कक्षा 8 हिंदी व्याकरण अध्याय 18 वाक्य विचार
कक्षा 8 हिंदी व्याकरण अध्याय 18 वाक्य विचार के लिए अभ्यास पुस्तिका तथा प्रश्न उत्तर सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड सत्र 2024-25 के पाठ्यक्रम के अनुसार संशोधित रूप में छात्र यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ दी गई विडियो और अध्ययन सामग्री के माध्यम से आठवीं कक्षा के विद्यार्थी हिंदी ग्रामर के पाठ 18 को आसानी से समझ सकते हैं।
वाक्य-विचार
शब्दों के उस समूह को जिससे कोई बात स्पष्ट रूप से जानी जाती है अर्थात् सार्थक शब्दों का वह व्यवस्थित समूह, जिससे अपेक्षित अर्थ प्रकट हो, वाक्य कहलाता है।
उदाहरण:
(क) राजेश कार्यालय जाता है।
(ख) सभी जानते हैं कि मोनी अच्छी लड़की है।
(ग) तुम परिश्रम करते तो अवश्य सफ़ल होते।
उपवाक्य
जिस क्रिया युक्त पदों से आंशिक भाव व्यक्त होता है, उन्हें उपवाक्य कहते हैं। जैसे-यदि मैं जाता, यदि वह लिखता आदि।
वाक्य के घटक
वाक्य के मुख्यतः दो घटक या अंग होते हैं
1. उद्देश्य
2. विधेय
उद्देश्य
वाक्य में जिस व्यक्ति या वस्तु के विषय में कुछ कहा जाता है, वह उद्देश्य कहलाता है। जैसे- राम बाजार जाता है। इस वाक्य में राम के बारे में कहा गया है, अतः राम उद्देश्य है।
उद्देश्य-विस्तार
जो शब्द या शब्द-समूह उद्देश्य की विशेषता बताए, उसे ‘उद्देश्य का विस्तार’ कहते हैं। जैसे- चंचल बालक दौड़ता है।’ इस वाक्य में चंचल उद्देश्य ‘बालक’ की विशेषता बतला रहा है। अतः वह उद्देश्य का विस्तार है।
विधेय
वाक्य में उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, उसे विधेय कहते हैं। जैसे- ‘राम बाजार जाता है।’ इस वाक्य में ‘राम’ उद्देश्य है तथा ‘बाजार जाता है’ विधेय है।
विधेय-विस्तार
विधेय की विशेषता बताने वाले शब्द या शब्द-समूह को विधेय का विस्तार कहते हैं। जैसे- वह धीरे-धीरे जाता है। इस वाक्य में ‘धीरे-धीरे’ विधेय ‘जाता है’ की विशेषता बतला रहा है; अतः वह विधेय-विस्तार है।
पदक्रम
वाक्य में शब्दों के यथास्थान प्रयोग को पदक्रम कहते हैं।
पदक्रम संबंधी प्रमुख बातें नीचे दी जा रही हैं:
(क) क्रिया-पद वाक्य के अंत में तथा कर्म-पद कर्ता और क्रिया के मध्य में रहते हैं।
(ख) कर्ता, कर्म और क्रिया के अर्थों में वृद्धिा करने वाले विशेषण और क्रिया-विशेषण पद तथा पदबंध तत्संबंधी पदों से पहले लगते हैं।
(ग) संबंधकारक संबंधी शब्द से पूर्व रहता है।
(घ) संबोधन पद और विस्मयादिबोधक पद, यदि हो तो, वाक्य के आरंभ में आते हैं। अन्यथा कर्ता ही वाक्य के आरंभ में रखे जाते हैं।
(ङ) प्रश्नवाचक पद प्रश्न के विषय से पूर्व लगाया जाता है।
(च) शेष कारक कर्ता और कर्म के मध्य रखे जाते हैं, परंतु यदि एक वाक्य में एकाधिक कारक रूपों का प्रयोग हो तो उन्हें उल्टे क्रम से रखा जाता है।
(छ) पूर्वकालिक क्रिया प्रायः मुख्य क्रिया से पहले आती है। यदि वाक्य में कर्म भी हो तो वह उससे पहले लगती है।
(ज) निषेधत्मक ‘न’ या ‘नहीं’ प्रायः क्रिया से पहले आता है; परंतु आग्रहात्मक ‘न’ वाक्य के अंत में आता है।
(झ) मिश्र वाक्य में प्रायः प्रधन उपवाक्य को पहले तथा आश्रित उपवाक्य को बाद में रखते हैं।
(ञ) मिश्र और संयुक्त वाक्यों में योजक दो उपवाक्यों के मध्य में रखे जाते हैं।
तीनों प्रकार के वाक्यों के उदाहरण
सरल वाक्य | मिश्र वाक्य | संयुक्त वाक्य |
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राम सो रहा है। | मैंने देखा कि राम सो रहा है। | राम सो रहा है और मोहन पढ़ रहा है। |
वह यहाँ आया। | जब वह यहाँ आया, तब मैं घर पर नहीं था। | वह यहाँ आया परंतु अधिक देर नहीं रुक सका। |
मैंने दो कविताएँ सुनाईं। | मैंने दो कविताएँ सुनाईं जिन पर लोग हँसे। | मैंने दो कविताएँ सुनाईं ञकतु वह बैठा रहा। |