एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 संस्कृत अध्याय 3 डिजीभारतम्
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 संस्कृत अध्याय 3 तृतीय: पाठ: डिजीभारतम् के प्रश्न उत्तर विस्तार हिंदी मीडियम में सीबीएसई सत्र 2025-26 के लिए यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 8 संस्कृत के पाठ 3 में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के द्वारा वैज्ञानिक प्रगति और इन्टरनेट के प्रयोग से जीवन में आई सरलता के बारे में उल्लेख किया गया है। इस पाठ का संस्कृत से हिंदी में अनुवाद भी दिया गया है ताकि विद्यार्थी पूरे पाठ को आसानी से समझ सकें और पाठ के अंत में दिए गए सभी प्रश्नों का उत्तर लिख सकें।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 संस्कृत तृतीय: पाठ: डिजीभारतम् के उत्तर
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 संस्कृत तृतीय: पाठ: डिजीभारतम्
कक्षा 8 संस्कृत अध्याय 3 डिजीभारतम् का हिंदी अनुवाद
| संस्कृत वाक्य | हिंदी अनुवाद |
|---|---|
| अद्य सम्पूर्णविश्वे “डिजिटलइण्डिया” इत्यस्य चर्चा श्रूयते। | आज सारे संसार में ‘डिजिटल इण्डिया’ की चर्चा सुनी जाती है। |
| अस्य पदस्य क: भाव: इति मनसि जिज्ञासा उत्पद्यते। | ‘इस शब्द का भाव क्या है’-ऐसी जानने की इच्छा उत्पन्न होती है। |
| कालपरिवर्तनेन सह मानवस्य आवश्यकताऽपि परिवर्तते। | काल के परिवर्तन के साथ मानव की आवश्यकता भी परिवर्तित होती है। |
| प्राचीनकाले ज्ञानस्य आदान-प्रदानं मौखिकम् आसीत्, विद्या च श्रुतिपरम्परया गृह्यते स्म। | पुराने समय में ज्ञान का आदान-प्रदान वाणी के द्वारा होता था तथा विद्या श्रवण परम्परा से ग्रहण की जाती थी। |
| संस्कृत वाक्य | हिंदी अनुवाद |
|---|---|
| अनन्तरं तालपत्रोपरि भोजपत्रोपरि च लेखनकार्यम् आरब्धम्। | तत्पश्चात् तालपत्र के ऊपर तथा भोजपत्र पर लेखन कार्य आरम्भ हुआ। |
| परवर्तिनि काले कर्गदस्य लेखन्या: च आविष्कारेण सर्वेषामेव मनोगतानां भावानां कर्गदोपरि लेखनं प्रारब्धम्। | परिवर्तन के काल में कागज का तथा लेखनी के आविष्कार से सभी के मन में स्थित भावों का कागज के ऊपर लेखन प्रारम्भ हुआ। |
| टङ्कणयन्त्रस्य आविष्कारेण तु लिखिता सामग्री टङि्कता सती बहुकालाय सुरक्षिता अतिष्ठत्। | छपाई के यन्त्र के आविष्कार के द्वारा लिखित सामग्री छापी जाकर बहुत समय तक सुरक्षित हो गई। |
| वैज्ञानिकप्रविधे: प्रगतियात्रा पुनरपि अग्रे गता। | वैज्ञानिक तकनीक विधि की प्रगतियात्रा पुनः आगे चलती रही। |
| संस्कृत वाक्य | हिंदी अनुवाद |
|---|---|
| अद्य सर्वाणि कार्याणि सङ्गणकनामकेन यन्त्रेण साधितानि भवन्ति। | आज सभी कार्य कम्प्यूटर नामक यन्त्र के द्वारा सिद्ध होते हैं। |
| समाचार-पत्राणि, पुस्तकानि च कम्प्यूटरमाध्यमेन पठ्यन्ते लिख्यन्ते च। | समाचारपत्र तथा पुस्तकें कम्प्यूटर के माध्यम से पढ़ी जाती हैं तथा लिखी जाती हैं। |
| कर्गदोद्योगे वृक्षाणाम् उपयोगेन वृक्षा: कर्त्यन्ते स्म, परम् सङ्गणकस्य अधिकाधिक-प्रयोगेण वृक्षाणां कर्तने न्यूनता भविष्यति इति विश्वास:। | कागज के उद्योग में वृक्षों का उपयोग होने से वृक्ष काटे जाते थे, परन्तु कम्प्यूटर के अधिकाधिक प्रयोग से वृक्षों के काटने में कमी होगी-यह विश्वास है। |
| अनेन पर्यावरणसुरक्षाया: दिशि महान् उपकारो भविष्यति। | इससे पर्यावरण की सुरक्षा की दिशा में महान् उपकार होगा। |
| संस्कृत वाक्य | हिंदी अनुवाद |
|---|---|
| अधुना आपणे वस्तुक्रयार्थम् रूप्यकाणाम् अनिवार्यता नास्ति। | अब बाजार में वस्तुओं को खरीदने के लिए रुपयों की अनिवार्यता नहीं है। |
