एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 17 बोलने वाली माँद

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 17 बोलने वाली माँद के प्रश्न उत्तर अभ्यास के हल सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए विद्यार्थी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। कक्षा 3 हिंदी का पाठ 17 में छात्र देखेंगे कि किस तरह चालाकी से सियार ने शेर से अपनी जान बचाई।

कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 17 बोलने वाली माँद के उत्तर

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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 17 बोलने वाली माँद

कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 17 बोलने वाली माँद का अध्ययन

एक जगल में खरनखर नाम का एक सिंह रहता था। एक दिन उसे बहुत भूख लगी। वह आहार की खोज में पुरे जंगल में घूमता रहा, पर एक चूहा तक हाथ नहीं लगा। इस खोज में ही शाम हो गई। अँधेरा हो रहा था। इसी समय उसे एक माँद दिखाई दी। रात काटने के लिए वह उसी में घुस गया।
उस माँद में घुसकर उसने सोचा, इसमें कोई न कोई पशु तो रहता ही होगा। जब वह विश्राम करने के लिए इसमें घुसेगा, में उसे दबोच लूँगा। यह सोचकर वह माँद में एक ओर छिप कर बैठ गया।
उस माँद में दधिपुच्छ नाम का एक सियार रहा करता था। वह माँद की ओर आ रहा था। माँद के द्वार पर आकर उसने देखा तो उसे सिंह के पैरों के चिन्ह दिखाई दिए। चिन्ह माँद की ओर जाने के लिए तो थे, पर लौटने के नहीं थे। उसने सोचा, हे भगवान! आज तो मेरी जान पर ही आ बनी। इसके भीतर अवश्य कोई सिंह घुसा बैठा है। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। वह पता करना चाहता था की सिंह इस समय भी माँद के भीतर ही है या बाहर निकल गया है।

सोचने से क्या नहीं हो सकता। सोचने-सोचते उसे एक उपाय सूझ ही गया। माँद के द्वार पर जाकर उसने पुकारा, “ऐ मेरी माँद, ऐ मेरी माँद” पुकारकर वह चुप हो गया। कुछ देर बाद उसने कहा, ” अरे, तुझे हो क्या गया है! आज बोलती क्यों नहीं? पहले तो जब मैं तुझे पुकारता था, तू झट बोल पड़ती थी। क्या तू यह भूल गई की मैंने तुझसे कहा था कि मैं जब भी बाहर से आऊँगा, तब तुझे पुकारूँगा और जब तू उत्तर देगी उसके बाद ही मैं माँद के भीतर आऊँगा! यदि तूने इस बार भी उत्तर न दिया तो मैं तुझे छोड़कर किसी दूसरी माँद में चला जाऊँगा।”
अब सिंह को विश्वास हो गया कि सियार के पुकारने पर यह माँद सचमुच उत्तर दिया करती है। उसने सोचा, आज मैं आ गया हूँ, इसलिए डर के मारे इसके मुँह से ध्वनी नहीं निकल रही है। उसने सोचा, यह माँद नहीं बोलती है तो कोई बात नहीं। इसके स्थान पर मैं ही उत्तर दे देता हूँ। यदि चुप रहा तो हाथ आया शिकार भी चला जाएगा। यह सोचकर सिंह ने उसका उत्तर दे दिया। उसकी दहाड़ से वह माँद तो गूँज ही उठी, आस-पास के पशु भी चौकन्ने हो गए।
सियार वहाँ से यही कहते हुए चंपत हो गया कि इस वन में रहते हुए मैं बूढ़ा हो गया, पर आज तक कभी किसी माँद को बोलते हुए नहीं सुना!

कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 17 बोलने वाली माँद का सारांश

एक जंगल में खरनखर नाम का एक सिंह रहता था। एक दिन भूख से व्याकुल होकर वह आहार की खोज में पूरे जंगल में घूमता रहा, पर कुछ भी न मिला। शाम होते-होते उसे एक माँद मिली और उसने उसमें रात बिताने का निर्णय लिया। माँद में छिपकर उसने सोचा कि जब कोई पशु माँद में आएगा तो वह उसे दबोच लेगा।
माँद का मालिक दधिपुच्छ नाम का सियार था। जब सियार वापस आया, तो उसने माँद के द्वार पर सिंह के पैरों के निशान देखे, जो केवल अंदर जाने के थे, बाहर आने के नहीं। सियार को समझ आ गया कि अंदर सिंह है। उसने चालाकी से माँद के पास जाकर पुकारा और कहा कि वह जब भी वापस आता है, तो माँद बोलती है।

सिंह को विश्वास हो गया कि माँद सचमुच बोलती है, इसलिए सिंह ने सियार की पुकार का उत्तर दे दिया। सियार सिंह की दहाड़ सुनकर समझ गया कि उसकी चाल काम कर गई है और वह वहाँ से भाग निकला। उसने जाते-जाते कहा कि उसने कभी माँद को बोलते नहीं सुना।

कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 17 बोलने वाली माँद के महत्वपूर्ण प्रश्न

सिंह का नाम क्या था और वह कहाँ रहता था?
सिंह का नाम खरनखर था और वह जंगल में रहता था।

सिंह को क्यों और कहाँ रात बितानी पड़ी?
सिंह को बहुत भूख लगी थी और आहार की खोज में पूरा जंगल घूमने के बाद भी कुछ नहीं मिला। इसलिए, उसने एक माँद में रात बिताने का निर्णय लिया।

सियार का नाम क्या था और उसने माँद के द्वार पर क्या देखा?
सियार का नाम दधिपुच्छ था। उसने माँद के द्वार पर सिंह के पैरों के निशान देखे, जो केवल अंदर जाने के थे, बाहर आने के नहीं।

सियार ने सिंह की उपस्थिति का पता लगाने के लिए क्या उपाय सोचा?
सियार ने चालाकी से माँद के पास जाकर पुकारा और कहा कि वह जब भी वापस आता है, तो माँद बोलती है। उसने माँद से उत्तर देने की अपेक्षा की, जिससे सिंह ने उत्तर दिया।

सियार ने सिंह की दहाड़ सुनकर क्या किया?
सियार सिंह की दहाड़ सुनकर समझ गया कि उसकी चाल काम कर गई है और वह वहाँ से भाग निकला। उसने जाते-जाते कहा कि उसने कभी माँद को बोलते नहीं सुना।

कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 17 बोलने वाली माँद का उद्देश्य

इस पाठ का मुख्य उद्देश्य यह है कि संकट के समय में बुद्धिमानी और चतुराई से काम लेने पर विपत्ति से बचा जा सकता है। कहानी में सियार ने अपने बुद्धि और चतुराई का इस्तेमाल करके अपनी जान बचाई। यह दर्शाता है कि मुसीबत के समय में धैर्य और सोच-समझ के साथ निर्णय लेना महत्वपूर्ण होता है।

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