एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 ईवीएस अध्याय 23
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 ईवीएस अध्याय 23 कपड़ा सजा कैसे (कक्षा 3 पर्यावरण पाठ 23) के प्रश्नों के उत्तर सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से निशुल्क डाउनलोड किए जा सकते हैं। विद्यार्थी कक्षा 3 के लिए पर्यावरण अध्ययन के पाठ 23 के सभी प्रश्नों को यहाँ दी गई पीडीएफ तथा विडियो के माध्यम से समझ सकते हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 ईवीएस अध्याय 23
कक्षा 3 ईवीएस अध्याय 23 के लिए एनसीईआरटी समाधान
कपड़े की सजावट
प्रस्तुत पाठ में कपड़े को कैसे सजाया और दुपट्टे के ऊपर सुंदर कढ़ाई कैसे की जाती हैं, के बारे में बताया गया है। साजीदा की आपा ने उसे एक सुंदर दुपट्टा दिया। दुपट्टे के ऊपर सुंदर कढ़ाई हुई थी, और शीशे भी लगे हुए थे। रात को खाना खाने के बाद साजिदा ने दुपट्टा अलग-अलग तरह से ओढ़ कर खेलने लगी। खेलते खेलते वह थक गई और वह दुपट्टा ओढ़े ही सो गई।
कपड़े के उपयोग
उसके दुपट्टे पर लगे शीशे पर छोटे-छोटे प्रिंट के गोले बने हुए थे, जो फूल की तरह दिखाई दे रहे थे। कपड़े को सुंदर बनाने के लिए हम कपड़े को रंगकर उस पर अलग-अलग तरह के प्रिंट करके सजा सकते हैं। कुछ कपड़ो को हम अलग-अलग तरह से पहन सकते है। जैसे- लुंगी, साफा, धोती, और दुपट्टे आदि के रूप में।
कपड़े पर डिजाईन
मोटे कपड़े, कम्बल और बोरी को ध्यान से देखने पर हमें कपड़े में खड़े और लेटे धागे दिखाई देते हैं। जिसके कारण कपड़े के अंदर हमें रेसों की झलक दिखाई देती है। अलग-अलग रंग के दो काग़ज की पट्टियों को बुन कर हमें एक सुंदर मैट का डिज़ाइन प्राप्त होता है। इस तरह ही कपड़ों की बुनाई में उपयोग होने वाले अलग-अलग तरह के धागों से कपड़े के अंदर के धागों का रंग साफ़ दिखाई देने लगता है।
बुनाई और कढ़ाई की कला
कपड़ों पर फूल-पतियों के डिज़ाइन और हाथ से की गई कढ़ाई और बुनाई हमारी पारंपरिक कला रही है। यह कला कपड़े को सुंदर बनाने के साथ उसमे चार चाँद लगा देती है। आधुनिक युग में मशीनों द्वारा कपड़े को अच्छे-अच्छे डिज़ाइन दिए जाते हैं। घर पर हम भिंडी को बीच से काटने पर उस पर गीले रंग की मदद से कुछ डिज़ाइन बना सकते है।
कक्षा 3 ईवीएस अध्याय 23 के मुख्य प्रश्न उत्तर
पुराने समय में कपड़े कैसे बनाए जाते थे?
पुराने समय में कपड़े सूत से करघे पर बुनकर बनाया जाता था जो कि एक मेहनत और समय खपाने वाला कार्य था।
क्या आज भी करघों का उपयोग्किया जाता है?
आजकल हस्तचालित करघों का उपयोग नहीं के बराबर रह गया है। सारा काम कताई से लेकर कपड़ा बनने तक मशीनों के द्वारा होता है।