एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 12 अणुगति सिद्धांत
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कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 12 के लिए एनसीईआरटी समाधान
कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 12 अणुगति सिद्धांत के प्रश्नों के उत्तर
अणुगति सिद्धांत पर विस्तार से जानकारी
अणुगति सिद्धांत इस धारणा के आधार पर गैसों के व्यवहार की व्याख्या करता है कि गैसों में अत्यंत तीव्र गति से गतिमान परमाणु अथवा अणु होते हैं।
परमाणु परिकल्पना के बारे में
परमाणु परिकल्पना के अनुसार, सभी चीजें छोटी मूलभूत इकाइयों से बनी होती हैं जिन्हें परमाणु कहा जाता है, जिन्हें छोटे कणों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो सतत गति में चलते हैं, जो अपनी अंतर-कण दूरी के आधार पर एक-दूसरे को आकर्षित या प्रतिकर्षित करते हैं।
कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 12 के लिए बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर
किसी घनाकार पात्र (जिसके पार्श्व क्षैतिज + ऊर्ध्वाधर हैं) में NTP पर आदर्श गैस भरी है। यह पात्र किसी रॉकेट में है, जो 500 ms⁻¹ की चाल से ऊर्ध्वाधर दिशा में गति कर रहा है। पृथ्वी से देखने पर पात्र के भीतर गैस का दाब
बॉयल का नियम लागू होता है:
किसी सिलिंडर में ऊर्ध्वाधर स्थिति में आदर्श गैस भरी है तथा इस पर M द्रव्यमान का पिस्टन लगा है जो बिना किसी घर्षण के ऊपर-नीचे गति कर सकता है। यदि ताप में वृद्धि करें तो
1 मोल H₂ गैस T = 300 K ताप पर आयतन V = 1.00 m³ के बॉक्स में भरी है। गैस को T = 3000 K तक गर्म किया जाता है। तब यह हाइड्रोजन परमाणु में बदल जाती है। अब गैस का दाब क्या होगा?
डाल्टन का परमाणु सिद्धांत
डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के अनुसार सभी पदार्थ परमाणुओं से बने होते हैं, जो अविभाज्य और अविनाशी निर्माण इकाइयाँ हैं।
आवोगाद्रो का नियम
आवोगाद्रो का नियम (या परिकल्पना) बताता है कि समान ताप और दाब पर गैसों के समान आयतनों में अणुओं की संख्या समान होती है। किसी गैस के 22.4 लीटर आयतन में यह संख्या 6.02 × 10²³ है। इस संख्या को आवोगाद्रो संख्या कहा जाता है और संकेत Nᴀ द्वारा चिह्नित किया जाता है।
चार्ल्स और आवोगाद्रो का नियम
चार्ल्स का नियम कहता है कि स्थिर दाब पर किसी शुष्क गैस के निश्चित द्रव्यमान का आयतन उसके परम ताप के समानुपाती होता है।
V ∝ T
PV = 𝛍RT
जहाँ, P = गैस का दबाव
V = आयतन
𝛍 = गैस के मोलों की संख्या
R = सार्वत्रिक गैस नियंताक
T = तापमान
कक्षा 11 भौतिक विज्ञान पाठ 12 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
39.4 g गोल्ड में परमाणुओं की संख्या परिकलित कीजिए। गोल्ड का मोलर द्रव्यमान 197 g mole⁻¹ है।
∴ स्वर्ण का मोलर द्रव्यमान 197 g mole⁻¹ है और 1 मोल में परमाणुओं की संख्या = 6.0 × 10²³ है।
∴ 39.4 g में परमाणुओं की संख्या (6.0 × 10²³ × 39.4)/ 197 = 1.2 × 10²³
किसी गैसों के मिश्रण में ताप T पर 2.0 मोल ऑक्सीजन तथा 4.0 मोल नियॉन के है। सभी कंपन विधाओं की उपेक्षा करते हुए निकाय की कुल आंतरिक ऊर्जा परिकलित कीजिए (ऑक्सीजन की दो घूर्णी विधाएँ होती हैं)।
O₂ पाँच स्वातंत्र्य-कोटि का अणु है। इसलिए इसकी प्रति मोल ऊर्जा 5/2 RT
∴ O₂ के 2 मोलों की ऊर्जा = 5 RT
नियॉन की स्वातंत्र्य कोटि 3 है
∴ इसकी प्रति मोल ऊर्जा = 3/2 RT
∴ नियॉन के 4 मोलों की ऊर्जा = 4 × (3/2) RT
∴ कुल ऊर्जा = 11 RT
जब साइकिल के टायर में पंप से वायु भरते हैं तो टायर में वायु का आयतन एवं दाब दोनों में वृद्धि होती जाती है। इस प्रकरण में बायल-नियम का क्या होता है?
