एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 7 गुरुत्वाकर्षण

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 7 गुरुत्वाकर्षण के प्रश्न उत्तर, अतिरिक्त प्रश्न तथा वस्तुनिष्ठ बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर यहाँ दिए गए हैं। सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड में कक्षा 11 भौतिक विज्ञान के पाठ 7 को परीक्षा के लिए तैयारी हेतु यहाँ दी गई अध्ययन सामग्री मददगार है।

कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 7 के लिए एनसीईआरटी समाधान

न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण का नियम और उसके प्रयोग

किन्हीं दो पिंडो के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल पिंडो के द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
F ∝ m₁m₂/d²
या F = Gm₁m₂/d²
जहाँ, G = सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक
m₁ = पिंड 1 का द्रव्यमान
m₂ = पिंड 2 का द्रव्यमान
d = दोनों पिंडों के बीच की दूरी
टिप्पणी: न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम को “सार्वभौमिक” माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह पूरे ब्रह्मांड पर लागू होता है । इसे ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह द्रव्यमान वाले सभी पिंडों (जैसे सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी या एक सेब) पर लागू होता है और पिंड उसी नियम से शासित होंगे, जो न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण का नियम है।

कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 7 बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर

Q1

पृथ्वी एक गोले का सन्निकट रूप है। यदि इसके अभ्यंतर में हर स्थान पर एक समान घनत्व का द्रव्य नहीं है, तो पृथ्वी के पृष्ठ पर गुरुत्वीय त्वरण

[A]. केंद्र की ओर निर्दिष्ट होगा, परंतु हर स्थान पर समान नहीं होगा।
[B]. का हर स्थान पर समान मान होगा परंतु केंद्र की ओर निर्दिष्ट नहीं होगा।
[C]. परिमाण में हर स्थान पर समान तथा केंद्र की ओर निर्दिष्ट होगा।
[D]. किसी भी बिंदु पर शून्य नहीं हो सकता।
Q2

पृथ्वी से प्रेक्षण करने पर सूर्य लगभग वृत्ताकार कक्षा में गति करता प्रतीत होता है। बुध जैसे किसी अन्य ग्रह की गति के लिए पृथ्वी से प्रेक्षण करने पर भी यह बात

[A]. इसी प्रकार सत्य होगी।
[B]. सत्य नहीं होगी क्योंकि पृथ्वी एवं बुध के बीच बल व्युत्क्रम वर्ग नियम के अनुसार नहीं होता।
[C]. सत्य नहीं होगी क्योंकि बुध पर प्रमुख गुरुत्वाकर्षण बल सूर्य के कारण है।
[D]. सत्य नहीं होगी क्योंकि बुध गुरुत्वाकर्षण बलों के अतिरिक्त अन्य बलों से भी प्रभावित होता है।
Q3

पृथ्वी के विभिन्न बिंदु सूर्य से कुछ भिन्न दूरियों पर होते हैं। अतः गुरुत्वाकर्षण के कारण भिन्न बलों का अनुभव करते हैं। एक दृढ़-पिडों के लिए हम जानते हैं कि यदि इसके भिन्न बिंदुओं पर भिन्न-भिन्न बल कार्य करें, तो इसकी परिणामी गति इस प्रकार होगी। जैसे कि एक नेट बल इसके द्रव्यमान केंद्र पर आरोपित होकर इसमें स्थानंतरीय गति उत्पन्न कर रहा हो तथा नेट बल-आघूर्ण द्रव्यमान केंद्र से गुजरने वाले अक्ष के परितः घूर्णी गति उत्पन्न कर रहा हो। पृथ्वी-सूर्य निकाय के लिए पृथ्वी में एक समान घनत्व के गोले के सदृश्य मानकर

[A]. बल आघूर्ण शून्य है।
[B]. बल आघूर्ण पृथ्वी को चक्रण कराता है।
[C]. दृढ़-पिड परिणाम यहाँ लागू नहीं होता क्योंकि पृथ्वी दृढ़-पिड के सदृश्य भी नहीं है।
[D]. बल आघूर्ण पृथ्वी को सूर्य के चारों ओर गति कराता है।
Q4

पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे उपग्रहों की आयु परिमित होती है तथा कभी-कभी उपग्रहों का कचरा पृथ्वी पर गिरता है। इसका कारण यह है कि

