कक्षा 9 विज्ञान अध्याय 12 एनसीईआरटी समाधान – खाद्य संसाधनों में सुधार

कक्षा 9 विज्ञान अध्याय 12 एनसीईआरटी समाधान पाठ 12 खाद्य संसाधनों में सुधार अभ्यास के सभी प्रश्न उत्तर तथा पाठ के अंतर्गत पेजों में दिए गए प्रश्नों के जवाब सरल भाषा में विद्यार्थी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। 9वीं कक्षा विज्ञान अध्याय 12 के लिए एनसीईआरटी समाधान सीबीएसई सत्र 2024-25 के अनुसार बनाए गए हैं। कक्षा 9 विज्ञान ऐप हिंदी मीडियम में गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करके पीडीएफ समाधान को ऑफलाइन प्रयोग किया जा सकता है। कक्षा 9 विज्ञान के समाधान अंग्रेजी तथा हिंदी दोनों माध्यमों में उपलब्ध हैं।

कक्षा 9 विज्ञान अध्याय 12 के लिए एनसीईआरटी समाधान

कक्षा 9 विज्ञान अध्याय 12 के बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) उत्तर

Q1

निम्नलिखित में से कौन-सा कार्बोहाइडे्रट का स्रोत नहीं है?

[A]. चावल
[B]. बाजरा
[C]. ज्वार
[D]. चना
Q2

देश की खाद्य समस्या के हल के लिए, निम्नलिखित में से कौन आवश्यक है?

[A]. उत्पादन का बढ़ाना तथा खाद्यान्न का भंडारण
[B]. लोगों के पास अन्न खरीदने के लिए धन का होना
[C]. लोगों को आसानी से खाद्यान्न का मिलना
[D]. उपरोक्त सभी
Q3

खरपतवार फसलों को निम्नलिखित में से किस प्रकार प्रभावित करते हैं?

[A]. वृद्धि करने से पहले ही खेत में पादप को नष्ट करके
[B]. पादप की वृद्धि को प्रभावित करके
[C]. पादप के अन्य संसाधनों में प्रतियोगिता के कारण पोषक पदार्थ की उपलब्धता में कमी करके
[D]. उपरोक्त सभी
Q4

अन्न-भंडारण के नियंत्रण और रोकथाम के लिए कौन-सा उपाय किया जाता है?

[A]. भंडारण कक्ष की भली-भाँति स्वच्छता
[B]. उत्पाद को अच्छी तरह सुखाना
[C]. धूमन
[D]. उपरोक्त सभी

हमें कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन किस प्रकार प्राप्त होता है?

कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज लवण और प्रोटीन के श्रोत

    • ऊर्जा की आवश्यकता के लिए अनाज; जैसे गेहूँ, चावल, मक्का, बाजरा तथा ज्वार से कार्बोहाइड्रेट प्राप्त होता है।
    • दालें जैसे चना, मटर, उड़द, मूँग, अरहर, मसूर से प्रोटीन प्राप्त होती है।
    • तेल वाले बीजों जैसेसोयाबीन, मूँगफली, तिल, अरंड, सरसों, अलसी तथा सूरजमुखी से हमें आवश्यक वसा प्राप्त होती है।
    • सब्जियाँ, मसाले तथा फलों से हमें विटामिन तथा खनिज लवण, कुछ मात्रा में प्रोटीन, वसा तथा कार्बोहाइड्रेट भी प्राप्त होते हैं।

कक्षा 9 विज्ञान अध्याय 12 अभ्यास के लिए प्रश्न उत्तर

अनाज, दाल, फल तथा सब्जियों से हमें क्या प्राप्त होता है?

आनाजों (गेंहूँ, बाजरा, ज्वार, चावल, मक्का आदि) से हमें कार्बोहाइड्रेट्स प्राप्त होते हैं। दालों (चना, अरहर, मटर, मसूर, उड़द आदि) से हमें प्रोटीन प्राप्त होता है। फल (आम, केला, संतरा, चीकू, अंगूर आदि) तथा सब्जियों (पालक, गाजर, मिर्ची, धनिया आदि) से हमें शर्करा, खनिज – लवण तथा विटामिन प्राप्त होते हैं।

जैविक तथा अजैविक कारक किस प्रकार फसल उत्पादन को प्रभावित करते हैं?

जैविक कारक (रोग, कीट, निमेटोड्स आदि) फसल को खाकर या उसे विक्षिप्त कर के उसकी उत्पादन क्षमता को कम कर देते हैं। अजैविक कारक (सुखा, पाला, क्षारता, गर्मी आदि) फसल को आंशिक या पूर्णतया नष्ट कर देते हैं।

फसल सुधार के लिए ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण क्या हैं?

ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण: चारे वाली फसलों के लिए लंबी तथा सघन शाखाएँ ऐच्छिक गुण हैं। अनाज के लिए बौने पौधे उपयुक्त हैं ताकि इन फसलों को उगाने के लिए कम पोषकों की आवश्यकता हो। इस प्रकार सस्य विज्ञान वाली किस्में अधिक उत्पादन प्राप्त करने में सहायक होती हैं।

वृहत पोषक क्या हैं और इन्हें वृहत पोषक क्यों कहते हैं?

पौधों की वृद्धि के लिए पोषक 16 तत्वों की आवश्यकता होती है। इनमें से 13 पोषकों को पौधे मिट्टी से प्राप्त करते हैं। मिट्टी से प्राप्त होने वाले पोषकों में से 6 पोषकों की अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है। जिन्हें वृहत पोषक कहते हैं। ये वृहत 6 पोषक नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, कैल्सियम, मैग्नीशियम और सल्फर हैं।

कक्षा 9 विज्ञान अध्याय 12 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियाँ तथा जैव नियंत्रण क्यों अच्छा समझा जाता हैं?

फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियाँ तथा जैव नियंत्रण इसलिए अच्छा समझा जाता हैं ताकि उत्पाद को हानि पहुँचाने वाले जैविक कारक जैसे कीट, कृंतक, कवक, चिंचडी तथा जीवाणु आदि मर जाएँ और भंडारण के बाद भी उत्पाद की गुणवत्ता कायम रहे।

पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्रायः कौन-सी विधि का उपयोग किया जाता है और क्यों?

पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्रायः संकरण विधि का उपयोग किया जाता है। इस विधि में देशी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) और विदेशी (लंबा दुग्ध स्त्रवणकाल) नस्लों के बीच संकरण कराने पर संकल नस्लें उत्पन्न होती हैं जिसमें दोनों के एच्छिक गुण (रोग प्रतिरोधक क्षमता तथा लंबा दुग्ध स्त्रवणकाल) होते हैं।

ब्रौलर तथा अंडे देने वाली लेयर में क्या अंतर है?

ब्रौलर तथा अंडे देने वाली लेयर में अंतर: ब्रौलर के आहार में प्रोटीन तथा वसा की मात्रा अधिक होती है। जबकि लेयर के आहार में प्रोटीन, वसा के साथ साथ विटमिन A तथा विटमिन K की मात्रा भी अधिक रखी जाती है। ब्रौलर को मास के लिए पाला जाता है। जबकि लेयर को मुख्यतः अंडों के लिए पाला जाता है। इनके चूजों की वृद्धि तीव्र होती है। जबकि लेयर के चूजों की वृद्धि अपेक्षाकृत धीमी होती है।

कक्षा 9 विज्ञान पाठ 12
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