एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 18 जाएँ तो जाएँ कहाँ

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 18 जाएँ तो जाएँ कहाँ पर्यावरण अध्ययन के प्रश्नों के उत्तर, शब्द अर्थ तथा पाठ की व्याख्या सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 5 पर्यावरण पाठ 18 के सवाल जवाब आसान शब्दों में समझाकर विडियो के माध्यम से भी डाउनलोड कर सकते हैं।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 18

जात्र्याभाई का पारिवारिक जीवनयापन

जात्र्याभाई अपनी बेटी झिलमिल और अपने लड़के सीडया के साथ दो साल पहले ही अपने गाँव सिंदूरी से मुंबई आया था। कहने को मुंबई में दूर के रिश्तेदार का एक परिवार था। उन्हीं की मदद से जात्र्याभाई को मछली पकड़ने के कटे हुए जालों की मरम्मत का काम मिला था। मगर इससे उनका गुजारा बड़ी मुश्किल से हो रहा था। छोटे लड़के सीडिया को भी पास वाले मछली के कारखाने में काम करना पड़ता था।

वह सुबह के चार बजे से सात बजे तक मछली साफ़ करता है, फिर छोटी-बड़ी मछली छांटता है। फिर घर पर थोड़ी देर सोकर दोपहर को स्कूल जाता है। शाम को सब्जी-मंडी में घूमता फिरता किसी का बोझा उठाता है। कभी स्टेशन पर पानी की खाली बोतलें बीनकर कबाड़ी वाले को बेचता है। जैसे-तैसे करके जात्र्याभाई का घर चल रहा था।

जात्र्याभाई की जवानी का गाँव का जीवन

एक दिन जब सीडिया घर नहीं लौटा तो जात्र्याभाई को उसकी चिंता हुई। झिमली पड़ोसी के घर की खिड़की से टी० वी० पर नाच-गाने देख रही थी। मगर जात्र्या का मन कहीं नहीं लग रहा था। उसे यहाँ दुनियाँ अजीब लग रही थी दिन काम की भगदड़ में चला जाता था और शाम पुरानी यादें लेकर आती थी। जात्र्या जब जवान था, वह खेती का भारी काम अकेले ही करता वह बड़ी नदी के बीचोबीच जाकर मछली भी पकड़ता था। त्योहारों में अपने उम्र के लड़के-लड़कियों की टोली में नाचता और ढोल बजता था।

जात्र्याभाई को अपना पुस्तैनी गाँव क्यों छोड़ना पड़ा

सरकारी आदेश के अनुसार जात्र्या को अपना पुराना गाँव खेड़ी को छोड़कर सिंदूरी गाँव में बसना पड़ा था। जहाँ पर उसे अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ा था। सिंदूरी गाँव में बिजली, पानी, हस्पताल, स्कूल सब थे पर उनकी सेवाएँ न के बराबर थी। डॉक्टर मुश्किल से मिल पाते और दवाई भी न मिलती। स्कूल में टीचर खेड़ी के इन बच्चों पर ध्यान ही नहीं देते थे। जो कुछ भी उसने सोचा था वहाँ उससे वैसा नहीं मिला था।

जात्र्याभाई का सिंदूरी से मुम्बई आना

जात्र्या भाई को हमेशा सिंदूरी गाँव में अपने खेड़ी गाँव की याद आती थी। इसके बाद उसने अपनी ज़मीन और जानवर बेच दिए और मुंबई आ गए। इसके बाद उनकी नई जिंदगी शुरू हुई थी, पर उसके रिश्तेदारों ने कहा कि बाहर से आने वाले लोगों के लिए मुंबई में रहने की जगह नहीं है। यह सुनकर जात्र्या भाई डर गया उसने सोचा –पहले खेड़ी गाँव छोड़ा, फिर सिंदूरी गाँव अब यदि मुंबई भी छोड़ना पड़ा तो वह अपने परिवार को लेकर कहाँ जाएगा। क्या इतने बड़े शहर में उसके छोटे से परिवार के लिए एक छोटा-सा घर भी नहीं होगा।

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