एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 25 सबसे बड़ा छाता
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 25 सबसे बड़ा छाता के प्रश्न उत्तर और अतिरिक्त प्रश्नों के हल सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। छात्र कक्षा 2 हिंदी के पाठ 25 में सबसे बड़े छाते के बारे में पढेंगे और यह भी जानेंगे कि कितना बड़े से बड़ा छाता भी किस प्रकार छोटा पढ़ने लगा था।
कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 25 के लिए एनसीईआरटी समाधान
कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 25 सबसे बड़ा छाता के प्रश्न उत्तर
सबसे बड़ा छाता
बारिश! झमा-झम बारिश! लगातार बारिश! छत पर झमा-झम। घर में टप-टप। और आँगन में… छप-छपाक। गीला हो गया बिस्तर, अम्मा की साड़ी,और दादी का कंबल। गीला और सर्द हो गया पूरा शहर। लेकिन मैं, मेरे पास है छाता। छाते के भीतर मैं और सलीम। बिलकुल सूखे और गरम। मैंने छाते में टिल्लू को भी बुलाया। अब टिल्लू बिलकुल सूखा। मैं और सलीम कुछ गीले-गीले से। मैंने दयाल चाचू से बड़ा छाता माँग लिया। अब सब छाते के अंदर। फिर लता और मोनू भी आ गए। बड़ा छाता पड़ गया छोटा। दयाल चाचू से और बड़ा छाता ले आए। अब सब छाते के अंदर। शलीन और सनत भी आ गए। और बड़ा छाता पड़ गया छोटा। दयाल चाचू से बहुत बड़ा छाता ले आए। अब सब छाते के अंदर। सोनू, हामिद , हरमीत सब के सब आ गए। बहुत बड़ा छाता भी पड़ गया छोटा। दयाल चाचू बहुत बड़े छाते से बहुत-बहुत बड़ा छाता दो। दयाल चाचू ने कहा— इससे बड़ा छाता तो बनता ही नहीं। बड़ा होकर मैं दुनिया का सबसे बड़ा छाता बनाऊँगा। आसमान जितना बड़ा! जो बारिश में पूरे शहर को छुपा लेगा। टिल्लू, सलीम, अम्मा , चाचू, राकेश, हामिद , हरमीत, शलीन और सनत। सब होंगे छाते के भीतर। सूखे और गरम। बारिश! झमा-झम बारिश! घर में टप-टप। और आँगन में… छप-छपाक।
बारिश की शुरुआत
झमा-झम गिरती बारिश ने अपनी लय में सब कुछ समेट लिया था। आकाश से गिरते पानी की बूँदों ने छतों पर अपना संगीत बजाया और घरों में टप-टप करती बूँदें मानो एक संगीतमय आमंत्रण दे रही थीं। आँगन में पानी के छप-छपाक से खेलते बच्चों की हँसी गूँज उठी। इस बारिश ने न केवल बिस्तर, अम्मा की साड़ी, और दादी का कंबल को गीला कर दिया था, बल्कि पूरे शहर को एक सर्द और गीले आवरण में लपेट दिया था।
छाते के नीचे एक दुनिया
मैंने अपने पास रखे छाते को खोला और उसके नीचे एक छोटी सी दुनिया बसा ली। इस दुनिया में मैं और मेरा दोस्त सलीम बिलकुल सूखे और गरम थे। जल्द ही, मैंने टिल्लू को भी इस छोटी दुनिया में शामिल कर लिया। छाते के नीचे का यह संसार हमें बारिश की ठंडक से दूर रखता, लेकिन जैसे-जैसे हम अधिक लोगों को अपने साथ लेते गए, हमारा संसार छोटा पड़ने लगा।
एक बड़े छाते की तलाश
मैंने दयाल चाचू से एक बड़ा छाता माँगा, ताकि हम सब उसके नीचे समा सकें। जैसे ही लता और मोनू भी हमारे साथ आए, वह बड़ा छाता भी छोटा पड़ने लगा। दयाल चाचू की मदद से हमने एक और बड़ा छाता हासिल किया। अब हमारी छोटी दुनिया में शलीन और सनत भी आ गए। हालांकि, जैसे-जैसे हमारा समूह बढ़ता गया, वैसे-वैसे हर बार छाता छोटा पड़ता गया।
असंभव सपने की ओर
दयाल चाचू से मिला आखिरी बहुत बड़ा छाता भी जल्द ही छोटा पड़ गया जब सोनू, हामिद, और हरमीत हमारे साथ जुड़ गए। दयाल चाचू ने बताया कि इससे बड़ा छाता तो बनता ही नहीं है। इस पल ने मुझे एक सपना दिया, एक ऐसा सपना जो शायद असंभव सा लगे। मैंने सोचा, एक दिन मैं दुनिया का सबसे बड़ा छाता बनाऊँगा, आसमान जितना बड़ा, जो पूरे शहर को बारिश से बचा सके।
सामूहिक सपने की उड़ान
मेरे इस सपने में सिर्फ मैं नहीं, बल्कि टिल्लू, सलीम, अम्मा, चाचू, राकेश, हामिद, हरमीत, शलीन, और सनत सभी शामिल होंगे। हम सभी इस विशाल छाते के नीचे सूखे और गरम रहेंगे। यह सपना सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि हम सबका सामूहिक सपना बन गया है।
बारिश और सपनों का मेल
बारिश अब भी झमा-झम गिर रही है, घरों में टप-टप की आवाज़ें हैं, और आँगन में छप-छपाक की गूँज है। लेकिन अब इस बारिश में हम सभी के दिलों में एक नई उम्मीद और सपने हैं। एक सपना जो हमें बताता है कि कोई भी चुनौती, चाहे वह बारिश की बौछार हो या जीवन की कठिनाइयाँ, हमें एक साथ ला सकती हैं और हमें एक दूसरे के लिए और भी मजबूत बना सकती हैं।