एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 5 कार्य ऊर्जा और शक्ति
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 5 कार्य, ऊर्जा और शक्ति के प्रश्नों के उत्तर हिंदी और अंग्रेजी मीडियम में सवाल जवाब शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। ग्यारहवीं कक्षा में भौतिक विज्ञान के पाठ 5 के सभी प्रश्नों के हल तथा अतिरिक्त प्रश्नों के जवाब विद्यार्थी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं।
कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 5 के लिए एनसीईआरटी समाधान
कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 5 कार्य, ऊर्जा और शक्ति के प्रश्न उत्तर
कार्य और ऊर्जा
भौतिकी में कार्य होना तब माना जाता है जब किसी वस्तु पर कोई बल लगाने से वह वस्तु बल की दिशा में कुछ विस्थापित हो। दूसरे शब्दों में, कोई बल लगाने से बल की दिशा में वस्तु का विस्थापन हो तो कहते हैं कि बल ने कार्य किया। कार्य, भौतिकी की सबसे महत्वपूर्ण राशियों में से एक है। कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं।
W = F × d
यहाँ f लगाया गया बल है तथा d बाल द्वारा किया जाने वाला विस्थापन है।
किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की ऊर्जा कहते हैं। ऊर्जा एक अदिश राशि है। इसका SI मात्रक जूल है।
कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 5 बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर
एक इलेक्ट्रॉन एवं एक प्रोटॉन पारस्परिक बलों के प्रभाव से गतिमान हैं। गति के दौरान इस तंत्र की गतिज ऊर्जा के परिवर्तन की गणना करते समय हम एक के द्वारा दूसरे पर लगने वाले चुंबकीय बलों की उपेक्षा कर देते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि
एक प्रोटॉन विरामावस्था में रखा गया है। इसके क्षेत्र में एक अन्य धन आवेशयुक्त कण, इससे d दूरी पर विराम अवस्था में ही विमुक्त किया जाता है। दो प्रयोगों पर विचार कीजिए- पहला वह जिसमें दूसरा आवेशित कण भी प्रोटॉन ही है और दूसरा वह जिसमें दूसरा धन आवेशित कण पॉजिट्रॉन है। समान समय t में दोनों गतिमान कणों पर किया गया कार्य
जमीन पर उकड़ू बैठा हुआ एक व्यक्ति उठकर सीधा खड़ा होता है। इस प्रक्रिया में व्यक्ति पर लगने वाला पृथ्वी का प्रतिक्रिया बल
एक बाइसिकल सवार ब्रेक लगाने के बाद 10 m की दूरी फिसलते हुए जा सकता है। इस प्रक्रिया में सड़क द्वारा बाइसिकल पर लगाया गया बल 200N है और गति के ठीक विपरीत दिशा में लगता है। साइकिल द्वारा सड़क पर किया गया कार्य है
शक्ति का अर्थ और मात्रक
कार्य करने की दर को शक्ति कहते है, अर्थात कोई व्यक्ति इकाई समय में कितना कार्य करता है उस इकाई समय में किया गया कार्य का मान उस व्यक्ति की शक्ति कहलाती है। अत: कार्य व समय के अनुपात को शक्ति कहते है। शक्ति का SI मात्रक “वाट” अथवा “जूल/सेकंड” होता है।
कक्षा 11 भौतिक विज्ञान पाठ 5 एमसीक्यू उत्तर
एक पिंड निर्वात में केवल गुरुत्व के अधीन स्वतंत्रतापूर्वक गिर रहा है। इसके गिरने के दौरान निम्नलिखित में से कौन-सी राशि अचर रहती है?