[A]. सौर सेल तथा बैटरियाँ समाप्त हो जाती हैं।
[B]. गुरुत्वाकर्षण नियम भीतर की ओर सर्पिल प्रक्षेप का संकेत देता है।
[C]. श्यान बल उपग्रह की चाल को कम करते हैं और इस प्रकार उपग्रह की ऊँचाई धीरे-धीरे घटती है।
[D]. अन्य उपग्रहों से संघट्ट होता है।

गुरुत्वाकर्षण बल का महत्व और उसका प्रभावित क्षेत्र

एक बल है जो ब्रह्मांड में सभी भौतिक वस्तुओं के बीच मौजूद है । गैर-शून्य द्रव्यमान वाले किन्हीं दो वस्तुओं या कणों के लिए, गुरुत्वाकर्षण बल उन्हें एक-दूसरे की ओर आकर्षित करता है। गुरुत्वाकर्षण सभी आकार की वस्तुओं पर काम करता है, उप-परमाणु कणों से लेकर आकाशगंगाओं के समूहों तक।

कक्षा 11 भौतिक विज्ञान पाठ 7 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

वायुमंडल में वायु के अणु पृथ्वी के गुरुत्व बल द्वारा आकर्षित किए जाते हैं। स्पष्ट कीजिए, ये सभी वृक्ष से सेब की भाँति पृथ्वी पर क्यों नहीं गिरते?

जैसे पेड़ से गिरता हुआ सेब ऊर्ध्वाधर दिशा में नीचे की ओर गुरुत्व बल का अनुभव करता है वैसे ही अणु भी ऊर्ध्वधरतः नीचे की ओर गुरुत्व बल का अनुभव करते हैं। तापीय गति के कारण, जो कि यादृच्छिक होती है, इनके वेग ऊर्ध्वधर दिशा में नहीं होते। गुरुत्व के नीचे की ओर लगने वाले बल के कारण वायु का घनत्व भूतल के निकट अधिक होता है और जैसे-जैसे हम पृथ्वी की सतह से ऊपर जाते हैं इसका मान कम होता जाता है।

क्या यह संभव है कि किसी पिड में जड़त्व हो परंतु भार हो?

जी हाँ, पिंड में द्रव्यमान तो हमेशा बना रहता है, परंतु इस पर लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल शून्य हो सकता है जैसा कि तब होता है जब इस पिंड को पृथ्वी के केंद्र पर रखा जाता है।

अपसौर और उपसौर स्थितियों में से किस पर पृथ्वी का वेग अधिक होगा? क्यों?

उपसौर स्थिति में, क्योंकि तब पृथ्वी के क्षेत्रीय वेग अचर बनाए रखने के लिए अधिक रेखीय दूरी तय करनी होती है।

केप्लर के तीन नियमों का वर्णन

केप्लर के तीन नियमों का उल्लेख इस प्रकार किया जा सकता हैः
1. कक्षाओं का नियम: सभी ग्रह दीर्घवृत्तीय कक्षाओं में गति करते हैं तथा सूर्य, इसकी एक नाभि पर स्थित होता है।
2. क्षेत्रफलों का नियम: सूर्य से किसी ग्रह को मिलाने वाली रेखा समान समय अंतरालों में समान क्षेत्रफल प्रसर्प करती है। यह नियम इस प्रेक्षण से प्रकट होता है कि ग्रह उस समय धीमी गति प्रतीत होते हैं जब वे सूर्य से अधिक दूरी पर होते हैं। सूर्य के निकट होने पर ग्रहों की गति अपेक्षाकृत तीव्र होती है।
3. आवर्त कालों का नियम: किसी ग्रह के परिक्रमण काल का वर्ग उस ग्रह द्वारा अनुरेखित दीर्घवृत्त के अर्ध-दीर्घ अक्ष के घन के अनुक्रमानुपाती होता है।

कक्षा 11 भौतिक विज्ञान पाठ 7 एमसीक्यू के उत्तर

Q5

पृथ्वी तथा चंद्रमा दोनों पर सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल कार्य करता है, सूर्य से प्रेक्षण करने पर चंद्रमा की कक्षा

