कक्षा 8 हिंदी व्याकरण अध्याय 27 अपठित गदयांश

कक्षा 8 हिंदी व्याकरण अध्याय 27 अपठित गदयांश के प्रश्न उत्तर तथा अभ्यास के लिए कई गद्यांश अध्ययन सामग्री के रूप में शैक्षणिक सत्र 2024-25 के पाठ्यक्रम पर आधारित हैं। कक्षा 8 के हिंदी ग्रामर के लिए अध्ययन सामग्री सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए संशोधित की गई है।

अपठित गद्यांश

अपठित गद्यांश उन गद्यों के अंश होते हैं जिन्हें हमने पाठ्यपुस्तक में नहीं पढ़ा है। अपठित गद्यांश का उद्देश्य होता है कि विद्यार्थियों के गद्य की समझ को परखना तथा उसके समझने की प्रतिभा का विकास करना। अपठित गद्यांश के अंतर्गत गद्य के आधाार पर कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं तथा कभी-कभी उसका उपयुक्त शीर्षक भी लिखने के लिए कहा जाता है।

अपठित गद्यांश सम्बंधित सावधनियां

गद्यांश पर आधाारित प्रश्नों का उत्तर देने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:
1. गद्यांश को दो-तीन बार धयानपूर्वक पढ़ें।
2. पूछे गए सभी प्रश्नों के उत्तर आपको गद्यांश में मिल जाएँगे। कभी-कभी कुछ प्रश्नों के उत्तर अपनी ओर से भी देने पड़ते हैं।
3. शीर्षक ऐसा हों जिसका संबंध पूरे गद्यांश से हो।
4. गद्यांश पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों को पढ़ना चाहिए।
5. प्रश्नों के संभावित उत्तर गद्यांश में रेखांकित कर दें।
6. प्रश्नों के उत्तर सरल व सारगर्भित हो तथा जहाँ तक हो सके अपने शब्दों में हों।
7. शीर्षक कम-से-कम शब्दों का होना चाहिए।

अभ्यास के लिए कुछ उदाहरण

प्रस्तुत गद्यांश के आधर पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
गद्यांश-1
सिक्ख-गुरुओं ने हिन्दू धर्म की रक्षा में योगदान ही नहीं दिया वरन् उसके लिए कष्ट और अत्याचार भी सहे। उन्होंने, विशेषकर गुरुगोविंद सिंह ने चंडी (दुर्गा देवी) का भी स्तवन किया है। ‘गुरु ग्रंथ साहब’ में कबीर, दादू नामदेव आदि महात्माओं की वाणी आदर के साथ सुरक्षित है और उसका नित्य पाठ होता है। सिक्खों के गुरु हमारे संतों के अग्रगण्य समझे जाते हैं। उनका आदर के साथ स्मरण किया जाता है।
प्रश्न
(क) सिक्ख गुरुओं ने हिन्दू धर्म के लिए क्या योगदान दिया?
(ख) किन सिक्ख गुरुओं ने हिन्दी में कविता की है?
(ग) ‘गुरु ग्रंथ साहब’ की क्या विशेषता है?
(घ) गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक सुझाओ।

उत्तर
(क) सिख गुरुओं ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए अनेक प्रकार के कष्ट सहे तथा योगदान दिया।
(ख) गुरु नानक तथा गुरुगोञवद सिंह ने हिंदी में कविता की है।
(ग) ‘गुरु ग्रंथ साहब’ में कबीर जैसे महात्माओं की वाणी का समावेश है।
(घ) उपयुक्त शीर्षक- ‘सिक्खों के गुरु तथा धर्मग्रंथ’।

वर्तमान युग में विज्ञापन

गद्यांश-2
वर्तमानकाल विज्ञापन का युग माना जाता है। समाचार-पत्रों के अतिरिक्त रेडियो और टेलीविजन भी विज्ञापन के सफ़ल साधन हैं। विज्ञापन का मूल उद्देश्य उत्पादक और उपभोक्ता में सीधाा संपर्क करना होता है। जितना अधिक विज्ञापन किसी पदार्थ का होगा, उतनी ही उसकी लोकप्रियता बढ़ेगी। इन विज्ञापनों पर धन तो अधिाक व्यय होता है, पर इनसे बिक्री बढ़ जाती है। ग्राहक जब इन आकर्षक विज्ञापनों को देखता है, तो वह उस वस्तु विशेष के प्रति आकृष्ट होकर उसे खरीदने को बाध्य हो जाता है।
प्रश्न
(क) वर्तमान युग में विज्ञापन के कौन-कौन से तीन साधन हैं?
(ख) विज्ञापनों का मूल उद्देश्य क्या होता है?
(ग) उत्पादक विज्ञापनों पर धन-व्यय क्यों करता है?
(घ) ग्राहक पर विज्ञापनों का क्या प्रभाव पड़ता है?
(ङ) उपयुक्त शीर्षक दो।

