कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 11 एनसीईआरटी समाधान – विद्युत

कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 11 के लिए एनसीईआरटी समाधान पाठ 11 विद्युत के अभ्यास के प्रश्न उत्तर चित्रों सहित यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। 10वीं विज्ञान अध्याय 11 के अभ्यास के प्रश्नों के साथ-साथ पाठ के बीच के पेजों के प्रश्न उत्तर भी विद्यार्थी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। वर्ग 10 विज्ञान के सभी समाधान सीबीएसई सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित किए गए हैं जो यूपी बिहार एमपी तथा उत्तराखंड आदि बोर्ड के लिए भी लाभप्रद हैं। कक्षा 10 विज्ञान हिन्दी मीडियम ऐप में भी ये सभी समाधान दिए गए हैं, जिसे प्ले स्टोर से निशुल्क प्राप्त किया जा सकता है।

कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 11 के लिए एनसीईआरटी समाधान

कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 11 के बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) उत्तर

Q1

कोई विद्युत केतली 220 V पर प्रचालित होने पर 1 kW विद्युत शक्ति उपभुक्त करती है। इसके लिए किस अनुमतांक के फ्यूज़ तार का उपयोग किया जाना चाहिए?

[A]. 7 A
[B]. 5 A
[C]. 4 A
[D]. 2 A
Q2

किसी दिए गए धातु के तार की वैद्युत प्रतिरोधकता निर्भर करती है तार

[A]. की लंबाई पर
[B]. की मोटाई पर
[C]. के पदार्थ की प्रकृति पर
[D]. की आकृति पर
Q3

प्रतिरोधकता में कब परिवर्तन नहीं होता?

[A]. ताप परिवर्तित होने पर
[B]. पदार्थ परिवर्तित होने पर
[C]. पदार्थ तथा ताप दोनों में परिवर्तन होने पर
[D]. प्रतिरोधक की आकृति में परिवर्तन होने पर
Q4

विद्युत शक्ति के मात्रक को इस प्रकार भी व्यक्त किया जा सकता है:

[A]. वाट सेकंड
[B]. वोल्ट ऐम्पियर
[C]. जूल सेकंड
[D]. किलोवाट घंटा

विद्युत धारा किसे कहते हैं?

विद्युत आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं। किसी विद्युत परिपथ में इलेक्ट्रॉनों जो ऋणावेश हैं, के प्रवाह की दिशा के विपरीत दिशा को विद्युत धारा की दिशा माना जाता है। अतः हम कह सकते हैं कि आवेश के प्रवाहित होने की दर को विद्युत धारा कहते हैं।

कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 11 के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर

विद्युत धारा के सतत प्रवाह के लिए विभवांतर किस प्रकार उत्पन्न किया जाता है?

विभव में यह अंतर एक या अधिक विद्युत सेलों से बनी बैटरी द्वारा उत्पन्न किया जा सकता है। किसी सेल के भीतर होने वाली रासायनिक अभिक्रिया सेल के टर्मिनलों के बीच विभवांतर उत्पन्न कर देती है, ऐसा उस समय भी होता है जब सेल से कोई विद्युत धारा नहीं ली जाती। जब सेल को किसी चालक परिपथ अवयव से संयोजित करते हैं तो विभवांतर उस चालक के आवेशों में गति ला देता है और विद्युत धारा उत्पन्न हो जाती है। किसी विद्युत परिपथ में विद्युत धारा बनाए रखने के लिए सेल अपनी संचित रासायनिक ऊर्जा खर्च करता है।

विद्युत परिपथ किसे कहते हैं?

किसी विद्युत धारा के सतत तथा बंद पथ को विद्युत परिपथ कहते हैं। या एक ऐसे पाठ जिसमें विद्युत सतत रूप से चल सके, विद्युत परिपथ कहलाता है।

विद्युत आवेश किसे कहते हैं और इसका SI मात्रक क्या है?