[A]. दीर्घवृत्तीय होगी।
[B]. पूर्णरूप से दीर्घवृत्तीय नहीं होगी क्योंकि उस पर लगा कुल गुरुत्वाकर्षण बल केंद्रीय नहीं है।
[C]. दीर्घवृत्तीय नहीं होगी, परंतु आवश्यक रूप से एक बंद वक्र होगी।
[D]. पृथ्वी के अतिरिक्त अन्य ग्रहों के प्रभाव के कारण दीर्घवृत्तीय से काफी भिन्न होगी।
Q6

हमारे सौर परिवार के अंतराग्राहिक क्षेत्र में द्रव्य के टुकड़े (ग्रहों की तुलना में, आमाप में बहुत छोटे) विद्यमान हैं जिन्हें क्षुद्रग्रह कहते हैं।

[A]. सूर्य की तुलना में बहुत कम द्रव्यमान के होने के कारण सूर्य के चारों ओर गति नहीं करेंगे।
[B]. अपने लघु द्रव्यमानों के कारण अनियमित ढंग से गति करेंगे तथा बाह्य अंतरिक्ष में चले जाएँगे।
[C]. बंद कक्षाओं में सूर्य के चारों ओर गति करेंगे, परंतु केप्लर के नियमों का पालन नहीं करेंगे।
[D]. ग्रहों की भाँति कक्षाओं में गति करेंगे तथा केप्लर के नियमों का पालन करेंगे।
Q7

असत्य (गलत) विकल्प का चयन कीजिए

[A]. जड़त्वीय द्रव्यमान किसी बाह्य बल द्वारा किसी पिड को त्वरित करने में कठिनाई की माप है जबकि गुरुत्वीय द्रव्यमान उस पर किसी बाह्य द्रव्यमान द्वारा गुरुत्वाकर्षण बल के निर्धारण में प्रासंगिक होता है।
[B]. गुरुत्वीय द्रव्यमान तथा जड़त्वीय द्रव्यमान समान होते हैं यह एक प्रयौगिक परिणाम है।
[C]. गुरुत्वीय द्रव्यमान तथा जड़त्वीय द्रव्यमान समान होने के कारण पृथ्वी पर सभी वस्तुओं के लिए गुरुत्वीय त्वरण समान होता है।
[D]. प्रोटॉन जैसे कणों का गुरुत्वीय द्रव्यमान आस-पास के भारी पिडों की उपस्थिति पर निर्भर कर सकता है जबकि जड़त्वीय द्रव्यमान ऐसा नहीं कर सकता।
Q8

यदि गुरुत्वाकर्षण नियम व्युत्क्रम वर्ग नियम से व्युत्क्रम घन नियम हो जाए, तो

[A]. ग्रहों की कक्षा दीर्घवृत्तीय होंगी।
[B]. ग्रहों की वृत्ताकार कक्षाएँ संभव नहीं होंगी।
[C]. हाथ से पृथ्वी के पृष्ठ पर फेंके गए पत्थर की प्रक्षेप गति लगभग परवलीय होगी।
[D]. एक समान घनत्व के गोलीय खोल के भीतर कोई गुरुत्वाकर्षण बल नहीं होगा।
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम और उसके मान की विवरण

न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम में G अनुपातिक स्थिरांक है।
F ∝ m₁m₂/d²
या F = Gm₁m₂/d²
उपरोक्त सूत्र में, यदि m₁ = m₂ तथा इनका मान इकाई हो तथा उनके बीच की दूरी भी एकांक हो तो F = G हो जाएगा। अर्थात F = G
अतः एकांक दूरी पर रखे दो एकांक द्रव्यमान के कणों के बीच लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल उसके सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक के बराबर होता है। इसका मान G = 6.67×10⁻¹¹ N m²/kg² है।
यदि दूरी मीटर में, द्रव्यमान kg में तथा बल न्यूटन में हो तो सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक का SI मात्रक
न्यूटन-मीटर² /kg² होगा।

गुरुत्वीय त्वरण का संबंधितता एवं मात्रक

मुक्त रूप से पृथ्वी की ओर गिरती किसी वस्तु के वेग में 1 सेकण्ड में होने वाली वृद्धि को गुरुत्वीय त्वरण कहते है। इसका S.I. मात्रक मीटर/सेकण्ड² होता है। किसी बिन्दु पर किसी कण की स्थितिज ऊर्जा उस कण को अनन्त से उस बिन्दु तक लाने में किए जाने वाले कार्य के ठीक बराबर होती है।

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