एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 8
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 8 नानी के घर तक (कक्षा 4 पर्यावरण पाठ 8) पर्यावरण अध्ययन (आस पास) हिंदी और अंग्रेजी में शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 4 ईवीएस के सभी समाधान विडियो और पीडीएफ के माध्यम से उपलब्ध कराए गए हैं। आप इसे तिवारी अकादमी वेबसाइट और ऐप से मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 4 ईवीएस अध्याय 8
ओमना की मौसी के घर का सफ़र
ट्रेन के लंबे सफ़र के बाद ओमना का परिवार रात को कोट्टायम स्टेशन पहुँचे। ओमना की मौसी का घर स्टेशन से बहुत दूर नहीं था। इसलिए ओमना के अप्पा ने दो ऑटो-रिक्शा किए और वलियम्मा (माँ की बड़ी बहन) के घर पहुँच ही गए थे। ओमना को थकावट के कारण नींद आ गई और वह बिना खाए-पिएँ ही सो गई।
ओमना की अम्मा ने उसे जगाया फिर वे सब तैयार हो कर अपना-अपना सामान लेकर बस अड्डे के लिए निकल पड़े अब ओमना के साथ वालियम्मा का पूरा परिवार भी था। अब सब दस लोग हो गए थे और उनके साथ बहुत सारा सामान भी था।
बस का सफ़र
ओमना के अप्पा ने कंडक्टर से सभी के लिए टिकट ख़रीदे और वे सब बस में चढ़ गए। उन्हें बैठने की सीट मिल गई लेकिन बाद में बस लोगों से ठसा-ठस भर गई। दो सीटों पर चार लोगों को बैठना पड़ा। कुछ लोगों को ओमना के परिवार ने अपनी सीट पर बिठा लिया था। काफ़ी लंबा सफ़र था। बस जब आखिरी स्टॉप पर रुकी तब तक ओमना के पैर अकड़ चुके थे। उससे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था।
नदी पर फैरी का सफ़र
ओमना बहुत खुश थी क्योंकि उसे लगा की वह अम्मूमा के गाँव पहुँच ही गए लेकिन सफ़र अभी भी बाकि था। बस ने उन्हें जहाँ उतारा था, वहाँ एक तरफ़ पानी ही पानी था। अम्मा ने दूर पानी के पार इशारा किया। जहाँ अम्मूमा(नानी) का घर था और कहा हमें वहाँ पहुँचना हैं। ओमना ने सोचा पर हम वहाँ पहुँचेगें कैसे।
अभी ओमना ने सोचा था ही कि तभी एक बड़ी- सी नाव किनारे पर आकर रुकी। अम्मा फिर बोली “लो फैरी आ गई।” फैरी से बहुत से लोग सामान के साथ उतरे उसमें स्कूल के बच्चें, औंरते, आदमी आदि थे। अम्मा ने बताया कि यहाँ दूसरी तरफ़ जाने के लिए केवल फैरी का ही इस्तेमाल होता है। जैसे ही फैरी खाली हुई, चढ़ने वालों की भीड़ लग गई।
सभी को चढ़ने से पहले किराया भरना था। देखते-ही-देखते फैरी भर गई और पानी पर चल पड़ी। ओमना तो रेलिंग के पास ही खड़ी होकर आस-पास देखने लगी। फैरी तेज़ी से पानी पर फिसल रही थी और जिससे आस-पास का पानी उछल रहा था। किनारें पर नारियल के पेड़ एक कतार में लगे हुए थे। वहीं किनारे पर कुछ लोग नहाकर कपड़े धो रहे थे। कुछ दूसरे किनारे पर मछली पकड़ रहे थे।
ओमना की नानी का घर
सूरज के ढलने से पहले ही फैरी अपने ठिकाने पर पहुँच गई और ओमना भी अपनी नानी के घर इतने लंबे मज़ेदार सफ़र के बाद पहुँच ही गई थी। ओमना को यह सफ़र तय करने के लिए 72 घंटों का समय लगा था।
ओमना को ट्रेन से कुल 2117 किलोमीटर का सफ़र तय किया था। लेकिन ओमना की ट्रेन ने गांधीधाम से नगरकोइल तक 2649 कि.मी दूरी तय की थी। ट्रेन दूसरे दिन मडगाँव पहुँची थी और 10 मिनट रुकी भी थी। इन सभी बातों को ओमना ने अपनी डायरी में नोट कर लिया था।