एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 22 फिर चला काफ़िला

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 22 फिर चला काफ़िला पर्यावरण अध्ययन के प्रश्न उत्तर सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड के सत्र 2023-24 के सिलेबस के अनुसार यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 5 पर्यावरण पाठ 22 के सवाल जवाब पीडीएफ के साथ-साथ विडियो में भी दिए गए हैं।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 22

धनु का गाँव

प्रस्तुत पाठ में धनु के गाँव और उसके परिवार के बारे में बताया है। पूरे साल उनका जीवन किन कठिनाइयों से होकर गुजरता है। वे किस प्रकार अपने त्योहार और परिवार की ख़ुशी को मनाते हैं। धनु के बाबा परिवार में सबसे बड़े हैं, इसलिए सभी त्योहार उनके यहाँ ही मनाए जाते हैं। सब रिश्तेदार अपनी-अपनी बैलगाड़ियों पर सामान लादकर उनके यहाँ आते हैं। मामी, आई, और चाची मिलकर गुड़ और पूरणपोली बनाते हैं, साथ में तीखी कढ़ी भी बनती है। दिन भर गपशप चलती है, मगर शाम को माहौल बदल जाता है। सब औरतें और बूढ़े-बच्चें सामान बाँधने लगते हैं। सब आदमी मुकादम के साथ बातचीत करते हैं।

मुकादम और गाँववाले

मुकादम सभी के कर्जे का हिसाब बता के आगे के छह महीने में किसे कौन से इलाके में जाना है समझाता है। वह सभी को खर्चे के लिए कुछ पैसे भी देता है। जब से धनु को याद है, यह शिलशिला चलता आ रहा है। बरसात के पहले से दशहरे तक, सभी गाँव के बड़े किसानों के खेतों में काम करते हैं, इस कमाई से उनका इन महीनों का खर्चा चलता है। लेकिन जब कुछ महीने बरसात नहीं होती और खेतों पर भी काम नहीं होता था, तब सभी को मुकादम से कर्जा लेना पड़ता हैं। उस कर्जे को चुकाने के लिए वे मुकादम के लिए काम करते हैं। यह मुकादम शक्कर के कारखाने का दलाल है। वह उन सब को गन्ने के खेतों में काम दिलवाता है।

छह महीने का अलगाव

इसी दौरान धनु अपने आई, बापू, चाचा, उनके दो बड़े बच्चों, मामा-मामी, इनकी दो लड़कियों और गाँव के चालीस-पैंतालिस परिवार अपने घर से दूर रहते हैं। छह महीने तक धनु और उसके जैसे कई बच्चें स्कूल भी नहीं जा पाते हैं। धनु के घर पर उसकी दादी, एक चाची जो देख नहीं पाती है और दो महीने की चचेरी बहन को छोड़ सब अपने-अपने काम पर चले जाते हैं। धनु को अपनी दादी की बहुत याद आती है, वह हमेशा सोचता है कि उसके पीछे दादी की देखभाल कौन करेगा।

गन्ने के खेतों में

परिवारों का यह काफ़िला गन्ने के खेतों और शक्कर के कारखानों के पास झोंपड़ियाँ बनाकर रहेगा। यह झोपड़ियाँ सूखे पत्तों और रस निकले गन्नों से बनाते हैं। सभी घर के आदमी सुबह अँधेरे में उठकर खेतों में गन्नों की कटाई में लग जाते हैं। अपने हिस्से की कटाई वाले गट्ठे का वज़न कर एक रशीद लेते हैं। जब मुकादम उनसे मिलने आता है, तब यह रशीद उसे दी जाती है, ताकि कर्जे का हिसाब किया जा सके। मुकादम अगले हफ़्ते के खर्चे के पैसे भी दे जाता है। इसी कर्जे से हफ़्ते भर का घर ख़र्च चलता है।

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