| “डेबिट कार्ड”, “क्रेडिट कार्ड” इत्यादय: सर्वत्र रूप्यकाणां स्थानं गृहीतवन्त:। | डेबिट कार्ड तथा क्रेडिट कार्ड इत्यादि ने सभी स्थानों पर रुपयों का स्थान ले लिया है। |
| वित्तकोशस्य (बैंकस्य) चापि सर्वाणि कार्याणि सङ्गणकयन्त्रेण सम्पाद्यन्ते। | बैंक के सभी कार्य कम्प्यूटर यन्त्र के द्वारा सम्पन्न किए जाते हैं। |
| बहुविधा: अनुप्रयोगा: (।च्च्) मुद्राहीनाय विनिमयाय (ब्ेींसमेे ज्तंदेंबजपवद) सहायका: सन्ति। | अनेक प्रकार के अनुप्रयोग मुद्रारहित लेन-देन के लिए सहायक हैं। |
| संस्कृत वाक्य | हिंदी अनुवाद |
|---|---|
| कुत्रापि यात्रा करणीया भवेत् रेलयानयात्रापत्रस्य, वायुयानयात्रापत्रस्य अनिवार्यता अद्य नास्ति। | कहीं भी यात्रा करनी हो, रेल टिकट तथा हवाई जहाज टिकट की आज अनिवार्यता नहीं है। |
| सर्वाणि पत्राणि अस्माकं चलदूरभाषयन्त्रे ‘ई-मेल’ इति स्थाने सुरक्षितानि भवन्ति यानि सन्दर्श्य वयं सौकर्येण यात्राया: आनन्दं गृह्णीम:। | सभी पत्र हमारे मोबाइल फोन में ‘ई-मेल’ स्थान पर सुरक्षित होते हैं, जिन्हें दिखलाकर हम सुगमता से यात्रा के आनन्द को ग्रहण करते हैं। |
| चिकित्सालयेऽपि उपचारार्थं रूप्यकाणाम् आवश्यकताद्य नानुभूयते। | अस्पताल में भी इलाज के लिए रुपयों की आवश्यकता अनुभव नहीं की जाती है। |
| सर्वत्र कार्डमाध्यमेन, ई-बैंकमाध्यमेन शुल्कं प्रदातुं शक्यते। | सभी स्थानों पर कार्ड के माध्यम से तथा ई-बैंक के माध्यम से फीस दी जा सकती है। |
| संस्कृत वाक्य | हिंदी अनुवाद |
|---|---|
| तद्दिनं नातिदूरम् यदा वयम् हस्ते एकमात्रं चलदूरभाषयन्त्रमादाय सर्वाणि कार्याणि साधयितुं समर्था: भविष्याम:। | वह दिन दूर नहीं है, जब हम हाथ में एकमात्र मोबाइलफोन लेकर सभी कार्य सिद्ध करने में समर्थ होंगे। |
| वस्त्रपुटके रूप्यकाणाम् आवश्यकता न भविष्यति। | जेब में रुपयों की आवश्यकता नहीं होगी। |
| ‘पास्बुक’ चैक्बुक’ इत्यनयो: आवश्यकता न भविष्यति। | पासबुक तथा चैकबुक-इनकी आवश्यकता नहीं होगी। |
| पठनार्थं पुस्तकानां समाचारपत्राणाम् अनिवार्यता समाप्तप्राया भविष्यति। | पढ़ने के लिए पुस्तकों की तथा समाचारपत्रों की अनिवार्यता लगभग समाप्त हो जाएगी। |
| संस्कृत वाक्य | हिंदी अनुवाद |
|---|---|
| लेखनार्थम् अभ्यासपुस्तिकाया: कर्गदस्य वा, नूतनज्ञानान्वेषणार्थं शब्दकोशस्याऽपि आवश्यकता न भविष्यति। | लिखने के लिए अभ्यासपुस्तिका की अथवा कागज की, नवीन ज्ञान के खोजने के लिए डिक्शनरी की भी आवश्यकता नहीं होगी। |
| अपरिचित-मार्गस्य ज्ञानार्थं मार्गदर्शकस्य मानचित्रस्य आवश्यकताया: अनुभूति: अपि न भविष्यति। | अनजान मार्ग के ज्ञान के लिए मार्गदर्शक मैप की आवश्यकता की अनुभूति भी नहीं होगी। |
| एतत् सर्वं एकेनेव यन्त्रेण कर्तुं, शक्यते। | यह सब एक ही यन्त्र के द्वारा किया जा सकता है। |
| शाकादिक्रयार्थम्, फलक्रयार्थम्, विश्रामगृहेषु कक्षं सुनिश्चितं कर्तुं, चिकित्सालये शुल्कं प्रदातुम्, विद्यालये महाविद्यालये चापि शुल्कं प्रदातुम्, किं बहुना दानमपि दातुं चलदूरभाषयन्त्रमेव अलम्। | सब्जी आदि खरीदने के लिए, फल खरीदने के लिए, विश्रामगृह में कमरा सुनिश्चित करने के लिए, अस्पताल में फीस देने के लिए तथा स्कूल या कालेज में भी फीस देने के लिए, अधिक क्या कहें, दान देने के लिए भी मोबाइल फोन ही पर्याप्त है। |
| डिजीभारतम् इति अस्यां दिशि वयं भारतीया: द्रुतगत्या अग्रेसराम:। | ‘डिजिटलभारत’ इस दिशा में हम भारतीय तीव्रगति से आगे बढ़ रहे हैं। |