आवेश परमाणु का एक मूल कण होता है। यह धानात्मक भी हो सकता है और णात्मक भी। समान आवेश एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं जबकि असमान आवेश एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं। विद्युत आवेश का SI मात्रक कूलॉम (C) है।

विद्युत धारा का मात्रक क्या है?

विद्युत धारा का SI मात्रक ऐम्पियर (A) है। इस मात्रक का नाम आंद्रे-मेरी ऐम्पियर (1775 – 1836) नाम के फ्रांसीसी वैज्ञानिक के नाम पर रखा गया है। एक ऐम्पियर विद्युत धारा की रचना प्रति सेकंड एक कूलॉम आवेश के प्रवाह से होती है।

परिपथों की विद्युत धारा मापने के लिए किस यंत्र का प्रयोग करते हैं?

परिपथों की विद्युत धारा मापने के लिए जिस यंत्र का उपयोग करते हैं उसे ऐमीटर कहते हैं। इसे सदैव जिस परिपथ में विद्युत धारा मापनी होती है, उसके श्रेणीक्रम में संयोजित करते हैं।

विभवांतर किसे कहते हैं?

एकांक आवेश को, विद्युत क्षेत्र में, एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक लाने में किया गया कार्य उन दोनों बिंदुओं के बीच विभवांतर कहलाता है। विद्युत विभवांतर का SI मात्रक वोल्ट (V) है जिसे इटली के भौतिकविज्ञानी अलेसान्द्रो वोल्टा के नाम पर रखा गया है।

वोल्ट को परिभाषित कीजिए।

यदि किसी विद्युत धारावाही चालक के दो बिंदुओं के बीच एक कूलॉम आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में 1 जूल कार्य किया जाता है तो उन दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 1 वोल्ट होता है।

ओम का नियम क्या है?

एक विद्युत परिपथ में धातु के तार के दो सिरों के बीच विभवान्तर उसमें प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के समानुपाती होता है, परंतु तार का ताप समान रहना चाहिए। इसे ओम का नियम कहते हैं। 1827 में जर्मन भौतिकविज्ञानी जार्ज साईमन ओम ने किसी धातु के तार में प्रवाहित विद्युत धारा I तथा उसके सिरों के बीच विभवांतर V में परस्पर संबंध का पता लगाया तथा इसे प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया था।

कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 11 अभ्यास के लिए प्रश्न उत्तर

विद्युत प्रतिरोध से आप क्या समझते हैं?

प्रतिरोध किसी चालक का वह गुण है जिससे वह अपने में प्रवाहित होने वाले आवेश के प्रवाह का विरोध करता हैं। प्रतिरोध का मात्रक ओम है। इसे ग्रीक भाषा के शब्द Ω से निरूपित करते हैं। किसी प्रतिरोधक से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा उसके प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती होती है। यदि प्रतिरोध दोगुना हो जाए तो विद्युत धारा आधी रह जाती है।

विद्युत परिपथ आरेख क्या होता है?

कोई विद्युत परिपथ, एक सेल (अथवा एक बैटरी), एक प्लग कुंजी, वैद्युत अवयव (अथवा अवयवों) तथा संयोजी तारों से मिलकर बनता है। विद्युत परिपथों का प्राय: ऐसा व्यवस्था आरेख खींचना सुविधाजनक होता है जिसमें परिपथ के विभिन्न अवयवों को सुविधाजनक प्रतीकों द्वारा निरूपित किया जाता है।

आवेश और विभव के मात्रकों को परिभाषित कीजिए।

आवेश की मात्रक कूलॉम है। 1C वह आवेश है जो बराबर मात्रा के समान आवेश से 1 m की दूरी पर रखे जाने पर उसे 9×10⁹ N के बल से प्रतिकर्षित करता है। विभव का मात्रक वोल्ट है। जब विद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु तक 1 C आवेश को क्षेत्र के बाहर से उस बिन्दु तक लाने में 1 J कार्य करना पड़े तो उस बिन्दु पर विभव 1 V कहलाता है।

विभवांतर को किस यंत्र से मापते हैं?

