एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 4 गति के नियम

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 4 गति के नियम के सभी प्रश्नों के हल विस्तार से उत्तर हिंदी और अंग्रेजी में यहाँ से प्राप्त करें। 11वीं कक्षा भौतिक विज्ञान पाठ 4 के प्रश्नों के उत्तर सीबीएसई के साथ-साथ अन्य राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए भी लाभदायक है। अतः छात्र इन प्रश्नों को ध्यान से पढ़ें।

कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 4 के लिए एनसीईआरटी समाधान

जड़त्व का सिद्धांत और उसके महत्व

यदि नेट बाह्य बल शून्य है तो विराम अवस्था में रह रहा पिण्ड विरामावस्था में ही रहता है और गतिशील पिण्ड निरंतर एकसमान वेग से गतिशील रहता है। वस्तु के इस गुण को जड़त्व कहते हैं। जड़त्व से तात्पर्य है ‘परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध’।
कोई पिण्ड अपनी विरामावस्था अथवा एकसमान गति की अवस्था में तब तक कोई परिवर्तन नहीं करता जब तक कोई बाह्य बल उसे ऐसा करने के लिए विवश नहीं करता।

कक्षा 11 भौतिकी पाठ 4 के लिए बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर

Q1

कोई गेंद एक समान स्थानांतरीय गति कर रही है। इसका अर्थ है कि:

[A]. यह विराम अवस्था में है।
[B]. इसका पथ सरल रेखीय अथवा वृत्ताकार हो सकता है और गेंद एक समान चाल से चल रही है।
[C]. गेंद के सभी भागों का वेग (परिमाण एवं दिशा) समान है तथा यह वेग नियत है।
[D]. गेंद का केंद्र अचर वेग से गति करता है तथा गेंद अपने केंद्र के परितः एक समान घूर्णन करती है।
Q2

कोई मीटर स्केल एक समान वेग से गतिमान है। इसका अर्थ है कि

[A]. स्केल पर लगने वाले बल का परिमाण शून्य है। परंतु स्केल पर द्रव्यमान केंद्र के परितः कोई बल-आघूर्ण कार्य कर सकता है।
[B]. स्केल पर लगने वाले बल का परिमाण शून्य है और स्केल के द्रव्यमान केंद्र के परितः कार्य करने वाला बल आघूर्ण भी शून्य है।
[C]. इस पर लगने वाला कुल बल शून्य होना आवश्यक नहीं है परंतु इस पर कार्य करने वाला बल-आघूर्ण शून्य है।
[D]. स्केल पर कार्य करने वाले न तो बल और न ही बल आघूर्ण का शून्य होना आवश्यक है।
Q3

कणों के बीच संघट्ट में संवेग संरक्षण का अवबोधन किस आधार पर किया जा सकता है?

[A]. ऊर्जा संरक्षण
[B]. केवल न्यूटन का प्रथम नियम
[C]. केवल न्यूटन का द्वितीय नियम
[D]. न्यूटन के द्वितीय एवं तृतीय नियम
Q4

हॉकी का कोई खिलाड़ी विपक्षी से बचने के लिए उत्तर दिशा में जाते-जाते पूर्ववर्ती चाल से ही अचानक पश्चिम की ओर मुड़ जाता है। खिलाड़ी पर लगने वाला बल है:

[A]. पश्चिम दिशा में घर्षण बल
[B]. दक्षिण दिशा में पेशीय बल
[C]. दक्षिण-पश्चिम दिशा में घर्षण बल
[D]. दक्षिण-पश्चिम दिशा में पेशीय बल

बाह्य बल के अभाव में पिण्ड की गति और त्वरण

प्रत्येक पिण्ड तब तक अपनी विरामावस्था अथवा सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में रहता है जब तक कोई बाह्य बल उसे अन्यथा व्यवहार करने के लिए विवश नहीं करता। दूसरे शब्दों में यदि किसी पिण्ड पर लगने वाला कुल बाह्य बल शून्य है, तो उसका त्वरण शून्य होता है। शून्येतर त्वरण केवल तभी हो सकता है जब पिण्ड पर कोई नेट बाह्य बल लगता हो।

