एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 18 शेर और चूहे की दोस्ती
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 18 शेर और चूहे की दोस्ती के प्रश्न उत्तर सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 2 हिंदी के इस पाठ में हमें यहाँ समझाया गया है कि कोई छोटा या बड़ा नहीं होता वह अपने कामों से ही बड़ा बन सकता है।
कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 18 के लिए एनसीईआरटी समाधान
कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 18 शेर और चूहे की दोस्ती के प्रश्न उत्तर
शेर और चूहे की दोस्ती
शेर मतवाली चाल से चला जा रहा था। अचानक उसे एक हल्की-सी चीख सुनाई दी। एक चूहे की पूँछ उसके पंजे के नीचे आ गई थी। शेर ने अपना पैर हटाया, चूहा फुदककर झाड़ियों में चला गया। एक दिन शिकारी ने शिकार पकड़ने के लिए जाल बिछाया। उस जाल में शेर फँस गया। वह ज़ोर-ज़ोर से दहाड़ने लगा। जंगल में रहने वाले हाथी, भालू, हिरण, खरगोश, लोमड़ी, बंदर और अजगर समेत सभी पशु-पक्षियों ने दहाड़ सुनी पर कोई भी शेर की सहायता को नहीं आया। हाँ, चूहा ज़रूर भागा-भागा वहाँ आया। वह अपने पैने दाँतों से जल्दी -जल्दी जाल कुतरने लगा। कुछ ही पल में सारा जाल कट गया और शेर आज़ाद हो गया।
शेर और चूहे की पहली मुलाकात
एक सुनहरी दोपहरी थी, जब एक विशाल शेर अपनी राजसी चाल से जंगल में विचरण कर रहा था। उसका हर कदम शक्ति और गरिमा का प्रतीक था। जंगल के राजा के रूप में, उसकी उपस्थिति ही पर्याप्त थी कि जंगल के अन्य निवासी उससे दूर रहें। लेकिन, इसी विचरण के दौरान, उसे अचानक एक हल्की चीख सुनाई दी। नज़र डालते ही उसे एहसास हुआ कि उसके शक्तिशाली पंजे के नीचे एक छोटा चूहा फँस गया था, जिसकी पूँछ उसने अनजाने में कुचल दी थी।
शेर की दयालुता
शेर ने तुरंत ही अपना पैर हटा लिया, दया का भाव उसकी आँखों में झलक उठा। चूहा, जो कि डर के मारे कांप रहा था, ने इस अप्रत्याशित कृपा को देखकर राहत की सांस ली। वह फुदकता हुआ निकटवर्ती झाड़ियों में चला गया, जीवन की एक नई आशा के साथ। यह घटना न केवल शेर के हृदय की विशालता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे सबसे शक्तिशाली प्राणी भी दया और करुणा के भाव रख सकता है।
शिकारी का जाल
दिन बीते, और एक दिन जंगल में शिकार की तलाश में एक शिकारी आया। उसने चतुराई से एक जाल बिछाया, जिसमें जंगल के राजा को फंसाने की योजना थी। उसकी योजना कामयाब रही, और अनजाने में शेर उस जाल में फँस गया। वह ज़ोर-ज़ोर से दहाड़ने लगा, अपने शक्तिशाली स्वर से जंगल को गूँजा दिया।
जंगल की प्रतिक्रिया
शेर की दहाड़ सुनकर, जंगल के हर कोने में रहने वाले पशु-पक्षी चौंक उठे। हाथी, भालू, हिरण, खरगोश, लोमड़ी, बंदर, और अजगर सहित सभी ने इस आवाज़ को सुना। लेकिन, कोई भी शेर की सहायता के लिए आगे नहीं आया। शायद, उन्हें डर था, या फिर उन्होंने सोचा कि राजा को किसी सहायता की आवश्यकता ही नहीं हो सकती।
चूहे की वीरता
लेकिन, वहीं छोटा चूहा, जिसे शेर ने कभी दया दिखाई थी, बिना किसी डर के भागा-भागा शेर के पास आया। उसने अपने तेज और पैने दाँतों से जाल को कुतरना शुरू किया। उसकी छोटी, लेकिन मजबूत जबड़ों ने बिना रुके काम किया, और कुछ ही समय में, जाल कटकर अलग हो गया।
शेर की आज़ादी
अंततः, वह भारी जाल टूट गया, और शेर एक बार फिर से आज़ाद हो गया। उसकी आज़ादी का क्षण न केवल उसके लिए, बल्कि उस छोटे चूहे के लिए भी एक विजय का क्षण था, जिसने अपनी छोटी उपस्थिति से बड़े काम को अंजाम दिया। यह घटना जंगल में सभी के लिए एक सबक थी कि शक्ति और आकार में नहीं, बल्कि कर्मों में होती है।