विभवांतर की माप जिस यंत्र द्वारा की जाती है उसे वोल्टमीटर कहते हैं। वोल्टमीटर को सदैव उन बिंदुओं से पार्श्वक्रम में संयोजित करते हैं जिनके बीच विभवांतर मापना होता है।

परिवर्ती प्रतिरोध क्या है?

स्रोत की वोल्टता में बिना कोई परिवर्तन किए परिपथ की विद्युत धारा को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले अवयव को परिवर्ती प्रतिरोध कहते हैं। कई बार किसी विद्युत परिपथ में विद्युत धारा को घटाना अथवा बढ़ाना आवश्यक हो जाता है। किसी विद्युत परिपथ में परिपथ के प्रतिरोध को परिवर्तित करने के लिए प्राय: एक युक्ति का उपयोग करते हैं जिसे धारा नियंत्रक कहते हैं।

किसी चालक के प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले तथ्य कौन कौन से हैं?

किसी चालक का प्रतिरोध (R) चालक की लंबाई (L) उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल तथा उसके पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है। किसी धातु के एकसमान चालक का प्रतिरोध उसकी लंबाई (L) के अनुक्रमानुपाती तथा उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल (A) के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

विद्युत धारा और प्रतिरोध के SI मात्रकों की परिभाषा लिखिए।

धारा का मात्रक ऐम्पीयर है। 1 एम्पीयर तार में बहनेवाली वह धारा है जिसमें 1C आवेश एक सेकण्ड में प्रवाहित होता है जबकि प्रतिरोध का मात्रक ओम है। एक ओम उस तार का प्रतिरोध है जिसके सिरों के बीच 1 वोल्ट विभवान्तर लगाने पर इसमें 1 ऐम्पीयर धारा प्रवाहित होती है।

किसी तार का प्रतिरोध किन बातों पर निर्भर करता है?

किसी तार का प्रतिरोध निर्भर करता है:

    • तार की लम्बाई पर – जितनी अधिक तार की लम्बाई होगी उतना ही अधिक तार का प्रतिरोध होगा।
    • तार की मोटाई पर – जितनी अधिक तार की मोटाई होगी तार का प्रतिरोध उतना कम होगा। इसलिए, किसी तार का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के अनुक्रमानुपाती तथा अनुप्रस्थकाट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
    • पदार्थ की प्रकृति पर – समान मोटाई व लम्बाई के लोहे के तार की तुलना में ताँबे के तार का प्रतिरोध कम होता है।
विद्युत प्रतिरोधकता से आप क्या समझते हो?

विद्युत प्रतिरोधकता:
मीटर भुजा वाले घन के विपरीत फलकों में से धाारा गुजरने पर जो प्रतिरोध उत्पन्न होता है वह प्रतिरोधकता कहलाता है। इसका SI मात्रक ओम मीटर (Ωm) है। प्रतिरोधकता बारे में मुख्य तथ्य निम्नलिखित हैं:

    1. प्रतिरोधकता चालक की लम्बाई व अनुप्रस्थ काट के क्षेत्र के साथ नहीं बदलती परन्तु तापमान के साथ परिवर्तित होती है।
    2. धातुओं व मिश्रधातुओं का प्रतिरोधकता परिसर -10⁻⁸ से – 10⁻⁶ होता है।
    3. मिश्र धातुओं की प्रतिरोधकता उनकी अवयवी धाातुओं से अपेक्षाकृत अधिाक होती है। मिश्र धातुओं का उच्च तापमान पर शीघ्र ही उपचयन (दहन) नहीं होता अत: इनका उपयोग तापन युक्तियों में होता है।
    4. तांबा व ऐलूमिनियम का उपयोग विद्युत संरचरण के लिए किया जाता है क्योंकि उनकी प्रतिरोधकता कम होती है।
घरों में श्रेणीक्रम विद्युत परिपथ क्यों नहीं रखते हैं?

