एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 6 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 6 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति के उत्तर अभ्यास के सवाल जवाब हिंदी और अंग्रेजी मीडियम में सत्र 2024-25 के लिए संशोधित रूप में यहाँ उपलब्ध हैं। यहाँ दिए गए कक्षा 11 भौतिक विज्ञान पाठ 6 के प्रश्न उत्तर सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए उपयोगी हैं।

कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 6 के लिए एनसीईआरटी समाधान

आदर्श दृढ़ पिण्ड की परिभाषा

आदर्श दृढ़ पिण्ड एक ऐसा पिण्ड है जिसकी एक सुनिश्चित और अपरिवर्तनीय आकृति होती है। इस प्रकार के ठोस के सभी कण युग्मों के बीच की दूरियाँ परिवर्तित नहीं होती।
दृढ़ पिण्ड की तीन तरह की गतियाँ
किसी दृढ़ पिंड में तीन तरह की गतियाँ हो सकती हैं:
(i) शुद्ध स्थानांतरण गति में किसी क्षण विशेष पर पिण्ड का प्रत्येक कण समान वेग से चलता है।
(ii) एक ऐसा दृढ़ पिण्ड जो न तो किसी चूल पर टिका हो और न ही किसी रूप में स्थिर हो, दो प्रकार की गति कर सकता है – या तो शुद्ध स्थानांतरण या स्थानांतरण एवं घूर्णन गति का संयोजन।
(iii) एक ऐसे दृढ़ पिण्ड की गति जो या तो चूल पर टिका हो या किसी न किसी रूप में स्थिर हो, घूर्णी गति होती है। घूर्णन किसी ऐसी अक्ष के परितः हो सकता है जो स्थिर हो (जैसे छत के पंखे में) या फिर एक ऐसी अक्ष के परितः जो स्वयं घूमती हो (जैसे इधर से उधर घूमते मेज के पंखे में)।

कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 6 के लिए बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर

Q1

निम्नलिखित में से किस पिंड का द्रव्यमान केंद्र उसके बाहर स्थित होता है।

[A]. पेंसिल
[B]. शॉटपुट (गोला)
[C]. पासा
[D]. चूड़ी
Q2

जब कोई डिस्क एक समान कोणीय वेग से घूर्णन करती है, तो निम्नलिखित में कौन-सा कथन सत्य नहीं होता?

[A]. घूर्णन की दिशा समान रहती है।
[B]. घूर्णन अक्ष का दिक्-विन्यास समान रहता है।
[C]. घूर्णन की चाल शून्येतर होती है तथा समान रहती है।
[D]. कोणीय त्वरण शून्येतर होता है तथा समान रहता है।
Q3

किसी एक समान वर्गकार प्लेट से कोई अनियमित आकृति का छोटा टुकड़ा काटकर इसे प्लेट के केंद्र से चिपका दिया गया है और प्लेट में पूर्व स्थान पर छिद्र छोड़ दिया गया है। तब z-अक्ष के परितः इस प्लेट का जड़त्व आघूर्ण

[A]. बढ़ जाता है।
[B]. घट जाता है।
[C]. समान रहता है।
[D]. अननुमेयित रूप से बदल जाता है।
Q4

1 m लंबी किसी असमान छड़ का घनत्व इस प्रकार व्यक्त किया गया है: 𝜌(x) = a(1+bx²) यहाँ a तथा b स्थिरांक हैं तथा 0 ≤ x ≤ 1, इस छड़ का द्रव्यमान केंद्र होगा

[A]. 3(2 + b)/4(3 + b)
[B]. 4(2 + b)/3(3 + b)
[C]. 3(3 + b)/4(2 + b)
[D]. 4(3 + b)/3(2 + b)

द्रव्यमान केंद्र एवं उसके अनुप्रयोग

किसी कण तंत्र का द्रव्यमान केंद्र वह बिंदु होता है जिस पर उस कण तंत्र के कणों का सम्पूर्ण द्रव्यमान इसकी स्थानांतरीय गति के अध्ययन के लिये प्रभावी रूप से केंद्रित हुआ माना जा सकता है।
उदाहरण: माना कि दो कणों की, किसी मूल बिन्दु O से दूरियाँ क्रमशः x₁ एवं x₂ हैं। इन कणों के द्रव्यमान क्रमशः m₁ एवं m₂ हैं। इन दो कणों के निकाय का द्रव्यमान केन्द्र C एक ऐसा बिन्दु होगा जिसकी O से दूरी, X का मान हो
X = (m₁x₁ + m₂x₂)/(m₁ + m₂)
नोट: यदि m₁ + m₂ = m होगा तो X = (x₁ + x₂)/2

कक्षा 11 भौतिक विज्ञान पाठ 6 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

पृथ्वी पर किसी वस्तु का गुरुत्व केंद्र लघु पिड के लिए उसके द्रव्यमान केंद्र के संपाती होता है जबकि विस्तृत पिडों में संभवतः ऐसा नहीं होता। इस संदर्भ में लघु एवं विस्तृत का गुणात्मक अर्थ क्या है? निम्नलिखित में किसके लिए ये दोनों संपाती होते हैं? कोई भवन, तालाब, झील, पर्वत।

जब पिंड की ऊर्ध्वाधर ऊँचाई पृथ्वी की त्रिज्या की तुलना में बहुत कम होती है तो हम उसे लघु पिंड कहते हैं अन्यथा यह विस्तारित पिंड कहलाता है।
(A) भवन और तालाब लघु पिंड हैं।
(B) एक गहरी झील और पर्वत विस्तारित पिंडों के उदाहरण हैं।

