कक्षा 7 हिंदी दूर्वा अध्याय 8 काबुलीवाला के प्रश्न उत्तर
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी दूर्वा अध्याय 8 काबुलीवाला के प्रश्न उत्तर और पूरे पाठ पर आधारित अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर शैक्षणिक सत्र 2024-25 के अनुसार यहाँ दिए गए हैं। सातवीं कक्षा के छात्र हिंदी में पाठ 8 को सीखने के लिए यहाँ दी गई अध्ययन सामग्री को प्रयोग करके इसे सरल बना सकते हैं।
कक्षा 7 हिंदी दूर्वा अध्याय 8 काबुलीवाला के प्रश्न उत्तर
मिनी को ऐसा क्यों लगता था कि काबुलीवाला अपनी झोली में चुराए हुए बच्चों को छिपाए हुए है?
बचपन में बच्चों को डराकर रखा जाता था कि शैतानी मत करो झोली वाला बाबाजी पकड़ कर ले जाएगा। इसीलिए काबुलिवाले की झोली देखकर मिनी डर जाया करती थी कि उसकी झोली में भी उसकी तरह के दो-तीन बच्चें हैं जिन्हें वह पकड़ कर लाया है।
मिनी की माँ रहमत पर नजर रखना चाहती थी परंतु पिता रहमत को मना नहीं कर पाते थे। तुम्हारे विचार में कौन सही था? क्यों?
मिनी की माँ रहमत पर इसलिए नजर रखती थीं क्योंकि आज के समय में किसी अनजान पर एकदम भरोसा नहीं किया जा सकता यदि वह उस छोटी सी बच्ची को उठा कर ले जाए तो क्या होगा। इसके विपरीत मिनी के पिता रहमत को एक पिता के रूप में देखते थे जिसकी बच्ची उनकी बच्ची के बराबर है और उनका मानना था कि वह मिनी में अपनी बच्ची को देखता है। मेरे विचार में दोनों अपनी जगह सही थे। मगर मिनी की माँ आज के समय के अनुसार अपने स्थान पर ज्यादा सही थीं।
मिनी की काबुलीवाले से मित्रता क्यों हो गई?
मिनी की काबुलीबाले से इसलिए मित्रता हो गई क्योंकि उसकी भी एक छोटी बेटी थी जो दूसरे मुल्क में रहती जहां से काबुलीवाला यहां मेवा बेचने आया था। वह मिनी को अपनी बेटी की तरह मानता था और प्यार करता था इसलिए दोनों में मित्रता हो गई।
काबुलीवाला हमेशा पैसे क्यों लौटा देता था?
काबुलिवाला हमेशा पैसे इसलिए लौटा देता था क्योंकि उसे लगता था कि वह अपनी बेटी को सामान दे रहा है और बेटी से पैसे नहीं लिए जाते।
वर्षों बाद मिनी के पिता ने काबुलीवाले को उसकी किस बात से पहचान लिया?
वर्षों बाद जब काबुलिवाला मिनी के पिता के पास आया तो उसने अपनी जेब से एक मैला सा कागज निकालकर उनकी मेज पर रख दिया जिस पर उसकी बेटी के नन्हें हाथें के निशान छपे थे जिन्हें देखकर उन्होंने उसे पहचान लिया।
रहमत ने एक धोखेबाज आदमी को छुरा मार दिया। क्या उसने ठीक किया? आपस में चर्चा करो कि अगर तुम रहमत की जगह होते तो क्या करते?
रहमत ने एक धोखेबाज आदमी को छुरा मारकर अच्छा नहीं किया क्योंकि सजा देना कानून का काम है न कि आम आदमी का यदि रहमत की तरह हर आदमी ऐसे ही बदला लेने लगा तो समाज में अराजकता फैल जाएगी। यदि रहमत कानून का सहारा लेता तो उसे जेल न जाना पड़ता और अपनी बच्ची से भी दूर नहीं होना पड़ता । यदि मैं उसकी जगह होता तो उसको पुलिस के हवाले कर देता।