एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 हिंदी वसंत अध्याय 13 नौकर
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 हिंदी वसंत अध्याय 13 नौकर के सभी प्रश्नों के उत्तर सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड के लिए सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित रूप में यहाँ से मुफ्त प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 6 के छात्र हिंदी वसंत के पाठ 13 समाधान की पीडीएफ और विडियो के माध्यम से पूरे पाठ को आसानी से समझ सकते हैं।
कक्षा 6 हिंदी वसंत अध्याय 13 नौकर के प्रश्न उत्तर
आश्रम में कॉलेज के छात्रों से गांधी जी ने कौन सा काम करवाया और क्यों?
एक बार उनके पास कॉलेज के कई छात्र मिलने आए। उनको अंग्रेजी भाषा के अपने ज्ञान का बड़ा गर्व था। गांधीजी से बातचीत के अंत में वे बोले, बापू, यदि मैं आपकी कोई सेवा कर सकॅूं तो कृपया मुझे अवश्य बताएँ। उन्होंने आशा थी कि बापू उन्हें कुछ लिखने-पढ़ने का काम देंगे। गांधीजी ने उनके मन की बात जान ली और बोले, अगर आपके पास समय हो, तो इस थाली के गेहूँ बिन डालिए। वे बेचारे बड़ी मुश्किल में पड़ गए, लेकिन अब तो कोई चारा नहीं था। एक घंटे तक गेहूँ बिनने के बाद वह थक गए और गांधी से विदा माँग कर चल दिए।
गाँधी जी ने अपने आश्रम में रहने वाले लोगों के लिए क्या-क्या नियम बना रखे थे?
गाँधी जी अपने काम स्वयं करने पर विश्वास रखते थे। आश्रम में भी वे इसी नियम को चलाते थे। उनके अनुसार अपने छोटे-मोटे काम मनुष्य को स्वयं करने चाहिए। यदि हो सके तो दूसरे के कामों में भी हाथ बटाना चाहिए। रसोई घर में साफ़-सफ़ाई के नियम को सख्ती से बनाए रखते थे। यदि वहाँ मकड़ी के जाले या गंदगी मिले तो अपने सभी साथियों को आड़े हाथ ले लेते थे। सभी को अपने खाने के बर्तन स्वयं धोने होते थे। आश्रम में साफ-सफाई के नियम पर अधिक ज़ोर देते थे।
गाँधी जी नौकरों के प्रति क्या विचार रखते थे?
गाँधी जी के अनुसार “नौकरों को हमें वेतन भोगी मज़दूर नहीं, अपने भाई के समान मानना चाहिए। इसमें कुछ कठिनाई हो सकती है, कुछ चोरियाँ हो सकती हैं, फिर भी हमारी कोशिश सर्वथा निष्फल नहीं जाएगी”। गाँधी जी ने स्वयं देखा था कि, इंग्लैड में ऊँचें घरानों में घरेलू नौकरों को परिवार का सदस्य माना जाता था। घर में मिलने वाले से उसका परिचय घर के सदस्य के तौर पर ही किया जाता था।
‘आश्रम में गांधीजी कई ऐसे काम भी करते थे, जिन्हें आमतौर पर नौकर-चाकर करते हैं’। पाठ से तीन ऐसे प्रसंगों को अपने शब्दों में लिखो जो इस बात का प्रमाण हों।
आश्रम में गांधी कई ऐसे काम भी करते थे जिन्हें आमतौर पर नौकर-चाकर करते हैं। जिस जमाने में वे बैरिस्टरी से हजारों रुपये कमाते थे, उस समय भी वे प्रतिदिन सुबह अपने हाथ से चक्की पर गेंहूँ पीसा करते थे। सवेरे की प्रार्थना के बाद वे रसोईघर में जाकर सब्जियाँ छीलते थे। बड़े-बड़े पतीलों को भी कभी-कभी मांजने बैठ जाते थे, आश्रम के लिए बाहर बने कुएँ से पानी खींचने का काम भी वे रोज करते थे।
गाँधी जी ने आश्रम के एक व्यक्ति को काले चक्ते पड़े वाले केले क्यों दिए थे?
गाँधी जी सब्जी, फल और अनाज के पौष्टिक गुणों के ज्ञान के बारे में जानते थे। जब उन्हें पता चला की एक व्यक्ति का पाचन तंत्र कमजोर है, तो गाँधी जी ने उसे काले चक्ते पड़े वाले केले दिए। पहले तो उसे बुरा लगा। लेकिन जब गाँधी जी ने उसे बताया कि, “ये जल्दी पच जाते हैं। तुन्हें खासतौर पर इसलिए दिए गए हैं क्योंकि मुझे पता है तुम्हारा हाजमा कमज़ोर है”।
लंदन में भोज पर बुलाए जाने पर गांधी जी ने क्या किया?
