एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 13 पेड़ों की अम्मा थिमक्का
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 13 पेड़ों की अम्मा थिमक्का और रिमझिम अध्याय 13 मिर्च का मजा के प्रश्न उत्तर शब्दार्थ सहित सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए पीडीएफ मुफ़्त डाउनलोड यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 13 पेड़ों की अम्मा थिमक्का के बारे में जानकारी और रिमझिम के पाठ 13 में दी गई कविता बच्चों को बहुत मनोरंजक लगती है क्योंकि इस कविता में बताया गया है कि किस तरह एक काबुलीवाला मिर्च को मीठे फल समझकर खा लेता है और उसके तीखेपन से परेशान हो जाता है। अभ्यास के लिए अतिरिक्त प्रश्न उत्तर भी दिए गए हैं।
कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 13 पेड़ों की अम्मा थिमक्का
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 3 हिंदी वीणा अध्याय 13 पेड़ों की अम्मा थिमक्का
कक्षा ३ हिंदी अध्याय 13 पेड़ों की अम्मा – थिमक्का
ये श्रीमती थिमक्का हैं। थिमक्का को ‘अम्मा’ और ‘वृक्षमाता’ के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म कर्नाटक में ही रहती हैं। पिछले 80 वर्षो से थिमक्का सड़कों के किनारे पौधे लगा रही हैं। पैसे की कमी के कारण अम्मा ने आरंभ में एक खान में श्रमिक के रूप में काम किया था। थिमक्का ‘सालूमरदा’ थिमक्का’ के नाम से भी जानी जाती हैं। ‘सालूमरदा’ कन्नड़ भाषा में पेड़ों की पंक्ति को कहते हैं। अतः उन्हें इस नाम से भी जाना जाता है
थिम्मका ने हुलिकल और कुदुर के बीच स्थित 84 किलोमीटर लंबे राजमार्ग पर लगभग 385 बरगद के पेड़ लगाने के लिए विख्यात हैं। इन पेड़ों के कारण राजमार्ग अत्यंत रमणीय और सुसज्जित लगने लगा। इसके अतिरिक्त उन्होंने अनेक स्थानों पर पेड़ लगाए जिनकी संख्या ८००० से अधिक है। इनसे पर्यावरण को बहुत लाभ हुआ। इस कार्य में उन्हें उनके पति ने भी पूरा सहयोग दिया।
उनके इस महतवपूर्ण काम के लिए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2019 में पद्मश्री से सम्मानित किया। उनकी उम्र 107 वर्ष है। आज भी ये अपने अच्छे कार्यों में सक्रिय हैं। थिमक्का को भारत के कई वनीकरण कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाता है। अपने जीवन में अनेक कष्ट उठाने के उपरांत भी समाज के लिए उपयोगी कार्य करने वाली थिमक्का का व्यक्तित्व सभी के लिए आदर्श हैं। आभाव में भी केवल अपनी निष्ठा और श्रद्धा के बल पर किस प्रकार सामाजिक कार्य के लिए स्वयं को समर्पित किया जा सकता है, इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं थिमक्का।
कक्षा 3 हिंदी रिमझिम अध्याय 13: कविता का भावार्थ
इस कविता में कवि ने एक काबुलीवाले जो भाषा की विविधता के कारण मुसीबत में फंस जाता है के बारे में वर्णन किया है। एक काबुलीवाले ने जब लाल मिर्च देखी तो उसके मुहँ में पानी भर आता है। उसने सोचा यह कोई मौसमी फल है और जरुर मीठा होगा।
उसने टूटी-फूटी भाषा में पूछा क्या इसे खाते हैं, बेचने वाली बुढ़िया ने कहा हाँ इसे तो सब खाते हैं। उस बेचारे काबुलीवाले ने चवन्नी देकर एक सेर लाल मिर्च को छीमी समझकर खरीद लिया। वह खुश था कि चवन्नी में इतनी सारी छीमी आ गयी और सोचता है कि नदी किनारे बैठकर आराम से खाऊंगा। नदी किनारे बैठकर वह मिर्च चबाने लगता है।
मिर्च खाने से उसकी जीभ जलने लगी और आँखों से पानी बहने लगा। काबुलीवाले ने सोचा कि इस पर पैसे खर्च कर रखे हैं इसलिए अब तो खाना ही पड़ेगा और रोते, रिसियाते, आँखों से आंसू पोछते हुए वह लगातार लाल मिर्चों को खाए जा रहा था। तभी उधर एक सिपाही आता है, सिपाही उससे कहता है अरे! बेवकूफ क्यों जान देने पर तुला है ये क्या खा रहा है। काबुलीवाला बोला मैनें इन पर पैसे खर्च किये हैं इसलिए अब खाने से पीछे नहीं हट सकता।
काबुलीवाले ने मिर्च को स्वादिष्ट फल क्यों समझ लिया?
उत्तर:
काबुलीवाला मिर्च के बारे में नहीं जनता था उसने मिर्च को कोई मौसमी फल समझ लिया था।
सब्ज़ी बेचने वाली ने क्या सोचकर उसे झोली भर मिर्च दी होगी?
उत्तर:
सब्ज़ी बेचने वाली ने सोचा होगा कि जैसे सब लोग मिर्च का इस्तेमाल करते हैं वैसे ही यह भी करेगा इसलिए चवन्नी में उसने झोली भर मिर्च दी होगी।
सारी मिर्चें खाने के बाद काबुलीवाले की क्या हालत हुई होगी?
उत्तर:
सारी मिर्चें खाने के बाद काबुलीवाले की हालत बहुत खराब हुई होगी।
अगले दिन सब्ज़ी वाली टमाटर बेच रही थी। क्या काबुलीवाले ने टमाटर खाया होगा?
उत्तर:
एक बार वह गलती कर चुका था और उसका दंड भी उसे मिल चुका था इसलिए वह बिना जानकारी के कुछ भी नहीं खरीदेगा।
कक्षा 3 हिन्दी अध्याय 13 में मुख्य किरदार किसका है और उसका चरित्र कैसा है?
कविता का मुख्य पात्र एक काबुलीवाला है जो बेचारा भाषा की समस्या के कारण फंस जाता है और ढेर सारी लाल मिर्च खाने पर मजबूर हो जाता है।
हिन्दी कक्षा 3 के अध्याय 13 छात्रों के लिए कितना रुचिकर है?
कविता में हास्य का समावेश है लाल रंग के लालच में काबुलीवाला आंसू बहाने पर मजबूर हुआ।
कक्षा 3 हिन्दी का अध्याय 13 का आशय क्या है?
इस पाठ से शिक्षा मिलती है कि जब तक किसी वस्तु के बारे में स्पष्ट जानकारी न हो तब तक खाने के रूप में उसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।