एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 19 किसानों की कहानी बीज की जुबानी

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 19 किसानों की कहानी बीज की जुबानी पर्यावरण अध्ययन के सभी उत्तर शब्द अर्थ सहित सत्र 2024-25 के सिलेबस के अनुसार यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 5 पर्यावरण पाठ 19 के प्रश्न उत्तर हिंदी और अंग्रेजी मीडियम में यहाँ से पीडीएफ तथा विडियो के माध्यम से प्राप्त किए जा सकते हैं।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 19

बाजरे की जन्मस्थली

प्रस्तुत पाठ में बाजरे के बीज ने अपने जन्म गुजरात के वानगाम के बारे में बताया की 1940 में बाजरे की फ़सल बहुत अच्छी हुई थी। इसी के कारण गाँव में त्यौहार का माहौल था। पूरा इलाका अनाज, साग-सब्जी के लिए मशहूर था। गुजरात के दामजी भाई हर साल अच्छी फ़सल के कुछ बीज अगले साल के लिए रखा करते थे। इसी तरह बीजों का वंश चलता आ रहा हैं। दामजी भाई ने बीजों को रखने के लिए लकड़ी का एक सुंदर सा बक्सा अपने हाथों से बनाया था। बीजों को कीड़ों से बचाने के लिए उसमें नीम की पत्तियाँ बिछाई थी।

खेती के तौर-तरीकों में बदलाव

उस समय दामजी भाई के चचेरे भाई भी उनके साथ ही रहते थे। गाँव में तरह-तरह की सब्जियाँ, अनाज, अलग-अलग मौसम में उगाई जाती थीं। किसान अपनी ज़रूरत के अनाज-सब्जी घर में रखकर, बाकी को शहर के दुकानदारों को बेच देते थे। वे कभी-कभी कपास भी उगाते थे। सूत की कताई और बुनाई भी घर में ही चरखों और करघों पर की जाती थी। बदलाव के चलते लोग गेहूँ और कपास की ही फ़सल उगाने लगे। दामजी भाई के खेतों से ज्वार-बाजरे और साग-सब्जियों की छुटी हो गई। अब किसान बीजों को भी बाज़ार से खरीदने लगे थे। बाज़ार में नए बीज आने लगे, अब किसानों को पुराने बीज रखने की ज़रूरत नहीं रही थी।

दामजी भाई का बेटा हसमुख

सब पुराने खाने के स्वाद को याद करते थे। अब ख़ास मौकों पर ही खास खाना बनता था। दामजी भाई भी अब बूढ़े हो गए थे। उनका बेटा हसमुख, खेती और घर का जिम्मा सँभालने लगा था। हसमुख कहता कि वह अब सोच-समझकर खेती करता है, वही उगाता है, जो बाज़ार में बेचा जा सके। जिससे अच्छा मुनाफा कमा सके। मगर बक्से में पड़े बीजों को इस तरक्की पर शक था।

नए बदलाओं से खेती का खात्मा

अगले बीस सालों बहुत से बदलाव सामने आए। गाय-बैल न रहने से गोबर की खाद भी नहीं रही थी। हसमुख को महँगी खाद डालनी पड़ी, नए बीज ऐसे थे कि उनमें जल्द ही कीड़े लग जाते थे। दवाइयों के छिड़काव से फ़सल की गुणवता खत्म हो गई थी। खाद, पानी, मजदूरी के ख़र्च बढ़ने लगे, जिसे बैंक का कर्ज भी बढ़ गया। सारा मुनाफ़ा कर्जा चुकाने में जाने लगा। हसमुख भी चिड़चिड़ा हो गया, उसका लड़का परेश पढ़-लिखकर खेती का काम नहीं करना चाहता था। अंत में हसमुख बैंक का कर्जा चुकाने के लिए ट्रक-चलाने लगा और बीजों के बक्से में ट्रक के औजारों को रखने लगा था।

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