कक्षा 11 भौतिक विज्ञान पाठ 4 एमसीक्यू के उत्तर

Q5

विराम अवस्था से गति आरंभ करने वाली m द्रव्यमान की किसी कार का 2 s में पूर्व दिशा में वेग v = vî (v > 0) हो जाता है। यह मानते हुए कि कार एक समान त्वरण से गति करती है, कार पर लगने वाला बल का परिमाण:

[A]. mv/2 पूर्व दिशा के अनुदिश है और कार के इंजन द्वारा लगाया जाता है।
[B]. mv/2 पूर्व दिशा के अनुदिश है और सड़क तथा टायरों के बीच घर्षण के कारण है।
[C]. mv/2 से अधिक पूर्व के अनुदिश है तथा यह इंजन द्वारा सड़क के घर्षण से पार पाने के लिए लगता है।
[D]. mv/2 है जो इंजन के कारण लगता है।
Q6

5 m s⁻¹ चाल से 50 g द्रव्यमान की दो विलियर्ड गेंद विपरीत दिशाओं में गमन करते हुए एक दूसरे से संघट्ट करती हैं और संघट्ट के पश्चात् उसी चाल से वापस लौट जाती हैं। यदि संघट्ट काल 10⁻³ s हो, तो निम्नलिखित में कौन से कथन सही हैं?

[A]. प्रत्येक गेंद को दिया गया आवेग 0.25 kg m s⁻¹ है और प्रत्येक गेंद पर कार्यरत बल 250 N है।
[B]. प्रत्येक गेंद को दिया गया आवेग 0.25 kg m s⁻¹ है और प्रत्येक गेंद पर कार्यरत बल 25 × 10⁻⁵ N है।
[C]. प्रत्येक गेंद को दिया गया आवेग 1 Ns है।
[D]. प्रत्येक गेंद पर आवेग और बल परिमाण में बराबर तथा दिशा में विपरीत हैं।

प्रवर्तन की परिभाषा और गणना

किसी पिण्ड के संवेग को उसकी संहति m तथा वेग v के गुणनफल द्वारा पारिभाषित किया जाता है। इसे p द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है: p = mv
संवेग एक सदिश राशि है। समान समय के लिए लगाया गया समान बल विभिन्न पिण्डों में समान संवेग परिवर्तन करता है।

न्यूटन का दूसरा नियम और बल का अनुक्रमानुपातीता

किसी पिण्ड के संवेग परिवर्तन की दर आरोपित बल के अनुक्रमानुपाती होती है तथा उसी दिशा में होती है जिस दिशा में बल कार्य करता है।
F ∝ ∆p/∆t = k. (∆p/∆t) [यहाँ k आनुपातिकता स्थिरांक है।]
= k. m(∆v/∆t)
∆v/∆t = a (समय के सापेक्ष वेग में परिवर्तन पिंड का त्वरण कहलाता है जिसे a से प्रदर्शित करते हैं।)
इसलिए, F = k. ma
जो यह दर्शाता है कि बल F संहति m तथा त्वरण a के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होता है।

कक्षा 11 भौतिक विज्ञान पाठ 4 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

कोई कार चालक सामने सड़क पर किसी बच्चे को देखकर अचानक ब्रेक लगाता है। यदि उसने सीट बेल्ट नहीं बाँधी है, तो वह आगे की ओर झटका खाता है और उसका सिर स्टियरिग व्हील से जा टकराता है। ऐसा क्यों है?

यदि उसने सीट बेल्ट नहीं बाँधी हुई हैं तो उसके ऊपर लगने वाला एक मात्र अवमंदक बल सीट द्वारा लगने वाला घर्षण बल है। जब वाहन अचानक रोक दिया जाता है तो यह बल उसके आगे की ओर गति को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं होता।

परिवहन के लिए पैकिग से पूर्व पोर्सीलिन की वस्तुओं को कागज या भूसे में क्यों लपेटा जाता है?