दो पिंडों के बीच होने वाले अप्रत्यास्थ संघट्ट के दौरान निम्नलिखित में से कौन-सी राशि सदैव संरक्षित रहती है:
5 kg द्रव्यमान का एक पिंड 1 m त्रिज्या के वृत्ताकार पथ पर गतिमान है। यदि यह पिंड प्रति मिनट 300 चक्कर लगाता हो तो इसकी गतिज ऊर्जा होगी
गोला फेंकने की प्रतियोगिता में एक खिलाड़ी 10 kg द्रव्यमान के एक गोले को 1ms⁻¹ के आरंभिक वेग से पृथ्वी से 1.5 मीटर की ऊँचाई से 45° पर फेंकता है। यह मानते हुए कि वायु प्रतिरोध नगण्य है एवं गुरुत्व के कारण त्वरण 10 ms⁻² है, जब गोला पृथ्वी पर गिरता है तो इसकी गतिज ऊर्जा होती है
गतिज ऊर्जा की परिभाषा और उसका मापन
गतिज ऊर्जा किसी पिण्ड की वह अतिरिक्त ऊर्जा है जो उसके रेखीय वेग अथवा कोणीय वेग अथवा दोनो के कारण होती है। इसका मान उस पिण्ड को विरामावस्था से उस वेग तक त्वरित करने में किये गये कार्य के बराबर होती है। गतिज ऊर्जा एक अदिश राशि है। यदि किसी पिंड का द्रव्यमान m और वेग v है तो इसकी गतिज ऊर्जा,
K = ½ mv²
स्थितिज ऊर्जा और कार्य-ऊर्जा प्रमेय
जब किसी वस्तु में विशेष अवस्था या स्थिति के कारण कार्य करने की क्षमता आ जाती है तो हम कहते हैं कि वस्तु में स्थितिज ऊर्जा है। उदाहरण के लिए, बांध में जल को काफी ऊंचाई पर एकत्रित किया जाता है जिससे उसमें स्थितिज ऊर्जा आ जाती है।
PE = mgh (जहाँ m वस्तु का द्रव्यमान, g गुरुत्वीय त्वरण तथा h पृथ्वी की सतह से वस्तु की ऊँचाई है।)
कार्य और गतिज ऊर्जा की धारणा: कार्य-ऊर्जा प्रमेय
किसी वस्तु पर लगाए गए कुल बल द्वारा किया गया कार्य उस वस्तु की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है।
Kf – Kᵢ = W
कक्षा 11 भौतिक विज्ञान पाठ 5 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
एक पिंड वायु में पृथ्वी की ओर गिरता है। क्या गिरने के दौरान इसकी कुल यांत्रिक ऊर्जा संरक्षित रहती है? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क दीजिए।
जी नहीं, क्योंकि वायु का प्रतिरोधक बल भी पिड पर कार्य करता है जो V-संरक्षी बल है। इसलिए गतिज ऊर्जा में लब्धि स्थितिज ऊर्जा में हुई हानि की अपेक्षा कम होगी।
एक पिंड एक बंद लूप पर चलता है। क्या पिंड के चलने में किया गया कार्य अनिवार्यतः शून्य होता है? यदि नहीं तो वह शर्तें बताइए जिनके अंतर्गत बंद पथ पर चलने में किया गया कार्य सदैव शून्य होता है।
जी नहीं, बंद वक्रीय पथ पर गति करने में किया गया कार्य अनिवार्यतः शून्य तभी होगा जब तंत्र पर आरोपित सभी बल संरक्षी हों।
असमान द्रव्यमान के दो पिंड एक ही दिशा में समान गतिज ऊर्जा से गतिमान हैं। दोनों पिंडों पर बराबर परिमाण का बल लगाकर उन्हें विरामावस्था में लाया गया है। विरामावस्था में आने तक उनके द्वारा चली गई दूरियों की तुलना कीजिए।
किया गया कार्य = गतिज ऊर्जा में परिवर्तन
दोनों पिंडों की गतिज ऊर्जा समान है इसलिये बराबर परिमाण में कार्य किए जाने की आवश्यकता होती है क्योंकि लगाया गया बल बराबर है वे समान दूरी तय करने के बाद रुकेंगे।
यांत्रिक ऊर्जा का संरक्षण
यांत्रिक ऊर्जा-संरक्षण नियम के अनुसार किसी भी निकाय की कुल यान्त्रिक ऊर्जा अचर रहती है यदि उस पर कार्य करने वाले बल संरक्षी हैं।
गेंद की निदर्शित ऊँचाई, शून्य (भूमितल), h और H के संगत कुल यांत्रिक ऊर्जाएँ क्रमशः E₀, Eₕ और EH हैं
EH = mgh …(i)
Eₕ = mgh + ½ mvₕ² …(ii)
E₀ = ½ mv² …(iii)
उपरोक्त तीनों समीकरण दिखाती हैं कि समीकरण (i) में गेंद H ऊंचाई पर स्थिर अवस्था में है अतः EH स्थैतिक ऊर्जा को व्यक्त करता है। समीकरण (ii) में गेंद स्थिर से नीचे की तरफ गिरती है यहाँ गेंद की ऊंचाई h है। अतः जमीन से ऊंचाई के कारण गेंद में एक स्थैतिक ऊर्जा है तथा गति के कारण गतिज ऊर्जा भी है। अतः यहाँ गेंद में दोनों तरह की ऊजायें विद्यमान हैं। समीकरण (iii) में गेंद जमीन पर टकराने के कारण केवल गतिज ऊर्जा को धारण करती है क्योंकि यहाँ ऊंचाई शून्य होने की वजह से स्थैतिक ऊर्जा भी शून्य है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि
EH = Eₕ = E₀