कक्षा 7 हिंदी वसंत अध्याय 3 कठपुतली के प्रश्न उत्तर

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी वसंत अध्याय 3 कठपुतली के प्रश्न उत्तर तथा अभ्यास में दिए गए सभी सवाल जवाब शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए विद्यार्थी यहाँ से निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। सातवीं कक्षा में हिंदी वसंत के पाठ 3 के सभी प्रश्नों की सरल व्याख्या यहाँ दी गई है जो विद्यार्थियों के लिए लाभकारी है।

कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?

कठपुतली को अपने बंधनों को देखकर गुस्सा आया।

नीचे दो स्वतंत्रता आंदोलनों के वर्ष दिए गए हैं। इन दोनों आंदोलनों के दो-दो स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखिए –
सन् 1857 …………. ………….
रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे

सन् 1942 ……….. …………….
सुभाष चंद्र बोस, अच्युत पटवर्धन

कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती?

कठपुतली को अपने पावों पर खड़ी होने की इच्छा है लेकिन वह धागों के सहारे से खड़ी है। वह हमेशा से ही सहारा लेकर खड़ी होती आई है इसलिए वह खड़ी नहीं होती।

पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों अच्छी लगी?

पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को इसलिए अच्छी लगी क्योंकि उसने अपने भाग्य से हटकर अपने पैरों पर खड़ी होने की इच्छा व्यक्त की।

पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि ‘ये धागे / क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?/ इन्हें तोड़ दो / मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।’ तो फिर वह चिंतित क्यों हुई?

पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि ‘ये धागे / क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?/ इन्हें तोड़ दो / मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।’ तो फिर वह चिंतित क्यों हुई- ‘ये कैसी इच्छा / मेरे मन में जगी?’ नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए:
उसे दूसरी कठपुतलियों की जिम्मेदारी महसूस होने लगी।
उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।
वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी।
वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।

उत्तर:
उसे लगने लगा कि यदि में ऐसा करूंगी तो दूसर कठपुतलियों का क्या होगा वे भी मेरी तरह विद्रोही बन जाएंगी।
वह जल्दी से जल्दी स्वतंत्र होना चाहती थी जिससे वह दुसरों को प्रेरणा दे सके।
वह मन में विचार करने लगी कि किस प्रकार इन धागों के बंधनों से मुक्ति पाई जाए स्वतंत्र हुआ जाए और इस रवतंत्रता को किस प्रकार बनाए रखा जाए ।
वह इतनी छोटी उम्र में इतना बड़ा कदम नहीं उठाना चाहती थी।

कविता से आगे

बहुत दिन हुए / हमें अपने मन के छंद छुए। इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है? अगले पृष्ठ पर दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए:

बहुत दिन हो गए, मन में कोई उमंग नहीं आई।
बहुत दिनों से कोई मन में उमंग उठाने वाला और मन को हिला देने कार्य नहीं किया।

बहुत दिन हो गए, मन के भीतर कविता-सी कोई बात नहीं उठी, जिसमें छंद हो, लय हो।
कठपुतली की तरह नाचते-नाचते मन में नए भाव आने ही बंद हो गए हैं।

बहुत दिन हो गए, गाने-गुनगुनाने का मन नहीं हुआ।
बहुत दिनों से मन उदास है वह आजादी चाहता है और न मिलने के कारण खुशी को भी नहीं महसूस कर पाता है।

बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।
मन में एक अलग तरह की बेचैनी है वह स्वतंत्र होकर खुले आसमान में उड़ना चाहता है। मगर इच्छा पूरी न हो पाने के कारण दुखी है।

कक्षा 7 हिंदी वसंत अध्याय 3 कठपुतली के प्रश्न उत्तर
कक्षा 7 हिंदी वसंत अध्याय 3 कठपुतली