माल ले जाते समय ट्रक जैसे वाहन को अचानक रोकने की आवश्यकता हो सकती है। जब कोई भंगुर द्रव्य, जैसे कि पोर्सेलेन से बनी हुई कोई चलती हुई वस्तु अचानक ठहराई जाती है तो इस पर विशाल बल लगाना पड़ता है जिसके कारण यह टूट सकती है। यदि इसको भूसे आदि से लपेटा हो तो भूसे के कोमल होने के कारण वस्तु रुकने से पहले कुछ दूरी चल सकती है। इसके लिए कम बल की आवश्यकता होती है और इस प्रकार वस्तु के टूटने की संभावना कम हो जाती है।

बाग की नरम मिट्टी पर गिरने से लगने वाली चोट की तुलना में सीमेंट के कठोर फर्श पर गिरने से लगी चोट से किसी बच्ची को अधिक दर्द क्यों होता है?

जब बच्चा सीमेंट के फर्श पर गिरता है तो उसका शरीर एकदम विराम की अवस्था में लाया जाता है। मिट्टी थोड़ी दब जाती है और इसलिए विराम में आने से पहले उसका शरीर कुछ दूरी चल पाता है जिसमें कुछ समय लगता है। इसका अर्थ है कि मिट्टी के फर्श पर गिरने की घटना में क्योंकि संवेग परिवर्तन का काल अधिक हो जाता है इसलिए बच्चे को विराम में लाने के लिए उस पर लगने वाले बल का परिमाण कम हो जाता है।

आवेग की परिभाषा तथा महत्व

किसी पिंड पर लगने वाला बल तथा वह समयांतराल जिसने वह बल पिंड पर आरोपित रहा हो, इन दोनों के गुणनफल को आवेग कहते हैं।
आवेग = बल × समयावधि = संवेग में परिवर्तन

तृतीय नियम के महत्त्वपूर्ण बिंदु
प्रत्येक क्रिया की सदैव समान एवं विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है।
गति के तृतीय नियम के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदु:
(i) बल सदैव युगलों में पाए जाते हैं। पिण्ड A पर B द्वारा आरोपित बल पिण्ड B पर A द्वारा आरोपित बल के समान एवं विपरीत होता है।
(ii) तृतीय नियम में ऐसा कोई कारण-प्रभाव संबंध नहीं है। A पर B द्वारा आरोपित बल तथा B पर A द्वारा आरोपित बल एक ही क्षण कार्यरत होते हैं।
(iii) क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल दो भिन्न पिण्डों पर कार्य करते हैं, एक ही वस्तु पर नहीं। दो पिण्डों x तथा y के युगल पर विचार कीजिए। तृतीय नियम के अनुसार,
Fₓᵧ = – Fᵧₓ

संवेग- संरक्षण नियम

प्रत्येक युगल के लिए पारस्परिक बल समान एवं विपरीत हैं संवेग परिवर्तन युगलों में निरस्त हो जाते हैं तथा कुल संवेग अपरिवर्तित रहता है। इस तथ्य को संवेग- संरक्षण नियम कहते हैं।
इस नियम के अनुसार: अन्योन्य क्रिया करने वाले कणों के किसी वियुक्त निकाय का कुल संवेग संरक्षित रहता है।

साम्यावस्था का प्रथम नियम
यांत्रिकी में किसी कण की साम्यावस्था का उल्लेख उन स्थितियों के लिए किया जाता है जिनमें कण पर नेट बाह्य बल शून्य हो। प्रथम नियम के अनुसार, इसका यह अर्थ है कि या तो कण विराम में है अथवा एक समान गति में है। यदि किसी कण पर दो बल F₁ तथा F₂ कार्यरत हैं, तो साम्यावस्था के लिए आवश्यक है कि, F₁ = – F₂ अर्थात् कण पर कार्यरत दोनों बल समान एवं विपरीत होने चाहिए।

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