कक्षा 8 हिंदी व्याकरण अध्याय 8 कारक
कक्षा 8 हिंदी व्याकरण अध्याय 8 कारक तथा कारक के चिन्ह और विभक्ति उदाहरण सहित विद्यार्थी शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से सीख सकते हैं। हिंदी ग्रामर के पाठ 8 को समझने के लिए आठवीं कक्षा के छात्र यहाँ दी गई अभ्यास पुस्तिका की मदद लेकर इसे आसानी से समझ सकते हैं।
कारक
संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जो वाक्य के अन्य शब्दों विशेषतः क्रिया से अपना संबंध प्रकट करता है, ‘कारक’ कहलाता है।
उदाहरण:
1. अमन ने फ़ल खाया।
2. यह सुरेश का पुत्र है।
3. राम ने रावण को मारा।
4. पेड़ से पत्ता गिरा।
उपर्युक्त वाक्यों में ने, का, को, से चिह्न प्रयुक्त हुए हैं। इन चिह्नों से वाक्य के शब्दों के बीच संबंध का पता चलता है तथा अर्थ स्पष्ट हो जाता है। इन चिह्नों को विभक्तियाँ या परसर्ग कहते हैं।
कारक के भेद
हिंदी में कारक आठ प्रकार के होते हैं। ये निम्नलिखित हैं:
विभक्ति | कारक | चिह्न |
---|---|---|
प्रथमा | कर्ता | ने |
द्वितीया | कर्म | को |
तृतीया | करण | से |
चतुर्थी | संप्रदान | को, के लिए |
पंचमी | अपादान | से (पृथक् होने के लिए) |
षष्ठी | संबंध | का, के, की |
सप्तमी | अधिकरण | में, पर |
अष्टमी | संबोधन | हे!, अरे! |
कर्ताकारक
संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जो क्रिया करने वाले का बोध कराता है, कर्ताकरक कहलाता है। जैसे- राम पुस्तक पढ़ता है, में ‘राम’ कर्ता कारक है।
कर्मकारक
संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जिस पर क्रिया के काम का प्रभाव पड़े, उसे कर्मकारक कहते हैं। जैसे- ‘राम ने रावण को मारा’ में ‘रावण’ कर्म कारक है।
करणकारक
संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जो क्रिया के साधन के रूप में काम आए उसे करणकारक कहते हैं। जैसे- मैं कलम से लिखता हूँ। में ‘कलम’ करणकारक है।
संप्रदानकारक
संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जिसके लिए कुछ किया जाता है उसे संप्रदान कारक कहते हैं। जैसे- मैं स्नान के लिए नदी पर गया। में ‘स्नान’ संप्रदान कारक है।
अपादान कारक
संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जिससे कोई वस्तु अलग हो उसे अपादान कारक कहते हैं। जैसे- पेड़ से पत्ता गिरता है। में ‘पेड़’ अपादान कारक है।
संबंधकारक
संज्ञा के जिस रूप से किसी दूसरे शब्द का संबंध या लगाव जान पड़े उसे संबंधकारक कहते हैं। जैसे- ‘यह राजा का पुत्र है।’ में राजा संबंध कारक है।
अधिाकरण कारक
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। जैसे- बंदर पेड़ पर चढ़ता है। पेड़ अधिकरण कारक है।
संबोधन कारक
संज्ञा के जिस रूप से किसी को पुकारने या सचेत करने आदि का भाव मालूम हो, उसे संबोधन कारक कहते हैं। जैसे- ‘हे अर्जुन! आत्मा अजर-अमर है।’ में हे अर्जुन संबोधन कारक में है।