एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 16 चंद्रयान

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 16 चंद्रयान के सभी प्रश्नों के उत्तर सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए सत्र 2024-25 के अनुसार यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 3 हिंदी के पाठ 16 में भारत के चंद्रयान मिशन के बारे में छात्रों को बताया गया है और इससे जुड़े तथ्यों का वर्णन किया गया है।

कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 16 चंद्रयान के उत्तर

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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 16 चंद्रयान

कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 16 चंद्रयान – पाठ का विवरण

(कक्षा में अध्यापिका का आगमन और सभी बच्चों का अभिवादना)
सभी विधार्थी – सुप्रभात अध्यापिका जी!
अध्यापिका – सुप्रभात बच्चों! आज हम चाँद के बारे में कुछ बातचीत करते हैं। आप सबने चाँद देखा है न! आपने चाँद की बहुत – सी कविताएँ भी गाई हैं।
सभी विधार्थी – जी हाँ… हमने चाँद देखा है। चाँद कभी दिखाई देता है और कभी नहीं भी दिखता।
अध्यापिका – अच्छा! ऐसा क्यों होता है कि चाँद कभी दिखता है और कभी नहीं दिखता?
एक विधार्थी – अध्यापिका जी! चाँद का मन है, वह दिखे न दिखे।
दूसरी विधार्थी – वह बादलों के साथ छुपन-छुपाई खेलता होगा।
तीसरी विधार्थी – मेरा तो बहुत मन करता है कि मैं चाँद पर जाऊँ।
अध्यापिका – क्या हम चाँद पर जा सकते हैं?
सभी विधार्थी – जी हाँ…!
अध्यापिका – कैसे?
सभी विधार्थी – रॉकेट से…

अध्यापिका – ठीक है! अब यह बताओ कि क्या कोई रॉकेट अभी तक चाँद पर गया है?
सभी विधार्थी – हाँ… हाँ! गया है। एक नहीं… कई गए हैं।
अध्यापिका – अच्छा! कौन-सा रॉकेट?
सभी विधार्थी – चंद्रयान 1, 2, 3!
अध्यापिका – शाबाश! आपको चंद्र्यानों के बारे में तो पता है। हमारे वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 को चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा है। ऐसा करने वाला भारत पहला देश है। है न हम सबके लिए गौरव की बात!
एक विधार्थी – यह दक्षिणी ध्रुव क्या है?
अध्यापिका – जैसे दक्षिण दिशा में धरती का दक्षिणी ध्रुव है, वैसे ही चंद्रमा का भी दक्षिणी ध्रुव है। कठिन परिस्थिति के कारण वहाँ कोई भी यान उतारना मुश्किल है। पर हमारे वैज्ञानिकों ने यह गौरवपूर्ण कार्य कर लिया है। आज की हमारी बातचीत इसी चंद्रयान के बारे में है। हमारे देश के वैज्ञानिक चाँद पर रॉकेट भेजकर यह पता लगाने का प्रयत्न कर रहे हैं कि चाँद पर क्या-क्या है?
कुछ विधार्थी – हमारा भी मन करता है कि हम भी चाँद पर जाकर वहाँ के बारे में जानें।

अध्यापिका – हाँ … हाँ, क्यों नहीं! अच्छा यह बताएँ कि वैज्ञानिकों को चाँद में क्या-क्या मिला होगा?
कुछ विधार्थी – पानी, मिट्ठी,…!
अध्यापिका – एकदम सही! आप तो बहुत कुछ जानते हैं। आपको तो पता ही है कि चाँद धरती से बहुत दूर है। इसलिए वैज्ञानिकों ने चाँद पर एक रॉकेट भेजा और जानने का प्रयास किया कि वहाँ क्या-क्या है? उन्होंने इसे ‘चंद्रयान मिशन’ का नाम दिया। ‘चंद्रयान’ ने चाँद के चारों ओर चक्कर लगाया और यह पता लगाया कि चाँद पर पानी है।
एक विधार्थी – वैज्ञानिकों को इतनी दूर जाकर पानी का पता लगाने की क्या आवश्यकता थी? हमारे घर के आस-पास पानी से भरे तीन-चार पोखर हैं।
एक अन्य विधार्थी – वे पानी लेने हैं, वे तो चाँद के रहस्यों का पता लगाने गए थे।

अध्यापिका – हाँ, बिलकुल ठीक कहा। एक रहस्य जानने के बाद वैज्ञानिकों की जिज्ञासा और बढ़ी। उन्होंने फिर से रॉकेट भेजने की योजना बनाई और उन्होंने दूसरा रॉकेट भेजा और इसे ‘चंद्रयान-2’ का नाम दिया; पर यह कुछ खराबी के कारण चाँद पर उतर नहीं पाया। वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी। वे तो फिर से अपने कार्य में जुट गए… और उनका परिश्रम रंग लाया। इस बार चंद्रयान-3 चाँद पर पहुँच गया। आप सबने टीवी पर देखा होगा।
एक विधार्थी – मैं टीवी पर नहीं देख पाई थी, पर मैंने रेडियो पर सुना था।
एक अन्य विधार्थी – और प्रधानाध्यापिका ने भी तो सुनाया था।
अध्यापिका – तो देखा आपने, अपने देश के वैज्ञानिकों के परिश्रम का फल!
एक विधार्थी – अब चाँद पर क्या चल रहा है?

