कक्षा 8 हिंदी व्याकरण अध्याय 25 डायरी लेखन
कक्षा 8 हिंदी व्याकरण अध्याय 25 डायरी लेखन तथा इसके विभिन्न उदाहरण सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए शैक्षणिक सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित रूप में यहाँ दिए गए हैं। हिंदी ग्रामर के इस पाठ को समझने के लिए अध्ययन सामग्री के साथ-साथ विडियो समाधान भी दिया गया है जो छात्रों के सीखने को और सहज बनाता है।
डायरी लेखन
इस प्रकार जब कोई व्यक्ति प्रतिदिन की घटनाओं और अनुभवों को लिखता है तो उसे डायरी लिखना कहते हैं।
डायरी में निजी अनुभव, प्रतिदिन घटित होने वाली घटनाओं का लेखा-जोखा, तथ्य-संग्रह, संपर्क में आए व्यक्तियों, नए अनुभवों, नए स्थानों, नई घटनाओं आदि का संक्षिप्त विवरण होता है। इसलिए इसे दैनदिनी भी कहते हैं। इसे लिखने के पीछे लेखक की मंशा जीवन में घटित-घटनाओं को लंबे समय तक याद रखना होता है।
डायरी लेखन की विशेषताएँ
1. डायरी में प्रतिदिन की घटनाएँ कलात्मक ढंग से लिखी जाती हैं।
2. डायरी में उन्हीं घटनाओं का विवरण रहता है, जो व्यक्ति को बहुत अधिक प्रभावित करती हैं।
3. मन पर पड़े प्रभाव डायरी में उसी दिन लिख दिए जाते हैं।
4. डायरी में संक्षिप्तता रहती है, विस्तार नहीं होता।
5. डायरी एक तरह की आत्मकथा का ही रूप होती है।
परिश्रम का महत्त्व
03 फरवरी, 2016
रात्रि 10 बजे
श्रम सबसे महत्तवपूर्ण
आज मैं पूरे दिन व्यस्त रहा। अपना होमवर्क पूरा किया। विद्यालय में एक भाषण प्रतियोगिता थी, उसमें भाग लिया। आज की भाषण प्रतियोगिता का विषय था- परिश्रम का महत्त्व। मैंने बताया- सफलता प्राप्त करने का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है-परिश्रम। जीवन की इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूरा करना है तो परिश्रम जरूरी है। जो व्यक्ति परिश्रम नहीं करता, उसका जीवन बेकार हो जाता है। वह आलसी और रोगी हो जाता है।
कविवर हरिऔध ने परिश्रमी की प्रशंसा में कहा हैः-
देखकर बाधा विविध बहु विघ्न घबराते नहीं,
रह भरोसे भाग्य के दुख भोग पछताते नहीं।
सबने एक स्वर से स्वीकार किया श्रम करने वाला ही यश पाता है। श्रम के बल पर लोगों ने बड़े-बड़े साम्राज्य खड़े किए हैं।
परेशानी में भी सुख
04 फरवरी, 2016
रात्रि 10 बजे
आज भी सारा दिन बिजली नहीं आई। शाम को सात बजे बिजली ने दर्शन दिए लेकिन 10 मिनट बाद ही चली गई। अपनी डायरी में इन्वर्टर की कम रोशनी में लिख रहा हूँ। कई दिन से बिजली की आँख-मिचौली चल रही थी। बार-बार आती थी और भाग जाती थी किंतु कल से तो कई-कई घंटों तक बिजली न आने से जन-जीवन ठप्प हो गया है। बिजली नहीं तो पानी नहीं। बरसात की उमस में बेहाल तन, पसीने से तर-बतर शरीर। कैसे कटे सारा दिन। हमारे विद्यालय में तो जनरेटर लगा हुआ है। लेकिन वह भी कितना काम करेगा।
घर पर कंप्यूटर और टेलीविजन बंद पड़े हैं। इतना हुआ कि पहले हम सब लोग अलग-अलग कमरों में बैठकर अपने-अपने काम में व्यस्त रहते थे। आपस में मिलने का समय कम ही मिलता था। अब सब लोग एक ही कमरे में बैठकर एक ही पंखे से काम ले रहे हैं। एक साथ बैठकर खाना खाते हैं, गपशप करते हैं और बिजली के साथ-साथ नगर और देश की घटनाओं पर चर्चा करते हैं।
परेशानी में भी सुख खोजने की स्थिति पर हम सब मिलकर हँसते रहते हैं।
अंत भला तो सब भला
05 फरवरी, 2016
परीक्षा भवन देर से पहुँचा। रास्ते में बस खराब हो गई थी। परीक्षक ने धैर्य बँधाया और प्रश्न-पत्र पकड़ाया तो थोड़ी राहत मिली। लेकिन प्रश्न-पत्र पढ़कर ऐसा लगा जैसे दिमाग सुन्न पड़ गया है। कुछ याद नहीं आ रहा था। मन रोने को हो रहा था। तभी अपने आप न जाने कहाँ से हिम्मत जुटा फिर से प्रश्न-पत्र पढ़ा तो कुछ हिम्मत आई कि केवल प्रश्नों का रूप बदला है। जो प्रश्न याद किए थे ये प्रश्न भी लगभग वैसे ही हैं। चेहरा खिल उठा और फिर मैंने उत्तर लिखना शुरू कर दिया। आज का पेपर भी अच्छा हुआ है। उम्मीद है अच्छे अंक आ जाएंगे।