एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 11 बैंगनी जोजो
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 11 बैंगनी जोजो के प्रश्न उत्तर और व्याख्या अभ्यास के हल सीबीएसई सत्र 2024-45 के लिए विद्यार्थी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। कक्षा 2 के छात्र हिंदी के पाठ 11 में जोजो की परेशानी के बारे में जानेंगे कि किस प्रकार बैंगनी धब्बों से वह परेशान होकर सभी से इसका राज जानने की कोशिश करता है।
कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 11 के लिए एनसीईआरटी समाधान
कक्षा 2 हिंदी सारंगी अध्याय 11 बैंगनी जोजो के प्रश्न उत्तर
बैंगनी जोजो
जोजो एक सफ़ेद कुत्ता था। वह एक पेड़ के नीचे सो रहा था। “घरर् र् र् स्स्स्स! घरर् र् र् स्स्स्स !” वह जग गया। “भौं भौं! किसने दिए मुझे बैंगनी धब्बे ?” उसने देखा एक बादल को, आकाश में धीरे-धीरे चलते हुए। “बादल, बादल, क्या तुमने दिए मुझे बैंगनी धब्बे ?” “नहीं,” बादल बोला। “मैं तो सफ़ेद हूँ।” बादल हट गया। जोजो ने ऊपर सूरज को देखा। “सूरज, सूरज, क्या तुमने मुझे दिए बैंगनी धब्बे ?” “नहीं,” सूरज बोला। “मैं तो पीला हूँ।” “कौए, कौए, क्या तुमने दिए मुझे बैंगनी धब्बे ?” “नहीं,” कौआ बोला। “मैं तो काला हूँ।” “गुब्बारे, गुब्बारे, क्या तुमने दिए मुझे बैंगनी धब्बे ?” “नहीं,” गुब्बारा बोला। “मैं तो लाल हूँ।” “घास, घास, क्या तुमने दिए मुझे बैंगनी धब्बे ?” “नहीं,” घास बोली। “मैं तो हरी हूँ।” बेचारा जोजो! “ऊँ, ऊँ, ऊँ! किसने दिए मुझे बैंगनी धब्बे ?” टप! टप! टप! “आहा! तो वह जामुन का पेड़ था!”
जोजो की अनोखी सुबह
एक धूप भरी सुबह में, जोजो नामक एक सफेद कुत्ता अपनी नींद के मधुर सपनों में खोया हुआ था। वह एक घने पेड़ के नीचे आराम से सो रहा था, जहां धूप और छाया का खेल उसे सुकून प्रदान कर रहा था। इस शांत और सुखद वातावरण में, जोजो की नींद उसके लिए एक आनंदमय अनुभव बन गई थी। लेकिन, अचानक एक अजीब आवाज ने उसे जगा दिया। “घरर् र् र् स्स्स्स! घरर् र् र् स्स्स्स!” यह आवाज इतनी असामान्य थी कि जोजो तुरंत जाग गया और चारों ओर देखने लगा।
जोजो की खोज
जागते ही जोजो ने अपने शरीर पर बैंगनी धब्बे देखे, जो पहले कभी नहीं थे। वह हैरान रह गया और अपने आप से पूछने लगा, “भौं भौं! किसने मुझे ये बैंगनी धब्बे दिए?” उसने अपनी खोज शुरू की और सबसे पहले आकाश में धीरे-धीरे चलते हुए एक बादल की ओर देखा। “बादल, बादल, क्या तुमने मुझे बैंगनी धब्बे दिए?” जोजो ने पूछा। बादल ने उत्तर दिया, “नहीं, मैं तो सफेद हूँ।” इस प्रकार, बादल उसकी खोज से हट गया।
सूरज से साक्षात्कार
अपनी खोज में अगला कदम उठाते हुए, जोजो ने ऊपर सूरज की ओर देखा और पूछा, “सूरज, सूरज, क्या तुमने मुझे बैंगनी धब्बे दिए?” सूरज ने भी नकारात्मक उत्तर दिया, “नहीं, मैं तो पीला हूँ।” जोजो की खोज अभी भी जारी थी, और उसने महसूस किया कि उसे अपने प्रश्नों के उत्तर ढूंढने के लिए और भी जगहें देखनी होंगी।
कौए और गुब्बारों की पूछताछ
जोजो ने अपनी खोज जारी रखी और एक कौए से पूछा, “कौए, कौए, क्या तुमने मुझे बैंगनी धब्बे दिए?” कौआ ने उत्तर दिया, “नहीं, मैं तो काला हूँ।” फिर जोजो ने एक गुब्बारे से पूछा, “गुब्बारे, गुब्बारे, क्या तुमने मुझे बैंगनी धब्बे दिए?” गुब्बारे ने भी नकारात्मक उत्तर दिया, “नहीं, मैं तो लाल हूँ।”
घास के साथ संवाद
अपनी खोज के अंतिम चरण में, जोजो ने घास से पूछा, “घास, घास, क्या तुमने मुझे बैंगनी धब्बे दिए?” घास ने भी नकारात्मक जवाब दिया, “नहीं, मैं तो हरी हूँ।” जोजो की निराशा बढ़ती जा रही थी, क्योंकि उसे अपने प्रश्नों का कोई भी संतोषजनक उत्तर नहीं मिल रहा था।
रहस्य का समाधान
आखिरकार, जब जोजो निराश होकर बैठ गया, तो उसने अचानक “टप! टप! टप!” की आवाज सुनी। उसने ऊपर देखा और पाया कि एक जामुन का पेड़ था, जिसके फलों का रस उसके ऊपर गिर रहा था। इस तरह जोजो को अपने बैंगनी धब्बों के रहस्य का समाधान मिल गया। वह जामुन के फलों के रस से धब्बे बन गए थे, जो उसके सोते समय उसके ऊपर गिरे थे। जोजो ने राहत की सांस ली और उस नए अनुभव को अपनी यादों में संजो लिया।