एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 11 उष्मागतिकी
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 11 उष्मागतिकी के प्रश्नों के हल अभ्यास के सवाल जवाब अतिरिक्त प्रश्न उत्तर हिंदी और अंग्रेजी मीडियम में यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 11 में भौतिक विज्ञान के पाठ 11 के सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दिए गए हैं ताकि किसी भी विद्यार्थी को इसे समझने में कोई दिक्कत न हो।
कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 11 के लिए एनसीईआरटी समाधान
कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 11 उष्मागतिकी के प्रश्नों के उत्तर
ऊष्मागतिकी भौतिकी
ऊष्मा तथा ऊर्जा के अंतरा-रूपान्तरण का अध्ययन: ऊष्मागतिकी भौतिकी की वह शाखा है जो ऊष्मा तथा ताप की अवधारणा एवं ऊष्मा के अन्य प्रकार की ऊर्जाओं में अंतरा-रूपान्तरण का विवेचन करती है।
तापीय साम्य और साम्यावस्था
अवस्था के अभिलक्षणित समय के साथ नहीं परिवर्तित होने वाले निकायों का अध्ययन: वह अवस्था जब कोई वस्तु अपने आसपास के वातावरण से न ऊष्मा लेती है न उसको ऊष्मा देती है, अर्थात् वे समान ताप पर होती हैं। दूसरे शब्दों में तापीय साम्य को इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं: निकाय की अवस्था को हम उस समय साम्यावस्था में कहते हैं जब निकाय को अभिलक्षणित करने वाले स्थूल चर समय के साथ परिवर्तित नहीं होते। उदाहरणार्थ, किसी पर्यावरण से पूर्णतः ऊष्मारोधी बंद दृढ़ पात्र में भरी कोई गैस ऊष्मागतिक रूप से तब साम्यावस्था में होगी जब उसके दाब, आयतन, ताप, द्रव्यमान के परिमाण तथा संगठन समय के साथ परिवर्तित न हों।
कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 11 के बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर
यदि कोई सामान्य व्यक्ति मंथर गति से चलता है तो वह14.5 × 10³ cal/min ऊष्मा उत्पन्न करता है। यह ऊष्मा पसीने के वाष्पन से शरीर से निकल जाती है। (यह मानते हुए कि 1 kg पसीने के वाष्पन के लिए 580 × 10³ cal चाहिए) तब प्रति मिनट वाष्पित पसीने का परिमाण है:
किसी दिए गए आयतन और तापमान पर, गैस का दबाव
इसके द्रव्यमान के रूप में रैखिक रूप से भिन्न होता है। ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम कहता है कि
निम्नलिखित में से कौन सा मापदंड पदार्थ की ऊष्मागतिकी स्थिति की विशेषता नहीं है?
ऊष्मा गतिक का शून्य नियम
उष्मीय साम्य में निकायों के अंतर एवं आपसी संवेदनशीलता का अध्ययन: ऊष्मा गतिक का शून्य नियम यह बताता है कि जब दो निकाय किसी तीसरे निकाय के साथ उष्मीय साम्य में हो तो वे दोनों निकाय आपस में भी एक दुसरे के साथ उष्मीय साम्य अवस्था में होंगे।
प्रथम नियम: ऊष्मागतिकी में परिवर्तन का सम्बन्धितता नियम
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियमानुसार, किसी निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन निकाय को दी गयी ऊष्मा तथा निकाय द्वारा किये गये कार्य के अन्तर के बराबर होता है।
∆Q – ∆W = ∆U
यहाँ, ∆Q = परिवेश द्वारा निकाय को दी गई ऊष्मा
∆W = निकाय द्वारा परिवेश पर किया गया कार्य
∆U = निकाय की आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन
कक्षा 11 भौतिक विज्ञान पाठ 11 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
क्या यह संभव है कि किसी निकाय को ऊष्मा दी जाए फिर भी उसका ताप नियत रहे?