अध्यापिका – बहुत अच्छा प्रश्न, शाबाश… आपको पता है जो मशीन चाँद पर उतरी है, उसका नाम ‘विक्रम लैंडर’ है। यह लैंडर अपने साथ एक अन्य मशीन लेकर गया है जिसका नाम ‘प्रज्ञान’ है। यही प्रज्ञान चाँद पर घूम-घूमकर यह पता लगा रहा है कि चाँद की मिट्टी पृथ्वी जैसी है या नहीं; चाँद पर रहना संभव है या नहीं…
एक विधार्थी – यह तो हमें पता ही नहीं था! (आश्चर्य से)
अध्यापिका – आओ! सब मिलकर गाते हैं।
“चंदा के गाँव में, तारों की छाँव में, हम सैर करने जाएँगे, हम सैर करने जाएँगे।
हम कैसे जाएँगे? हम कैसे जाएँगे? हम चंद्रयान से जाएँगे, हम चंद्रयान से जाएँगे।”

कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 16 चंद्रयान – सारांश

चंद्रयान संवाद कक्षा में अध्यापिका और विद्यार्थियों के बीच चाँद और चंद्रयान मिशन पर आधारित बातचीत को दर्शाता है। अध्यापिका कक्षा में प्रवेश करती हैं और बच्चों को चाँद के बारे में बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। बच्चे चाँद के बारे में अपनी धारणाएँ और इच्छाएँ साझा करते हैं। अध्यापिका बच्चों को चंद्रयान मिशन के बारे में बताती हैं, जिसमें भारत के वैज्ञानिकों द्वारा चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतारने का उल्लेख है।

बच्चों को चाँद के रहस्यों के बारे में जानने की उत्सुकता होती है। अध्यापिका बताती हैं कि चंद्रयान मिशन चाँद पर पानी और अन्य तत्वों की खोज के लिए किया गया था। वैज्ञानिकों की मेहनत और संकल्प की प्रशंसा करते हुए, अध्यापिका बच्चों को ‘विक्रम लैंडर’ और ‘प्रज्ञान’ के कार्यों के बारे में भी जानकारी देती हैं। अंत में, सभी बच्चे मिलकर एक गीत गाते हैं जो चाँद पर यात्रा करने की उनकी उत्सुकता को दर्शाता है।

कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 16 चंद्रयान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

अध्यापिका ने बच्चों से किस विषय पर बातचीत की शुरुआत की?
अध्यापिका ने बच्चों से चाँद के बारे में बातचीत की शुरुआत की।

चंद्रयान-3 के बारे में अध्यापिका ने क्या बताया?
अध्यापिका ने बताया कि चंद्रयान-3 को भारत के वैज्ञानिकों ने चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतारा है और ऐसा करने वाला भारत पहला देश है।

चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 का उद्देश्य क्या था?
चंद्रयान-1 का उद्देश्य चाँद के चारों ओर चक्कर लगाकर यह पता लगाना था कि वहाँ पानी है या नहीं। चंद्रयान-2 चाँद पर उतरने के लिए भेजा गया था, लेकिन यह कुछ खराबी के कारण उतर नहीं पाया।

‘विक्रम लैंडर’ और ‘प्रज्ञान’ का कार्य क्या है?
‘विक्रम लैंडर’ चाँद पर उतरने वाली मशीन है जो अपने साथ ‘प्रज्ञान’ नामक एक अन्य मशीन लेकर गया है। ‘प्रज्ञान’ चाँद पर घूम-घूमकर यह पता लगा रहा है कि चाँद की मिट्टी पृथ्वी जैसी है या नहीं और चाँद पर रहना संभव है या नहीं।

बच्चों ने चाँद पर जाने के लिए कौन-से वाहन का नाम लिया?
बच्चों ने चाँद पर जाने के लिए ‘रॉकेट’ का नाम लिया और विशेष रूप से ‘चंद्रयान’ का उल्लेख किया।

कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 16 चंद्रयान का उद्देश्य

इस पाठ का मुख्य उद्देश्य बच्चों को चाँद और चंद्रयान मिशन के बारे में जागरूक करना है। यह पाठ बच्चों की वैज्ञानिक जिज्ञासा को प्रोत्साहित करता है और उन्हें चंद्रयान मिशन के महत्व और भारत के वैज्ञानिकों की उपलब्धियों से परिचित कराता है। साथ ही, यह पाठ बच्चों को विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में प्रेरित करने का प्रयास करता है। पाठ का संवाद शैली में होना बच्चों को विषय के प्रति रुचि और समझ बढ़ाने में सहायक होता है।

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