एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 हिंदी वसंत अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 हिंदी वसंत अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते के प्रश्नों के उत्तर पीडीएफ तथा विडियो के रूप में सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से डाउनलोड किए जा सकते हैं। कक्षा 6 हिंदी के पाठ 9 के अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर विस्तार से समझाकर सरल भाषा में दिए गए हैं। इससे छात्र परीक्षा की तैयारी आसानी से कर सकते हैं।
कक्षा 6 हिंदी वसंत अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते के प्रश्न उत्तर
‘जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं’ हेलेन केलर को ऐसा क्यों लगता था?
हेलेन केलेर को ऐसा इसलिए लगता था क्योंकि आँखों वाले लोग प्रकृति की सुंदरता को नजर-अंदाज कर देते हैं। वे ऑंखे होते हुए भी कम देखते हैं। इस दुनिया के अलग-अलग सुंदर रंग उनकी संवेदना को नहीं छूते। मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी आदर नहीं करता। वह हमेशा उस चीज की आस लगाए रहता है जो उसके पास नहीं है।
हेलेन केलर ने ऐसा क्यों कहा ‘जिन लोगों के पास आँखे है, वे सचमुच कम देखते है’?
हेलेन केलर किसी भी चीज़ को देखने के लिए अपने हाथों से छुकर महसूस कर लेती थी। वह भोज-पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड़ की खुरदरी छाल को छूकर पहचान लेती थी। वह प्रकति की उन चीज़ों को छूकर प्रकति के जादू तक को पहचानने का अहसास करती थी जो आँखों से देखने वाले कभी महसूस नहीं करते। हेलेन केलर देख व सुन नहीं सकती थी फिर भी हर चीज़ को महसूस कर, छूकर देखना चाहती थी।
‘प्रकृति का जादू’ किसे कहा गया है?
वसंत के दौरान मैं टहनियों में नयी कलियों का खिलना, फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह होना, उनकी घुमावदार बनावट टहनी पर हाथ रखते ही किसी चिड़िया के मधुर स्वर कानों में गूँजने लगना। अपनी अँगुलियों के बीच झरने के पानी को बहते हुए महसूस करना, चीड़ की फैली पत्तियाँ या घास का मैदान किसी भी महँगे कालीन सा लगना, यह सब प्रकृति का जादू ही तो है।
हेलेन केलर अपने मित्रों की परीक्षा कैसे लेती थी?
हेलेन केलर अपने मित्रों की परीक्षा लेने के लिए उनसे पूछती है, कि वह क्या देखते हैं। यदि उनका कोई मित्र जंगल की सैर करने गया तो उसे पूछेगी कि उसने वहाँ क्या-क्या देखा। उन चीज़ों की बनावट कैसे थी, कैसी दिखती थी आदि प्रश्न पूंछती थी।
‘कुछ खास तो नहीं’ हेलेन की मित्र ने यह जवाब किस मौके पर दिया और यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य क्यों नहीं हुआ?
जब हेलेन ने जंगल की सैर करके लौटी अपनी मित्र से पूछा कि जंगल में क्या देखा और वहाँ कैसा लग रहा था? उसका जवाब था कुछ खास तो नहीं। मुझे बहुत अचरज नहीं हुआ क्योंकि मैं अब इस तरह के उत्तरों की आदी हो चुकी थी। मेरा विश्वास है कि जिन लोगों की आँखें होती हैं, वे बहुत कम देखते हैं।
हेलेन केलर के अनुसार आँखों से देखने वाले मनुष्य दृष्टि के आशीर्वाद को साधारण सी चीज़ क्यों समझते हैं?
हेलेन केलर के अनुसार जिन लोगों की आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं। इस दुनिया के अलग-अलग सुंदर रंग उनकी संवेदना को नहीं छूते। मनुष्य हमेशा उस चीज़ की आस लगाए रहता है जो उनके पास नहीं है। जबकि इस नियामत से जिंदगी को खुशियों के इंद्रधनुषी रंगों से हरा-भरा किया जा सकता है।
हेलेन केलर प्रकृति की किन चीजों को छूकर और सुनकर पहचान लेती थीं? पाठ के आधार पर इसका उत्तर लिखो।
हेलेन केलर भोज-पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती थी। वसंत के दौरान टहनियों में नयी कलियाँ खोजती थीं। फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह छूने और उनकी घुमावदार बनावट महसूस करने में जो आनंद मिलता था उसे देखकर भी नहीं महसूस किया जा सकता।
हेलेन केलर ने अपनी आत्म कथा में किस बात पर दुख व्यक्त किया है?
हेलेन केलर ने अपनी आत्म कथा ‘स्टोरी ऑफ़ लाइफ’ में देख न पाने के दुःख को व्यक्त किया है। उन्होंने लिखा है, “मुझे ये तो याद नहीं कि ऐसा कैसे हुआ, लेकिन ऐसा लगता था कि ये रात कभी ख़त्म क्यों नहीं होती और सुबह क्यों नहीं आती”।
जबकि इस नियामत से जिंदगी को खुशियों के इन्द्रधनुषी रंगों से हरा-भरा किया जा सकता है। तुम्हारी नजर में इसका क्या अर्थ हो सकता है?
इसका यही अर्थ है कि हमें पकृति में ही अपने जीवन की खुशियों को ढूंढ़ना चाहिए न कि उससे मुंह मोड़ना चाहिए। इस दुनिया के अलग-अलग सुंदर रंग उनकी संवेदना को नहीं छूते। मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी कदर नहीं करता। वह हमेशा उस चीज की आस लगाए रहता है जो उसके पास नहीं है। यह कितने दुख की बात है कि दृष्टि के आशीर्वाद को लोग एक साधारण-सी चीज समझते हैं, जबकि इस नियामत से जिदगी को खुशियों के इंद्रधनुषी रंगों से हरा-भरा किया जा सकता है।
हेलेन अपने मित्र के जवाब “कुछ ख़ास तो नहीं “ सुनकर हैरान क्यों नहीं हुई?
हेलेन जानती थी कि मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी कदर नहीं करता। वह हमेशा उस चीज़ की आस लगाए रहता है जो उनके पास नहीं है। उनका मित्र जब जंगल घूमकर आया और पूछने पर की उसने वहाँ क्या देखा। तो उस का जवाब था ‘कुछ ख़ास नहीं’। तभी हेलेन समझ गई थी लोगों को देखने की नियामत की कीमत को कम समझते हैं।