एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 संस्कृत पाठ 5 वृक्षाः
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 संस्कृत अध्याय 5 वृक्षाः पाठ्यपुस्तक रुचिरा भाग 1 के सभी प्रश्नों के उत्तर, रिक्त स्थान भरना, मिलान करना आदि प्रकार के प्रश्नों के उत्तर सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। चरण दर चरण प्रत्येक वाक्य का हिंदी रूपांतरण भी दिया गया है ताकि बच्चों को समझने में कोई कठिनाई न हो। कक्षा 6 संस्कृत पाठ 5 में दिए गए कठिन शब्दों के अर्थों और उनके वाक्यों को भी दिया गया है ताकि विद्यार्थी परीक्षा की तैयारी आसानी से कर सकें।
कक्षा 6 संस्कृत अध्याय 5 के लिए एनसीईआरटी समाधान
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 संस्कृत अध्याय 5 वृक्षाः
कक्षा 6 संस्कृत अध्याय 5 वृक्षाः का हिंदी अनुवाद
संस्कृत में वाक्य | हिंदी में अनुवाद |
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वने वने निवसन्तो वृक्षा:। | वृक्ष प्रत्येक वन में निवास करते हैं। |
वनं वनं रचयन्ति वृक्षा:। | वृक्ष कई जंगल बनाते हैं। |
शाखादोलासीना विहगा:। | पक्षी शाका रूपी झूले पर बैठे हैं। |
तै: किमपि कूजन्ति वृक्षा:। | मानों वृक्ष उनके माध्यम से कुछ-कुछ कह रहे हैं। |
संस्कृत में वाक्य | हिंदी में अनुवाद |
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पिबन्ति पवनं जलं सन्ततम्। | वृक्ष हमेशा वायु और जल पीते हैं। |
साधुजना इव सर्वे वृक्षा:। | सभी वृक्ष सज्जनों की भांति होते हैं। |
स्पृशन्ति पादै: पातालं च। | वृक्ष पैरों से (जड़ों से) पाताल को छूते हैं। |
नभ: शिरस्सु वहन्ति वृक्षा:। | वृक्ष अपने सिरों से आकाश को ढ़ोते हैं। अर्थात् वे महान हैं और अत्यधिक कार्यभार सँभालते हैं। |
संस्कृत में वाक्य | हिंदी में अनुवाद |
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पयोदर्पणे स्वप्रतिबिम्बम् | जलरूपी आइने में अपना प्रतिबिम्ब। |
कौतुकेन पश्यन्ति वृक्षा: | वृक्ष आश्चर्य से देखते हैं। |
प्रसार्य स्वच्छायासंस्तरणम्। | छाया रूपी अपना बिछौना फैलाकर |
कुर्वन्ति सत्कारं वृक्षा:। | वृक्ष आदर सत्कार करते हैं। |