एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 6 चींटा
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 6 चींटा के प्रश्न उत्तर अभ्यास के हल सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड सत्र 2024-25 के लिए छात्र यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। दूसरी कक्षा के पाठ 6 में हम सीखते हैं कि किसी प्रकार चींटा बहुत मेहनत से चींटियों के लिए खाने पीने का सामान तथा घर बनाते हैं।
एनसीईआरटी कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 6 चींटा
कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 6 चींटा के प्रश्न उत्तर
चींटा
चींटा-चींटा दूध ला,
दूध लाकर दही जमा,
बढ़िया-बढ़िया दही जमा,
खट्टा-मीठा दही जमा।
चींटा-चींटा गन्ना ला,
गन्ना लाकर शक्कर बना,
चींटी भूखी आएगी,
झटपट वो खा जाएगी।
चींटा-चींटा शक्कर ला,
शक्कर लाकर शरबत बना,
चींटी प्यासी आएगी,
झटपट वो पी जाएगी।
चींटा-चींटा घर बना,
चींटी धूप से आएगी,
देख के खुश हो जाएगी,
झट-से वो रुक जाएगी।
चींटा-चींटा बाज़ार जा,
शक्कर ला, चावल ला,
रोटी ला, पानी ला,
झटपट जा, झटपट आ।
चींटी जब घर आएगी,
देख के खुश हो जाएगी,
तेरे ही गुण गाएगी,
तेरे ही गुण गाएगी।
चींटी और दूध का सफर
एक छोटे से गाँव में, एक चींटा था जिसे दूध और दही की बहुत चाह थी। एक दिन, उसने ठान लिया कि वह खुद दूध लाकर दही जमाएगा। उसने दूध लाया और उसे ध्यान से जमाया। जब दही जम गया, तो वह बहुत खुश हुआ। उसने देखा कि दही बड़ा ही स्वादिष्ट और खट्टा-मीठा बना था। इस प्रक्रिया में उसने धैर्य और समर्पण का परिचय दिया।
चींटी की शक्कर यात्रा
चींटा को शक्कर की भी उतनी ही आवश्यकता थी। इसलिए, उसने गन्ने लाकर शक्कर बनाने का निश्चय किया। वह गन्ना लेकर आया और उसे पीस कर शक्कर बनाई। जब चींटी भूखी आई, तो उसने शक्कर को झटपट खा लिया। इससे चींटा को समझ में आया कि कड़ी मेहनत से ही स्वादिष्ट परिणाम मिलते हैं।
चींटी और शरबत की कहानी
चींटी की प्यास बुझाने के लिए, चींटा ने शक्कर से शरबत बनाया। उसने शक्कर लाकर, उसे पानी में मिलाया और एक ठंडा शरबत तैयार किया। जब चींटी प्यासी आई, तो उसने शरबत को बड़े आनंद से पिया। इससे चींटा को एहसास हुआ कि दूसरों की सहायता करने में जो खुशी मिलती है, वह अनमोल होती है।
चींटी का घर
चींटी को धूप से बचाने के लिए, चींटा ने एक छोटा सा घर बनाया। उसने सोचा कि जब चींटी धूप से आएगी, तो इस घर में आकर वह आराम से रुक सकेगी। वास्तव में, जब चींटी ने घर देखा, तो वह बहुत खुश हुई और उसमें रुक गई। चींटा ने सीखा कि छोटी-छोटी चीजें भी दूसरों को खुश कर सकती हैं।
चींटी के लिए बाज़ार की यात्रा
चींटी के लिए और भी सामान लाने की इच्छा से, चींटा बाज़ार गया। वहाँ से उसने शक्कर, चावल, रोटी, और पानी लाया। उसकी यह यात्रा झटपट हो गई, क्योंकि उसे पता था कि चींटी उसका इंतजार कर रही होगी। उसने सीखा कि जब हम किसी के लिए कुछ करते हैं, तो उसे दिल से और पूरी तत्परता से करना चाहिए।
चींटी का आभार
जब चींटी घर लौटी और सब कुछ देखा, तो वह बहुत खुश हुई। उसने चींटा के गुणों की प्रशंसा की और उसके लिए गीत गाए। चींटी ने महसूस किया कि चींटा ने उसके लिए जो किया, वह सिर्फ सामग्री से अधिक था; यह उसके प्रेम और समर्पण का प्रतीक था। इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि प्रेम और सेवा के माध्यम से हम दूसरों के दिलों में अमिट छाप छोड़ सकते हैं।