कक्षा 6 इतिहास अध्याय 5 एनसीईआरटी समाधान – राज्य, राजा और एक प्राचीन गणराज्य
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 इतिहास अध्याय 5 राज्य, राजा और एक प्राचीन गणराज्य के सभी प्रश्नों के उत्तर मुफ़्त पीडीएफ डाउनलोड सीबीएसई नए सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित किए गए हैं। कक्षा 6 इतिहास पाठ 5 के सभी प्रश्नों के साथ साथ कुछ अतिरिक्त महत्वपूर्ण प्रश्न भी उत्तर सहित दिए गए हैं जो परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। पाठ का विस्तार से विवरण और इतिहास का एनसीईआरटी समाधान दोनों ही विडियो के रूप में भी उपलब्ध हैं ताकि कक्षा 6 के विद्यार्थी इतिहास के पाठ 5 को अच्छी तरह तैयार कर सकें।
कक्षा 6 इतिहास अध्याय 5 के लिए एनसीईआरटी समाधान
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 इतिहास अध्याय 5 राज्य, राजा और एक प्राचीन गणराज्य
कुछ लोग शासक कैसे बने?
आज की हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में हम अपने शासकों का चुनाव मतदान के माध्यम से करते हैं। लेकिन बहुत साल पहले लोग शासक कैसे बनते थे? हमने अध्याय 4 में यह पढ़ा है कि कुछ राजा संभवत: जन यानी लोगों द्वारा चुने जाते थे। परन्तु करीब 3000 साल पहले राजा बनने की इस प्रक्रिया में कुछ परिवर्तन दिखाई दिए। कुछ शक्तिशाली लोग बड़े-बड़े यज्ञों को आयोजित कर राजा के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। आगे फिर वंशागत रूप से शासक के रूप में प्रतिष्ठित होते रहे।
अश्वमेध यज्ञ का आयोजन क्यों किया जाता था?
प्राचीन समय में राजा अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए अश्वमेध यज्ञ का आयोजन करता था। इस यज्ञ में एक घोड़े को राजा के लोगों की देखरेख में स्वतंत्र विचरण के लिए छोड़ दिया जाता था। इस घोड़े को किसी दूसरे राजा ने रोका तो उसे वहाँ अश्वमेध यज्ञ करने वाले राजा से लड़ाई करनी पड़ती थी। अगर उन्होंने घोड़े को जाने दिया तो इसका मतलब यह होता था कि अश्वमेध यज्ञ करने वाला राजा उनसे ज़्यादा शक्तिशाली था। जिन राजाओं ने अधीनता स्वीकार करली उन्हें यज्ञ में आमंत्रित किया जाता था। यह यज्ञ विशिष्ट पुरोहितों द्वारा सम्पन्न किया जाता था। इसके लिए उन्हें उपहारों से सम्मानित किया जाता था। अश्वमेध यज्ञ करने वाला राजा बहुत शक्तिशाली माना जाता था। यज्ञ में आमंत्रित सभी राजा उसके लिए उपहार लाते थे।
लोगों ने वर्ण-व्यवस्था का विरोध क्यों किया?
वर्ण-व्यवस्था उच्च पद पर आसीन ब्राह्मणों द्वारा निर्मित व्यवस्था है जिससे वे और शासक वर्ग दूसरों पर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर सकें। कई लोगों ने ब्राह्मणों द्वारा बनायी हुई इस वर्ण-व्यवस्था को स्वीकार नहीं किया। क्योंकि निम्न वर्ण के लोगों के अधिकारों का हनन होता था तथा उन पर कई प्रकार की पाबंदियां थी जिसमें उन्हें घुटन महसूस होती थी। कुछ राजा स्वयं को पुरोहितों से श्रेष्ठ मानते थे। कुछ लोग जन्म के आधार पर वर्ण-निर्धारण सही नहीं मानते थे। इसके अतिरिक्त कुछ लोग व्यवसाय के आधार पर लोगों के बीच भेदभाव उचित नहीं समझते थे। जबकि कुछ लोग चाहते थे कि अनुष्ठान सम्पन्न करने का अधिकार सबका हो। कई लोगों ने छूआछूत की आलोचना की।
महाजनपदों के राजा ऋग्वेद में उल्लेखित राजाओं से किस प्रकार भिन्न थे?
महाजनपदों के राजा विशाल किले बनवाते थे और बड़ी सेना रखते थे, इसलिए उन्हें प्रचुर संसाधनों की आवश्यकता होती थी। इसके लिए उन्हें कर्मचारियों की भी आवश्यकता होती थी। अत: महाजनपदों के राजा लोगों द्वारा समय-समय पर लाए गए उपहारों पर निर्भर न रहकर अब नियमित रूप से कर वसूलने लगे।
प्राचीन भारत में जनपदीय व्यवस्था के कुछ महत्वपूर्ण जनपदों के बारे में लिखिए।
लगभग 2300 साल पहले मध्य भारत में जनपद वाली व्यवस्था प्रकाश में आती है जिनमें से कुछ शक्तिशाली जनपद मगध, वैशाली, वज्जि, कोशल और कौशाम्बी आदि उल्लेखनीय हैं। इन सब जनपदों ने मिलकर एक गणराज्य की स्थापना कर ली थी जिसमें गणप्रमुख का चुनाव बारी से होता था। इसको दुनिया का सबसे पहला गणराज्य होने का गौरव भी प्राप्त है।