यदि तंत्र प्रतिवेश के विरुद्ध इस प्रकार कार्य करें कि प्रदत्त ऊष्मा से ऊर्जा पूर्ति होती रहे तो ताप अचर बना रह सकता है।
यदि किसी रेफ्रिजरेटर का दरवाजा खुला रखें तो कमरा गरम होगा अथवा ठंडा? स्पष्ट कीजिए।
यहाँ ली गई ऊष्मा दी गई ऊष्मा से कम है, अतः रेफ्रिजरेटर (जो कमरे से विलगित नहीं है) सहित कमरे का ताप बढ़ जाएगा।
कार चलाते समय इसके टायरों में वायु दाब बढ़ जाता है। स्पष्ट कीजिए।
वाहन चलाते समय गैस का आयतन तो स्थिर रहता है परंतु इसका ताप बढ़ जाता है। अतः चार्ल्स नियम के अनुसार स्थिर V पर P ∝ T. इसलिए गैस का दाब बढ़ जाता है।
विशिष्ट उष्मा धारिता
किसी पदार्थ की इकाई मात्रा का ताप एक डिग्री सेल्सियस बढ़ाने के लिये आवश्यक उष्मा की मात्रा को उस पदार्थ का विशिष्ट उष्मा धारिता या केवल विशिष्ट उष्मा कहा जाता है। इससे स्पष्ट है कि जिस पदार्थ की विशिष्ट उष्मा अधिक होगी उसे गर्म करने के लिये अधिक उष्मा की आवश्यकता होगी।
S = ∆Q/∆T
समतापीय प्रक्रम
समतापी प्रक्रम में निकाय व बाह्म वातावरण के बीच ऊष्मा का आदान-प्रदान होता है जिससे कि निकाय का ताप स्थिर रहता है।
कक्षा 11 भौतिक विज्ञान पाठ 11 के एमसीक्यू उत्तर
नीचे वर्णन किए गए प्रक्रमों में कौन-से अनुत्क्रमणीय नहीं है?
एयर कंडीशनर किस सिद्धांत पर आधारित है
कोई आदर्श गैस अपनी किसी आरंभिक अवस्था i से अंतिम अवस्था f तक समतापीय प्रक्रम करती है। सही विकल्प का चयन कीजिए:
एक ऊष्मागतिकी प्रणाली की स्थिति द्वारा दर्शाया गया है:
रुद्धोष्म प्रक्रम की परिभाषा और महत्व
रुद्धोष्म प्रक्रम किसी उष्मा गतिक निकाय में किए गए ऐसे प्रक्रम को कहते हैं, जिसमें परिवर्तन के समय निकाय और वाह्य वातावरण के बीच उष्मीय ऊर्जा का आदान-प्रदान न हो।
ऊष्मा गतिकी का दूसरा नियम
ऊष्मा ऊर्जा को पूर्ण रूप से यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है: ऊष्मा गतिकी का दूसरा नियम यह बताता है कि ऊष्मा ऊर्जा को पूर्ण रूप से यांत्रिक उर्जा में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। अर्थात यदि हम चाहे कि कोई ऊष्मा ऊर्जा पूर्ण रूप से अर्थात 100% यान्त्रिक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाए तो यह संभव नहीं है।
समआयतनिक प्रक्रम
किसी समआयतनिक प्रक्रम में V नियत रहता है। इस प्रक्रम में न तो गैस पर कोई कार्य होता है और न ही गैस द्वारा कोई कार्य संपादित होता है।
समदाबी प्रक्रम
वह प्रक्रम जिसमें निकाय पर दाब स्थिर रहे, तो इस प्रकार के प्रक्रम को समदाबी प्रक्रम कहते हैं। जल का जमकर बर्फ बनना, द्रव का वाष्प में बदलना, भाप का अतितप्त होना आदि ऐसे प्रक्रम हैं जिनमें दाब को स्थिर रखा जाता है अर्थात दाब नियत रहता है।