एक बार लंदन में उन्हें भारतीय छात्रों ने एक शाकाहारी भोज में निमंत्रित किया। छात्रों ने इस अवसर के लिए स्वयं ही शाकाहारी भोजन तैयार करने का निश्चय किया था। तीसरे पहर दो बजे एक दुबला-पतला और छरहरा आदमी आकर उनमें शामिल हो गया और तश्तरियाँ धोने, सब्जी साफ करने और अन्य छुट-पुट काम करने में उनकी मदद करने लगा। बाद में छात्रों का नेता वहाँ आया तो क्या देखता है कि वह दुबला-पतला आदमी और कोई नहीं, उस शाम को भोज में निमंत्रित उनके सम्मानित अतिथि गांधीजी थे।
कॉलेज़ के छात्र को सबक के दौर पर गाँधी जी ने क्या काम दिया?
कॉलेज़ के छात्र को अपनी अंग्रेज़ी भाषा के ज्ञान पर बड़ा गर्व था। उसने गाँधी जी से कहा “बापू, यदि मैं आपकी कोई सेवा कर सकूँ तो कृपया अवश्य बताएँ” उसे लगा बापू उसे पढ़ने लिखने का काम देंगे। गाँधी जी ने उसके मन की बात ताड़ ली और कहा, “अगर आपके पास समय हो, तो इस थाली के गेंहूँ बीन डालिए”। यह सुनकर छात्र मुश्किल में पड़ गया लेकिन अब कोई चारा नहीं था। एक घंटे तक गेंहूँ बीनने के बाद गाँधी जी से विदा माँग कर चले गए।
गांधी जी ने श्रीमती पोलक के बच्चे का दूध कैसे छुड़वाया?
श्रीमती पोलक बहुत ही दुबली और कमजोर हो गई थी। उनका बच्चा उनका दूध पीना छोड़ता ही नहीं था और वह उसका दूध छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। बच्चा उन्हें चैन नहीं लेने देता था और रो-रोकर उन्हें जगाए रखता था। गांधीजी जिस दिन लौटे, उसी रात से उन्होंने बच्चे की देखभाल का काम अपने हाथों में ले लिया। बच्चे को श्रीमती पोलक के बिस्तर पर से उठाकर अपने बिस्तर पर लिटा लेते थे। वह चारपाई के पास एक बरतन में पानी भरकर रख लेते ताकि यदि बच्चे को प्यास लगे तो उसे पिला दें, लेकिन इसकी जरूरत ही नहीं पड़ती थी। बच्चा कभी नहीं रोता और उनकी चारपाई पर रात में आराम से सोता रहता था। एक पखवाड़े तक माँ से अलग सुलाने के बाद बच्चे ने माँ का दूध छोड़ दिया।
गाँधी जी से मिलने वाले लोग अक्सर हैरत में क्यों पड़ जाते थे?
गाँधी जी अपने काम तो स्वयं करते ही थे साथ में आश्रम के कुछ काम, जैसे, गेंहूँ बिनना, खाना परोसना, सब्जीयाँ छिलना और कुँए से पानी लाना आदि काम भी किया करते थे, यह देखकर गाँधी जी से मिलने वाले लोग हैरत में पड़ जाते थे।
आश्रम में काम करने या करवाने का कौन सा तरीका गांधी जी अपनाते थे? इसे पाठ पढ़कर लिखो।
आश्रम में गांधी जी अपना काम खुद ही करते थे। उन्होंने सबको अपने-अपने काम बाँट रखे थे। सख्ती से काम करवाते थे। उन्हें अपना काम खुद करना पसंद था। वे दूसरे से काम करवाना पसंद नहीं करते थे। किसी के कुछ पूछने पर उसे नया काम बता देते थे। वह बेचारा गांधीजी को काम करता देख काम को मना भी नहीं कर पाता था।
गाँधी जी अपने आश्रम में ऐसे कौन सा काम करते थे जिन्हें अधिकतर नौकर-चाकर किया करते थे?
गाँधी जी आश्रम में प्रतिदिन सुबह अपने हाथ से चक्की पर गेंहूँ पीसा करते थे। आटा पिसने से पहले गेंहूँ बीनने का काम भी स्वयं कर लेते थे। वे चक्की को ठीक करने में भी पीछे नहीं हटते थे, चाहे कितनी मेहनत करनी पड़े।
गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के नेता के रूप में क्या काम किया था?
दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के जाने-माने नेता के रूप में गाँधी जी ने भारतीय प्रवासियों की माँगों को ब्रिटिश सरकार के सामने रखने के लिए लंदन गए थे। गाँधी जी ने उन्हें समान अधिकार दिलाने में अहम् भूमिका निभाई थी।