अपने तल के लंबवत् तथा अपने केंद्र से गुजरने वाले अक्ष के परितः एक समान गति करते किसी पहिए को यांत्रिकीय (स्थनांतरीय तथा घूर्णी) साम्य में माना जाता है क्योंकि इसकी गति को बनाये रखने के लिए किसी नेट बाह्य बल अथवा बल आघूर्ण की आवश्यकता नहीं है। तथापि जिन कणों से मिलकर यह पहिया बना है वे केंद्र की ओर निर्दिष्ट अभिकेंद्र बल का अनुभव करते हैं। पहिये की साम्यावस्था के साथ आप इस तथ्य से कैसे सामंजस्य बैठाएँगे। आप किसी आधे पहिये को पहिये के तल के लंबवत् तथा उसके द्रव्यमान केंद्र से गुजरने वाले अक्ष के परितः एक समान गति में कैसे स्थापित करेंगे। क्या आपको इसकी गति बनाए रखने के लिए किसी बाह्य बल की आवश्यकता होगी?

किसी पहिये में अभिकेंद्री बल आंतरिक प्रत्यास्थ बलों के कारण उत्पÂ होते हैं जो एक समनित तंत्र का अंग होने के कारण युग्मों में एक दूसरे को निरस्त कर देते हैं। आधे पहिए में, द्रव्यमान केंद्र (घूर्णन अक्ष) के चारों ओर द्रव्यमान-वितरण, सममित नहीं है। इसलिए कोणीय संवेग की दिशा कोणीय वेग की दिशा के संपाती नहीं होती और इसलिए घूर्णन जारी रखने के लिये एक बाह्य बल-आघूर्ण की आवश्यकता होती है।

दो चक्रिकाएँ, जिनके अपनी संगत अक्षों (चक्रिका के अभिलंबवत् तथा उनके केंद्र से गुजरने वाली) के परितः जड़त्व आघूर्ण I₁ तथा I₂ हैं। कोणीय चालों ω₁ तथा ω₂ से घूर्णन करते हुए अपने-अपने फलकों के साथ घूर्णन अक्षों को संपाती रखते हुए संपर्क में लाई जाती हैं। क्या इस स्थिति पर कोणीय संवेग संरक्षण नियम लागू होता है? क्यों?

जी हाँ, क्योंकि निकाय पर कोई बाह्य बल-आघूर्ण प्रभावी नहीं है। बाह्य गुरुत्वाकर्षण एवं अभिलम्बवत प्रतिक्रिया घूर्णन अक्ष के अनुदिश ही कार्य करते हैं। अतः कोई बल-आघूर्ण उत्पन्ननहीं करते।

कक्षा 11 भौतिक विज्ञान पाठ 6 एमसीक्यू के उत्तर
Q5

त्रिज्या r तथा द्रव्यमान M के छल्ले जैसे प्लेटफार्म का बना कोई मेरी-गो-राउंड झूला कोणीय चाल ω से परिक्रमण कर रहा है। M द्रव्यमान का कोई व्यक्ति इस झूले पर खड़ा है। किसी क्षण विशेष पर यह व्यक्ति इस झूले से, इस झूले के केंद्र से परे त्रिज्यतः (झूले से देखने पर) कूदता है। इसके पश्चात् झूले की चाल है

[A].
[B]. ω
[C]. ω/2
[D]. 0
Q6

सही विकल्प चुनिए

[A]. किसी व्यापक घूर्णी गति के लिए कोणीय सवंगे L तथा कोणीय वेग ω का समातंर होना चाहिए है।
[B]. किसी स्थिर अक्ष के परितः घूर्णी गति के लिए कोणीय संवेग L तथा कोणीय वेग ω सदैव समांतर होते हैं।
[C]. किसी व्यापक स्थानांतरीय गति के लिए संवेग P तथा वेग v सदैव समांतर होते हैं।
[D]. किसी व्यापक स्थानांतरीय गति के लिए त्वरण a तथा वेग v सदैव समांतर होते हैं।
Q7

कणों के किसी निकाय का किसी अक्ष के परितः नेट बाह्य बल-आघूर्ण शून्य है। निम्नलिखित में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?

[A]. इस अक्ष पर किसी बिदु से बल त्रिज्यतः कार्य कर रहे हो सकते हैं।
[B]. बल घूर्णन अक्ष पर कार्यरत नहीं हो सकते हैं।
[C]. बल घूर्णन अक्ष के समांतर कार्यरत हो सकते हैं।
[D]. कुछ बलों के कारण बल आघूर्ण, कुछ अन्य बलों के कारण बल आघूर्णों के बराबर एवं विपरीत हो सकते हैं।
निकाय के रेखीय संवेग और उसकी परिभाषा

कणों के किसी निकाय का द्रव्यमान केन्द्र इस प्रकार गति करता है मानो निकाय का संपूर्ण द्रव्यमान उसमें संकेन्द्रित हो और सभी बाह्य बल उसी पर आरोपित हों।
रेखीय संवेग की परिभाषा करने वाला व्यंजक है: p = mv
एक निकाय पर विचार करें जिनके द्रव्यमान क्रमशः m₁, m₂, …., mₙ है और वेग क्रमशः v₁, v₂, …., vₙ हैं। कण, परस्पर अन्योन्य क्रियारत हो सकते हैं और उन पर बाह्य बल भी लगे हो सकते हैं। पहले कण का रेखीय संवेग m₁v₁, दूसरे कण का रेखीय संवेग m₂v₂ और इसी प्रकार अन्य कणों के रेखीय संवेग भी हैं।
n कणों के इस निकाय का कुल रेखीय संवेग, एकल कणों के रेखीय संवेगों के सदिश योग के बराबर है।
P = P ₁ + P ₂ + …….. + Pₙ = m₁v₁ + m₂v₂ + ……… + mₙvₙ
या P = MV

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