जब हवा भरी जाती है तो अधिकाधिक अणु अंदर प्रवेश करते हैं। बॉयल के नियम का कथन उस स्थिति के लिए किया गया है जिसमें अणुओं की संख्या स्थिर रहती है।
गैस की आदर्शता
किसी अणु की औसत गतिज ऊर्जा, गैस के परम ताप के अनुक्रमानुपाती होती है: यह आदर्श गैस की प्रकृति, दाब या आयतन पर निर्भर नहीं करती।
E = (3/2) kʙNT
नोट: आंतरिक ऊर्जा पूर्णतः गतिज ऊर्जा ही है।
ऊर्जा के समविभाजन का नियम
यदि एक अणु को एक रेखा के साथ गतिमान किया जाता है तो उसकी स्वातंत्र्य-कोटि 1 होती है। यदि किसी अणु को एक तल में गतिमान किया जाता है तो उसकी स्वातंत्र्य-कोटि 2 होती है। यदि कोई अणु अंतरिक्ष में गतिमान किया जाता है तो उसकी स्वातंत्र्य-कोटि 3 होती है।
कक्षा 11 भौतिक विज्ञान पाठ 12 एमसीक्यू के उत्तर
किसी फूले हुए रबड़ के गुब्बारे में भरी 1 मोल गैस का दाब P, आयतन V तथा ताप T है। यदि ताप बढ़कर 1.1 T तथा आयतन बढ़कर 1.05 V हो जाता है तो अंतिम दाब होगा
हाइड्रोजन जैसे द्विपरमाणुक अणुओं में स्थानांतरीय तथा घूर्णन दोनों गतियों के कारण ऊर्जा होती हैं। अणुगति सिद्धांत के समीकरण pV = (2/3) E में E व्यक्त करता है:
किसी द्वि-परमाणुक अणु में किसी दिए गए ताप पर घूर्णी ऊर्जा
जब कोई गैस रुद्धोष्मतः संपीडित की जाती है, तो इसके ताप में वृद्धि होती है। अणुओं में पहले की तुलना में औसतन अधिक गतिज ऊर्जा होती है। गतिज ऊर्जा में वृद्धि का कारण है:
विशिष्ट उष्मा धारिता का महत्व
किसी पदार्थ की इकाई मात्रा का ताप एक डिग्री सेल्सियस बढ़ाने के लिये आवश्यक उष्मा की मात्रा को उस पदार्थ का विशिष्ट उष्मा धारिता या केवल विशिष्ट उष्मा कहा जाता है। इससे स्पष्ट है कि जिस पदार्थ की विशिष्ट उष्मा अधिक होगी उसे गर्म करने के लिये अधिक उष्मा की आवश्यकता होगी।
माध्य मुक्त पथ और औसत टक्कर दूरी
गैस के अणुओं द्वारा तो टक्करों के कारण तय की गयी औसत दूरी को माध्य मुक्त पथ या औसत टक्कर दूरी कहते है। दुसरे शब्दों में हम कह सकते है गैस के अणु द्वारा दो क्रमागत टक्करों के मध्य तय की गयी सरल रेखीय दूरी को माध्य मुक्त पथ कहा जाता है। इसे l से प्रदर्शित किया जाता है।
l = 1/(nπd²)