श्रेणीबद्ध विद्युत परिपथ में शुरू से अंत तक विद्युत धारा नियत रहती है परन्तु प्रत्येक उपकरण को कार्य करने के लिए अत्यधिक भिन्न मानों की विद्युत धाराओं की आवश्यकता होती है। श्रेणीबद्ध परिपथ से एक प्रमुख हानि यह होती है कि जब परिपथ का एक अवयव कार्य करना बंद कर देता है तो परिपथ टूट जाता है और परिपथ का अन्य कोई अवयव कार्य नहीं कर पाता। इसके विपरीत पार्श्वक्रम परिपथ में विद्युत धारा विभिन्न वैद्युत साधित्रों में विभाजित हो जाती है। पार्श्व परिपथ में कुल प्रतिरोध भी घट जाता है।

कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 11 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

द्युत-इस्तरी, टोस्टर आदि मिश्रातुओं से बने होते हैं। क्यों?

मिश्रातुओं की प्रतिरोधकता उनकी अवयवी धातुओं की अपेक्षा अधिक होती है। मिश्रातुओं का उच्च ताप पर शीघ्र ही उपचयन (दहन) नहीं होता। इसलिए मिश्रातुओं का उपयोग विद्युत-इस्तरी, टोस्टर आदि सामान्य वैद्युत तापन युक्तियों के निर्माण में किया जाता है। विद्युत बल्बों के तंतुओं के निर्माण में तो एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग किया जाता है।

विद्युत शक्ति से आप क्या समझते हैं?

किसी विद्युत परिपथ में उपभुक्त अथवा क्षयित विद्युत उर्जा की दर प्राप्त होती है। इसे विद्युत शक्ति भी कहते हैं। शक्ति P को इस प्रकार व्यक्त करते हैं: P = VI विद्युत शक्ति का SI मात्रक वाट (W) है। यह उस युक्ति द्वारा उपभुक्त शक्ति है जिससे उस समय 1 A विद्युत धारा प्रवाहित होती है जब उसे 1 V विभवांतर पर प्रचालित कराया जाता है।

विद्युत बल्ब का तंतु टंगस्टन का क्यों बना होता है?

विद्युत बल्ब का तंतु टंगस्टन का बना होता है क्योंकि-
(1) यह उच्च तापमान पर उपचयित नहीं होता है।
(2) इसका गलनांक उच्च (3380 डिग्री सेल्सियस) है।
(3) बल्बों में रासानिक दृष्टि से अक्रिय नाइटूोजन तथा आर्गन गैस भरी जाती है जिससे तंतु की आयु में वृद्धि हो जाती है।

विद्युत उपकरणों को बैटरी से श्रेणीक्रम की बजाय समान्तर क्रम में जोड़ने के दो फायदे बताइए।

एक समान्तर परिपथ में प्रत्येक विद्युत उपकरण पृथक रूप से काम करता है क्योंकि वे अपनी आवश्यकतानुसार विद्युत का उपयोग करते हैं तथा परिपथ का कुल प्रतिरोध घटेगा। इसके अतिरिक्त यदि कोई एक घटक काम करना बंद करता है तो परिपथ में धारा प्रवाह नहीं टूटेगा और दूसरे उपकरण सामान्य रूप से काम करते रहेंगे।

एक विद्युत परिपथ में, मुख्य रूप से प्रतिरोधों को कितने प्रकार से जोड़ा जाता है?