उत्तर
(क) वर्तमान युग में समाचार पत्र, रेडियो और टेलीविजन विज्ञापन के तीन प्रमुख साधन हैं।
(ख) विज्ञापन का उद्देश्य होता है- उत्पादन करने वालों तथा उत्पादित वस्तुओं का प्रयोग करने वालों में सीधा संपर्क स्थापित करना।
(ग) उत्पादक विज्ञापनों पर धन इसलिए व्यय करता है, क्योंकि इससे उनकी वस्तुओं की बिक्री बढ़ जाती है।
(घ) ग्राहक जब किसी वस्तु के विज्ञापन को देखता है तो वह उस वस्तु के प्रति आकर्षित होकर उसे खरीदने के लिए मजबूर हो जाता है।
(ङ) गद्यांश का शीर्षक- ‘विज्ञापन के लाभ’ है।

मस्तिष्क और शरीर का उचित प्रयोग

शिक्षा मनुष्य को मस्तिष्क और शरीर का उचित प्रयोग सिखाती है। वह शिक्षा जो मनुष्य को पाठ्यपुस्तकों के ज्ञान के अतिरिक्त गंभीर ञचतन न दे सके, व्यर्थ है। यदि हमारी शिक्षा सुसंस्कृत, सभ्य, सच्चरि= एवं अच्छे नागरिक नहीं बना सकती, तो उससे क्या लाभ? सहृदय, सच्चा ञकतु अनपढ़ मजदूर उस स्नातक से अच्छा है जो निर्दय और चरि=हीन है। संसार के समस्त वैभव और सुख-साधन भी तब तक सुखी नहीं बनाते, जब तक मनुष्यों को आत्मिक ज्ञान न हो।
प्रश्न
क – शिक्षा का क्या उद्देश्य है?
ख – किस प्रकार की शिक्षा व्यर्थ है?
ग – मनुष्य के जीवन में आत्मिक ज्ञान का क्या महत्त्व है?
घ – उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दो।
उत्तर
क – मनुष्य को मस्तिष्क और शरीर का उचित प्रयोग सिखाना ही शिक्षा का उद्देश्य है।
ख – जो शिक्षा मनुष्य को गंभीर ञचतन न दे सके, वह व्यर्थ होती है।
ग – आत्मिक ज्ञान के बिना मनुष्य संसार के समस्त वैभवों से भी सुख प्राप्त नहीं कर सकता।
घ – शीर्षक- ‘सच्ची शिक्षा’।

सफल और असफल मनुष्य में क्या अंतर है? यह कि एक ने अधिक काम किया और दूसरे ने कम? क्या यही दोनों के परिश्रमों के विभिन्न परिणामों का कारण है? नहीं? बात कुछ और ही है। सफल व्यक्ति ने अपना कार्य बुद्धिमता से किया, एकाग्रता से किया, उसने अपना दिमाग लगाया। असफल व्यक्ति ने केवल बोझ ढोया था। ऐसे लोग बुद्धि का उपयोग नहीं करते। उनके श्रम और उनके फल को देखकर उन पर दया आती है। वे परिस्थितियों को पकडे़ रहते हैं और नहीं जानते कि अवसर से किस तरह लाभ उठाना चाहिए। उनमें वह योग्यता नहीं होती जिससे वे अपनी असफलता को सफलता में बदल दें।
प्रश्न
क – उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।
ख – सार-संक्षेपण कीजिए।
उत्तर
क – शीर्षक-सफल और असफल व्यक्तियों की पहचान।
ख – सार – सफलता या असफलता मानव के परिश्रम का ही परिणाम नहीं वरन् बुद्धि और परिश्रम के मेल से सफलता प्राप्त होती है। बुद्धि का उपयोग न करने से व्यक्ति असफल रह जाता है, ऐसा व्यक्ति अवसर का लाभ नहीं उठा पाता और असफलता को सफलता में बदलने योग्य नहीं बन पाता।

कक्षा 8 हिंदी व्याकरण अपठित गदयांश
कक्षा 8 व्याकरण अध्याय 27 अपठित गदयांश
कक्षा 8 हिंदी व्याकरण में अपठित गदयांश