एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 संस्कृत अध्याय 4 सदैव पुरतो निधेहि चरणम्
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 संस्कृत अध्याय 4 चतुर्थ: पाठ: सदैव पुरतो निधेहि चरणम् के प्रश्न उत्तर और अभ्यास के रिक्त स्थान नए शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 8 संस्कृत पाठ 4 एक राष्ट्रवादी कविता का अंश है जिसमें कवि ने जागरण और कर्मठता का संदेस दिया है। इस कविता के माध्यम से यह बताया गया है कि किस प्रकार हमें चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए। तिवारी अकादमी पर इस पाठ का हिंदी अनुवाद भी दिया गया है।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 संस्कृत चतुर्थ: पाठ: सदैव पुरतो निधेहि चरणम् के उत्तर
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 संस्कृत चतुर्थ: पाठ: सदैव पुरतो निधेहि चरणम्
कक्षा 8 संस्कृत अध्याय 4 सदैव पुरतो निधेहि चरणम् का हिंदी अनुवाद
संस्कृत वाक्य | हिंदी अनुवाद |
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चल चल पुरतो निधेहि चरणम्। सदैव पुरतो निधेहि चरणम्॥ | चलो, चलो। आगे चरण रखो। सदा ही आगे कदम रखो। |
गिरिशिखरे ननु निजनिकेतनम्। विनैव यानं नगारोहणम्॥ | निश्चय ही अपना घर पर्वत की चोटी पर है। अतः सवारी के बिना ही पर्वत पर चढ़ना है। |
बलं स्वकीयं भवति साधनम्। सदैव पुरतो …..॥ | अपना बल ही साधन होता है। इसलिए सदा कदम आगे बढ़ाओ। |
संस्कृत वाक्य | हिंदी अनुवाद |
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पथि पाषाणा: विषमा: प्रखरा:। हिंस्रा: पशव: परितो घोरा:॥ | मार्ग में विचित्र से ऊबड़-खाबड़ तथा नुकीले पत्थर हैं। चारों ओर भयंकर व हिंसक पशु हैं। |
सुदुष्करं खलु यद्यपि गमनम्। सदैव पुरतो ……..॥ | यद्यपि वहाँ जाना निश्चय ही अत्यंत कठिन है, (फिर भी) सदा कदम आगे बढ़ाओ। |
संस्कृत वाक्य | हिंदी अनुवाद |
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जहीहि भीतिं भज-भज शक्तिम्। विधेहि राष्ट्रे तथाऽनुरक्तिम्॥ | डर का त्याग करो। शक्ति का सेवन करो। उसी प्रकार राष्ट्र से प्रेम करो |
कुरु कुरु सततं ध्येय-स्मरणम्। सदैव पुरतो ………॥ | निरन्तर अपने लक्ष्य का स्मरण करो। सदा कदम आगे बढ़ाओ। |