्पादित ए डी ए में प्रवेश करा दिया जाए तो यह एक स्थाई उपचार हो सकता है।
पारजीवी जीवाणु क्या है? किसी एक उदाहरण द्वारा सचित्र वर्णन करो।
जब किसी इच्छित लक्षण वाली जीन को जीवाणु के जीनोम में प्रविष्ट कराकर कोई उत्पादन प्राप्त किया जाता है तो विदेशी जीन युक्त जीवाणु को पारजीवी जीवाणु कहते हैं।
उदाहरण: मानव इंसुलिन आनुवंशिक प्रौद्योगिकी के द्वारा तैयार किया गया है। इंसुलिन दो छोटी पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाओं का बना होता है, श्रृंखला ‘ए’ व श्रृंखला ‘बी’ जो आपस में डाइसल्फाइड बंधो द्वारा जुड़ी होती हैं। मानव इंसुलिन में प्राक् हॉर्मोन संश्लेषित होता है जिसमें पेप्टाइड-सी’ होता है। यह पेप्टाइड ‘सी’ परिपक्व इंसुलिन में नहीं पाया जाता, यह परिपक्वता के समय इंसुलिन से पृथक् हो जाता है।
सन् 1983 में मानव इंसुलिन की श्रृंखला ‘ए’ और ‘बी’ के अनुरूप दो डी०एन०ए० अनुक्रमों को तैयार किया गया जिसे ई० कोलाई के प्लाज्मिड में प्रवेश कराकर इंसुलिन श्रृंखलाओं का उत्पादन किया गया। इन अलग-अलग निर्मित श्रृंखलाओं ‘ए’ और ‘बी’ को निकालकर डाइसल्फाइड बंध द्वारा आपस में संयोजित कर मानव इंसुलिन को तैयार किया गया। इंसुलिन डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए एक उपयोगी औषधि है। इंसुलिन के जीन की क्लोनिंग करने का श्रेय भारतीय मूल के डॉ० शरण नारंग को जाता है। इन्होंने अपना प्रयोग कनाडा के ओटावा में किया था।
तेल के रसायनशास्त्र तथा आरडीएनए जिसके के बारे में आपको जितना भी ज्ञान प्राप्त है, उसके आधार पर तेल से हाइड्रोकार्बन हटाने की कोई एक विधि सुझाओ।
ग्लिसरॉल के एक अणु के साथ तीन वसीय अम्लों के संघनन द्वारा तेल बनता है। वसीय अम्ल एक एंजाइम संकर द्वारा बनते हैं जिसे वसीय अम्ल सिंथेटेज कहते हैं। एक या ज्यादा जीन बनाने वाले वसीय अम्ल की निष्क्रियता वसीय अम्लों का संश्लेषण रोक सकती है। प्लेवट् टोमेटो में एंजाइम पॉलीग्लेक्टोमूटेनेज की निष्क्रियता से जुड़ा होता है। यह बिना तेल वाले बीज उत्पन्न करेगा।
मुखीय सक्रिय औषध प्रोटीन को किस प्रकार बनाएँगे? इस कार्य में आने वाली मुख्य समस्याओं का वर्णन करें।
मुखीय औषध प्रोटीन के निर्माण में ड्यूटेरियम एक्सचेंज मास स्पेक्ट्रोमीटरी तकनीक का प्रयोग किया जाता है। यह तकनीक प्रोटीन संरचना और उसके प्रकार्यों का अध्ययन करने के लिए एक शक्तिशाली माध्यम है। इस कार्य में आने वाली मुख्य समस्याएँ श्रम और समय की हैं। यह एक जटिल प्रक्रिया होती है। अत: मुखीय प्रोटींस का निर्माण कम ही किया जा रहा है।
जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग करके जीवाणुओं की सहायता से पुनर्योगज चिकित्सीय औषधि मानव इंसुलिन (ह्यूमुलिन) प्राप्त की गई है। यह एक औषध प्रोटीन है। निकट भविष्य में मानव इंसुलिन मधुमेह रोग से पीड़ित लोगों को मुख से दिया जा सकेगा।
गोल्डन राइस (गोल्डन धान) क्या है?
गोल्डन राइस (ओराइजा सैटाइवा) जैव प्रौद्योगिकी द्वारा उत्पन्न चावल की एक किस्म है। इस किस्म के चावल में बीटा कैरोटीन (प्रो-विटामिन A) पाया जाता है जो कि जैव संश्लेषित है। सन् 2005 में गोल्डन राइस-2 की एक और किस्म तैयार की गई जिसमें 23 गुना अधिक बीटा केरोटीन होता है।