एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भूगोल अध्याय 2 प्रवास प्रकार कारण और परिणाम
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भूगोल अध्याय 2 प्रवास प्रकार, कारण और परिणाम भाग 2 भारत लोग और अर्थव्यस्था के सवाल जवाब सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से मुफ्त प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 12 भूगोल पाठ 2 के सभी प्रश्नों को आसान भाषा में समझाया गया है।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भूगोल अध्याय 2
कक्षा 12 भूगोल अध्याय 2 प्रवास प्रकार, कारण और परिणाम के प्रश्न उत्तर
जीवन पर्यंत प्रवासी और पिछले निवास के अनुसार प्रवासी में अंतर स्पष्ट कीजिए।
जीवन पर्यंत प्रवासी: जब किसी व्यक्ति के जन्म का स्थान गणना के स्थान से अलग होता है, ऐसे व्यक्ति को जीवनपर्यंत प्रवासी के नाम से जाना जाता है।
पिछले निवास के अनुसार प्रवासी: यदि किसी व्यक्ति के निवास का पिछला स्थान गणना के स्थान से अलग होता है। तब उसे पिछले निवास के आधार पर प्रवासी माना जाता है।
कक्षा 12 भूगोल अध्याय 2 के लिए बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित में से कौन-सा भारत में पुरूष प्रवास का मुख्य कारण है:
निम्नलिखित में से किस राज्य में सर्वाधिक संख्या में आप्रवासी आते हैं?
निम्नलिखित में से कौन-सा भारत में महिला प्रवास का प्रमुख कारण है?
पुरूष/स्त्री चयनात्मक प्रवास के मुख्य कारण की पहचान कीजिए।
पुरूष प्रवास के कारण निम्नलिखित हैं:
1. भारत में पुरूषों का प्रवास 38 प्रतिशत तक है।
2. काम तथा रोज़गार पुरूषों के प्रवास का मुख्य कारण है कि वे नगरों की ओर रोज़गार की तलाश में प्रवास करते हैं।
स्त्री प्रवास के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
- स्त्रियों के प्रवास शिक्षा तथा रोज़गार के कारण भी होता है।
- स्त्रियों के प्रवास का मुख्य कारण उनका विवाह है। भारत में हर लकड़ी को विवाह के बाद अपने ससुराल जाने के लिए प्रवास करना पड़ता है।
उद्गम और गंतव्य स्थानी की आयु एवं लिंग संरचना पर ग्रामीण-नगरीय प्रवास का क्या प्रभाव पड़ता है?
रोजगार के लिए प्रमुख रूप से युवा जनसंख्या के प्रवास के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में इस आयु वर्ग में लोगों की कमी दर्ज की जाती है जबकि नगरीय क्षेत्रों में इस वर्ग में जनसंख्या बढ़ जाती है। इस प्रवास की वजह से उद्गम और गंतव्य दोनों ही स्थानों पर आयु संरचना व लिंगानुपात में असंतुलन के कारण कई प्रकार की सामाजिक, भावनात्मक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याएँ भी बढ़ीं हैं। ग्रामीण-नगरीय प्रवास के तहत ग्रामीण क्षेत्रों से मुख्यतः पुरूष श्रमिक रोजगार और आजीविका के लिए नगरों की ओर प्रवास करते हैं जिससे उद्गम तथा गंतव्य स्थान पर आयु तथा लिंग संरचना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
भारत में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के कारणों की विवेचना कीजिए।
अंतर्राष्ट्रीय प्रवास से आशय है एक ऐसा व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह जो अपने राज्य अथवा देश की सीमा को छोड़कर अन्यत्र चले जाते हैं। वर्तमान समय में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास दो देशों के नियमों के अंतर्गत ही संभव है।
भारत में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के कारणों की विवेचना
अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के प्रमुख कारणों में आजीविका के लिए शिक्षा, विवाह, आर्थिक रूप से सुदृढता आदि है।
भारत की ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक सम्पन्नता से प्रभावित होकर प्रवासी आकर्षित होते हैं।
लोगों में अधिक अवसरों तथा बेहतर सुरक्षा वाले स्थानों की ओर जाने की प्रवृत्ति अंतर्राष्ट्रीय प्रवास को प्रोत्साहित करती है।
वर्ष 2002 में भारत ने अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों से हुंडियों के रूप में 110 खरब अमेरिकी डॉलर प्राप्त किए। पंजाब, तमिलनाडु, केरल राज्य अपने अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों से महत्वपूर्ण राशि प्राप्त करते हैं। इनका उपयोग भोजन, विवाह, शिक्षा, कृषि निवेश, ऋणों की अदायगी, गृह-निर्माण आदि के लिए किया जाता हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर लोग खेती पर निर्भर करते हैं और सीमित कृषि भूमि पर जनसंख्या का अधिक दबाव होने से सभी को रोज़गार नहीं मिल पाता है। रोज़गार के अन्य अवसर भी उपलब्ध नहीं होते है नगर की सुविधाओं तथा आर्थिक अवसरों से आकर्षित होकर लोक नगरों में आकर बस जाते हैं।
प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, भूकम्प, चक्रवात, सूखा आदि के घटित होने के कारण प्रभावित क्षेत्रों से लोग अन्य सुरक्षित स्थानों की ओर प्रवास कर जाते हैं।
भारत में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के 2 स्तर हैं:
- उत्प्रवास: भारत से बाह्य देशों की ओर प्रवास।
- आप्रवास: बाह्य देशों से भारत की ओर प्रवास।
प्रवास के सामाजिक जनांकिकीय परिणाम क्या-क्या हैं?
प्रवास के सामाजिक परिणाम
प्रवास सामाजिक परिवर्तन के अभिकर्ताओं के रूप मे कार्य करते हैं। नवीन प्रौद्योगिकियों, परिवार नियोजन, बालिका शिक्षा इत्यादि से संबंधित नए विचारों का नगरीय क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ़ विसरण इन्हीं के माध्यम से होता है। प्रवास से विविध सांस्कृतियों के लोगों का अंतमिश्रण होता है। इसका संकीर्ण विचारों को भेदते तथा मिस्त्र संस्कृति के उद्विकास में सकारात्मक योगदान होता है तथा यह अधिकतर लोगों के मानसिक क्षितिज को विस्तृत करता है परंतु इसके गुमनामी जैसे गंभीर नकारात्मक परिणाम भी होते हैं जो व्यक्तियों में सामाजिक निर्वात तथा खिन्नता की भावना भर देते हैं। खिन्नता की सतत भावना लोगों को अपराध व औषध दुरूपयोग जैसी असामाजिक क्रियाओं में फ़ँसने के लिए अभिप्रेरित कर सकती है।
प्रवास के जनांकिकीय परिणाम
प्रवास से देश के अंदर जनसंख्या का पुनर्वितरण होता है। ग्रामीण नगरीय प्रवास नगरों में जनसंख्या की बढ़ोत्तरी में योगदान देने वाले महत्वपूर्ण कारकों में से एक हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले युवा आयु, कुशल तथा दक्ष लोगों का बाह्य प्रवास ग्रामीण जनांकिकीय संघटन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यद्यपि राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड तथा पूर्वी महाराष्ट्र से होने वाले बाह्य प्रवास ने इन राज्यों की आयु तथा लिंग संरचना में गंभीर असंतुलन पैदा कर दिया है। ऐसे ही असंतुलन उन राज्यों में भी उत्पन्न हो गए हैं जिनमें वे प्रवासी जाते हैं।