एक विद्युत परिपथ में, प्रतिरोधों को दो तरीके से जोड़ा जा सकता है:
1. श्रेणीक्रम संयोजन: दो या अधिक प्रतिरोधिकों को एक के बाद एक उनका एक-एक सिरा जोड़कर यह संयोजन तैयार किया जाता है।
2. समान्तर संयोजन: दो या दो से अधिक प्रतिरोधिकों को उन्हीं दो बिन्दुओं के बीच जोड़ा जाता है।

एक परिपथ में कुछ संख्या में बल्ब लगे हैं। बताइए कि बल्ब श्रेणीक्रम में लगे हैं या समान्तर क्रम में जबकि निम्न परिस्थितियाँ हो: (i) एक बल्ब के यूज होने पर सारे परिपथ में धारा प्रवाह रुक जाता है। (ii) केवल वही बल्ब बंद होता है जो कि यूज हुआ है।

(i) यदि परिपथ में किसी एक बल्ब के यूज होने से पूरे परिपथ में धारा प्रवाह रुक जाता है तो बल्ब श्रेणीक्रम में जुड़े है।
(ii) यदि परिपथ में किसी एक बल्ब के यूज होने से धारा प्रवाह पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है तो बल्ब समान्तर क्रम में जुड़े है।

2Ω, 3Ω और 6Ω प्रतिरोध के प्रतिरोधकों को परिपथ में कैसे जोड़ें कि कुल प्रतिरोध (i) 11Ω (ii) 4.5Ω और (iii) 4Ω प्राप्त हो?

(i) तीनों प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में जुड़े है।
(ii) प्रतिरोधक 2Ω एवं 6Ω एवं दोनों समान्तर क्रम में जुड़े हैं और 3Ω का प्रतिरोधक 2Ω एवं 6Ω के संयोजन से श्रेणीक्रम में जुड़ा है।
(iii) 3Ω एवं 6Ω के प्रतिरोधक समान्तर क्रम में जुड़े हैं और 2Ω का प्रतिरोधक इनके संयोजन के श्रेणीक्रम में जुड़ा है।

धारा एवं विभवान्तर को मापने के काम आने वाले यंत्रों के नाम बताईए।

धारा के लिए ऐमीटर तथा विभवान्तर के लिए वोल्टमीटर होता है।

परिपथ में प्रतिरोधों के संयोजन से प्राप्त प्रतिरोध मूल प्रतिरोध से कम होता है या अधिक?

जब हम श्रेणीक्रम में प्रतिरोधक जोड़ते हैं तो परिपथ का प्रतिरोध बढ़ जाता है परन्तु जब हम समान्तर क्रम में प्रतिरोधकों को जोड़ते हैं तो परिपथ के कुल प्रतिरोध का मान सबसे कम प्रतिरोधक के मान से भी कम होता है।

जब एक तार के सिरों के मध्य विभवान्तर को दुगुना कर दिया जाए तो निम्न पर क्या प्रभाव पड़ेगा? (i) तार के प्रतिरोध पर (ii) तार से प्रवाहित होनेवाली धारा पर।

(i) तार के प्रतिरोध पर कोई प्रभाव नहीं होगा।
(ii) तार में प्रवाहित होने वाली धारा का मान दुगुना हो जाएगा।

श्रेणीक्रम संयोजन की तुलना में पार्श्वक्रम संयोजन के क्या लाभ हैं?

(1) श्रेणी क्रम संयोजन में जब एक अवयव खराब हो जात है तो परिपथ टूट जाता है तथा कोई भी अवयव काम नहीं करता।
(2) अलग-अलग अवयवों में अलग-अलग धाारा की जरूरत होती है, यह गुण श्रेणी क्रम में उपयुक्त नहीं होता है क्योंकि श्रेणीक्रम में धाारा एक जैसी रहती है।
(3) पार्श्वक्रम संयोजन में प्रतिरोधा कम होता है।

किसी चालक में धारा प्रवाहित करने पर उसमें किस प्रकार के प्रभाव उत्त्पन्न होते हैं?

जब किसी चालक से धारा प्रवाहित होती है तो यह दो प्रभाव उत्पन्न करती है:
(i) तापीय प्रभाव
(ii) चुम्बकीय प्रभाव

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