एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 संस्कृत पाठ 10 कृषिकाः कर्मवीराः
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 संस्कृत अध्याय 10 कृषिकाः कर्मवीराः पाठ्यपुस्तक रुचिरा अभ्यास के प्रश्न उत्तर, रिक्त स्थान, मिलान करना तथा अन्य प्रश्नों के उत्तर सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त करें। कक्षा 6 संस्कृत के विद्यार्थी रुचिरा पाठ 10 का अध्ययन आसानी से करने के लिए पाठ के हिंदी अनुवाद को ध्यान से पढ़ें। अध्याय के सभी शब्द अर्थ समझ लेने के बाद पाठ को पढना बहुत सरल हो जाता है।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 संस्कृत अध्याय 10 कृषिकाः कर्मवीराः
कक्षा 6 संस्कृत अध्याय 10 के लिए एनसीईआरटी समाधान
कक्षा 6 संस्कृत अध्याय 10 कृषिकाः कर्मवीराः का हिंदी अनुवाद
संस्कृत में वाक्य | हिंदी में अनुवाद |
---|---|
सूर्यस्तपतु मेघा: वा वर्षन्तु विपुलं जलम्। | चाहे सूरज तपाये या बादल अत्यधिक जल बरसाएँ, |
कृषिका कृषिको नित्यं शीतकालेऽपि कर्मठौ। | किसान तथा उसकी पत्नी रोज सर्दी में भी कार्य करते रहते हैं। |
संस्कृत में वाक्य | हिंदी में अनुवाद |
---|---|
ग्रीष्मे शरीरं सस्वेदं शीते कम्पमयं सदा। | गरमी में शरीर पसीने से भरा हुआ और ठंड में सदा काँपता रहता है, |
हलेन च कुदालेन तौ तु क्षेत्राणि कर्षत:। | फिर भी हल और कुदाल से दोनों खेतों को जोतते रहते हैं। |
संस्कृत में वाक्य | हिंदी में अनुवाद |
---|---|
पादयोर्न पदत्राणे शरीरे वसनानि नो। | पैरों में जूते नहीं, शरीर पर कपड़े नहीं, |
निर्धनं जीवनं कष्टं सुखं दूरे हि तिष्ठति। | निर्धन, कष्टों से भरा जीवन सुख से सदा दूर ही रहता है। |
संस्कृत में वाक्य | हिंदी में अनुवाद |
---|---|
गृहं जीर्णं न वर्षासु वृष्टिं वारयितुं क्षमम्। | टूटा फूटा घर वर्ष का जल रोकने में असमर्थ है, |
तथापि कर्मवीरत्वं कृषिकाणां न नश्यति। | फिर भी किसानों की कर्मनिष्ठा समाप्त नहीं होती है। |
संस्कृत में वाक्य | हिंदी में अनुवाद |
---|---|
तयो: श्रमेण क्षेत्राणि सस्यपूर्णानि सर्वदा। | उनके परिश्रम से खेत सदा फसलों से भर जाते हैं, |
धरित्री सरसा जाता या शुष्का कण्टकावृता। | वह धरती हरी भरी हो जाती है जो काँटों से भरी थी। |
संस्कृत में वाक्य | हिंदी में अनुवाद |
---|---|
शाकमन्नं फलं दुग्धं दत्त्वा सर्वेभ्य एव तौ। | वे सबको सब्जी, अन्न, फल-दूध देते हैं, |
क्षुधा-तृषाकुलौ नित्यं विचित्रौ जन-पालकौ। | रोज भूख-प्यास में रहने वाले वे विचित्र जन पालक हैं। |