कक्षा 7 हिंदी वसंत अध्याय 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के प्रश्न उत्तर

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी वसंत अध्याय 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के अभ्यास प्रश्न उत्तर शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए छात्र-छात्राएँ यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। सातवीं कक्षा में हिंदी के पाठ 1 के सभी प्रश्नों को विस्तार से समझकर लिखा गया है।

हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नहीं रहना चाहते?

हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में इसलिए बंद नहीं रहना चाहते क्योंकि उन्हें अपनी आजादी इस सुख-सुविधा से ज्यादा प्यारी लगती है। पिंजड़े में रहकर वे अपने अनुसार उड़ नहीं सकते और अपने सपनों की उड़ान को साकार रूप नहीं दे सकते।

भाव स्पष्ट कीजिए: या तो क्षितिज मिलन बन जाता / या तनती साँसों की डोरी।
उक्त पंक्तियों का यह भाव है कि पक्षी आपस में एक दूसरे से बाजी लगाकर दूर आसमान की उॅचाइयों को को छूना चाहते हैं। उसमें चाहे वे एक – दूसरे को हरा दें या उनकी सांसें फूल जाएं।

पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन-कौन सी इच्छाएँ पूरी करना चाहते हैं?

पक्षी उन्मुक्त रहकर दूर गगन की उॅंचाइयों को छूना चाहते हैं। एक पेड़ से दूसरे पेड़ की फुनगी पर बैठना चाहते हैं। आपस में दूर गगन की उॅुचाई को छूने की होड़ लगाकर एक दूसरे से आगे निकलना चाहते हैं।

पक्षियों को पालना उचित है अथवा नहीं? अपने विचार लिखिए।

पक्षियों को पालना किसी भी तरह से उचित नहीं है। यदि हमें भी सारी सुख सुविधाएं देकर केवल एक कमरे के अन्दर बंद कर दिया जाए तो हमें भी वह एक बंधन लगेगा और हम किसी भी तरह उससे छुटकारा पाना चाहेंगे। यदि हमें ऐसा लगता है तो उन पक्षियों को कैसा लगेगा जिन्हें हम अपने शौक के लिए पालते हैं। उनको भी आजाद रहने का पूरा अधिकार है।

क्या आपने या आपकी जानकारी में किसी ने कभी कोई पक्षी पाला है? उसकी देखरेख किस प्रकार की जाती होगी, लिखिए।

मेरे एक मित्र ने एक तोता पाला है वह उसे हर प्रकार के पकवान खाने को देता है । उससे बातें भी करता है । तोता भी उससे बातें करके काफी खुश होता है । मगर जब वह आसमान की तरफ मुँह करके देखता है तो उसकी आँखों में एक अजीब सी बैचैनी देख कर मन भर आता है और जी चाहता है कि उसे पिंजड़ा खोलकर मुक्त कर दूँ।

पक्षियों को पिंजरे में बंद करने से केवल उनकी आजादी का हनन ही नहीं होता, अपितु पर्यावरण भी प्रभावित होता है। इस विषय पर दस पंक्तियों में अपने विचार लिखिए।

मैं जब खुद बंधन में रहना पसंद नहीं करता तो दूसरें को कैसे बांधकर रख सकता हूँ। इसीलिए मैंने कोई भी पक्षी नहीं पाला उनको खुले आसमान में उड़ता देखकर जिस खुशी का अनुभव होता है उसका वर्णन संभव नहीं है, इसी खुशी में जब कोई बाधा डालता है तो ऐसा लगता है कि उसने मानो प्रकृति की सुंदरता में बाधा डाल दी है।

पक्षियों का चहचहाना, उनका चोंच लड़ाकर खेलना, एक-दूसरे से अपनी सुरीली आवाज में बातें करना ऐसा लगता है मानों स्वयं प्रकृति ही बोल रही हो। उनको बांधना ऐसा लगता है मानों हमने प्रकृति को ही बांध लिया हो।

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