एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 संस्कृत अध्याय 13 क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमि:

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 संस्कृत अध्याय 13 त्रयोदश: पाठ: क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमि: अभ्यास के प्रश्न उत्तर, और पाठ का संस्कृत से हिंदी अनुवाद सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से मुफ़्त डाउनलोड करें। कक्षा 8 संस्कृत पाठ 13 में भारत देश के गौरव के बारे में बताया गया है। इसमें भारत की संपन्नता और सामरिक शक्ति का उल्लेख भी किया गया है। पूरे पाठ का हिंदी रूपांतरण पंक्ति दर पंक्ति दिया गया है ताकि प्रत्येक विद्यार्थी इसे अच्छी तरह से समझ कर अपने प्रश्न उत्तर कर सके।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 संस्कृत त्रयोदश: पाठ: क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमि:

कक्षा 8 के लिए समाधान

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कक्षा 8 संस्कृत अध्याय 13 क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमि: का हिंदी अनुवाद

संस्कृत वाक्यहिंदी अनुवाद
सुपूर्णं सदैवास्ति खाद्यान्नभाण्डं नदीनां जलं यत्र पीयूषतुल्यम्‌। इयं स्वर्णवद्‌ भाति शस्यैर्धरेयं क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमि: ॥1॥खाद्यान्न के पात्र सदा परिपूर्ण रहते हैं। जहाँ नदियों का जल अमृत के समान है। यह भारत भूमि फसलों के द्वारा सुशोभित है। पृथ्वी पर भारत स्वर्णभूमि के रूप में शोभायमान है।
त्रिशूलाग्निनागै: पृथिव्यस्त्रघोरै: अणूनां महाशक्तिभि: पूरितेयम्‌। सदा राष्ट्ररक्षारतानां धरेयम्‌ क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमि: ॥2॥त्रिशूल, अग्नि, नाग तथा पृथ्वी आदि भयंकर अस्त्रों के द्वारा तथा परमाणु महाशक्ति के द्वारा यह पूर्ण है। यह राष्ट्ररक्षा में लीन (वीरों) की पृथ्वी है। पृथ्वी पर भारतरूप स्वर्णभूमि शोभायमान है।
संस्कृत वाक्यहिंदी अनुवाद
इयं वीरभोग्या तथा कर्मसेव्या जगद्‌वन्दनीया च भू: देवगेया। सदा पर्वणामुत्सवानां धरेयं क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमि: ॥3॥यह वीरों के द्वारा भोग्य, कर्म के द्वारा सेवनीय, विश्व के द्वारा स्तुति करने योग्य तथा देवताओं के द्वारा आने योग्य भूमि है। यह सदा पर्वो की तथा उत्सवों की पृथ्वी है। पृथ्वी पर भारतरूप स्वर्णभूमि शोभायमानहै।
इयं ज्ञानिनां चैव वैज्ञानिकानां विपश्चिज्जनानामियं संस्कृतानाम्‌। बहूनां मतानां जनानां धरेयं क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमि:॥4॥यह ज्ञानियों, वैज्ञानिकों, विद्वान् लोगों की तथा संस्कृत लोगों की यह (पृथ्वी) है। यह भूमि अनेक मतों वाले लोगों की है। पृथ्वी पर भारतरूप स्वर्णभूमि शोभायमान है।
संस्कृत वाक्यहिंदी अनुवाद
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः इयं शिल्पिनां यन्त्रविद्याधराणां भिषक्शास्त्रिणां भू: प्रबन्धे युतानाम्‌। नटानां नटीनां कवीनां धरेयं क्षितौ राजतै भारतस्वर्णभूमि:॥5॥यह शिल्पी लोगों की, यन्त्र विद्याधरों की, वैद्यक शास्त्रों के जानने वालों की, प्रबन्ध में लगे हुए लोगों की पृथ्वी है। यह नटों की, नटियों की तथा कवियों की पृथ्वी है। पृथ्वी पर भारतरूप स्वर्णभूमि शोभायमान है।
वने दिग्गजानां तथा केसरीणां तटीनामियं वर्तते भूधराणाम्‌। शिखीनां शुकानां पिकानां धरेयं क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमि:॥6॥यह वन में हाथियों की, सिंहों की, नदियों की, पर्वतों की, मोरों की, तोतों की, कोयलों की धरा है। पृथ्वी पर भारतरूप स्वर्णभूमि शोभायमान है।
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