कक्षा 6 नागरिक शास्त्र अध्याय 5 एनसीईआरटी समाधान – गाँव का प्रशासन

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 नागरिक शास्त्र अध्याय 5 गाँव का प्रशासन के अभ्यास के सभी प्रश्न उत्तर सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए विद्यार्थी यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं। कक्षा 6 नागरिक जीवन पाठ 5 में आप ग्रामीण प्रबंधन में पुलिस की भूमिका के बारे में जानेंगे। आप पटवारी और ग्रामीण प्रबंधन को बनाए रखने में इसकी भूमिका के बारे में जानेंगे। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में सभी के लिए सुशासन और न्याय सुनिश्चित करने के लिए तहसीलदार के काम और वे एक साथ कैसे काम करते हैं, इसके बारे में भी पढ़ते हैं। सभी समाधान पीडीएफ तथा विडियो के रूप में उपलब्ध हैं और बिना किसी लॉग इन के डाउनलोड किए जा सकते हैं।

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गाँव का प्रशासन

भारत में छ: लाख से अधिक गाँव हैं। उनकी पानी, बिजली, सड़क आदि की ज़रूरतों की व्यवस्था करने के लिए गाँव का एक प्रशासनिक ढांचा होता है। इसके अलावा ज़मीन के दस्तावेज़ों का रखरखाव करना पड़ता है। गाँव के अन्दर अगर आपसी विवाद हो जाए तो उसको निबटाने की भी ज़रूरत पड़ती है। इन सबकी व्यवस्था के लिए गाँव का स्तर पर एक प्रशासन कार्य करता है जिसके अंतर्गत निम्नलिखित विभाग आते हैं।
1. पुलिस थाना
2. राजस्व विभाग
3. कृषी एवं बागवानी विभाग

पुलिस थाने का क्या कार्य होता है?

हर पुलिस थाने का एक कार्यक्षेत्र होता है जो उसके नियंत्रण में रहता है। लोग उस क्षेत्र में हुई चोरी, दुर्घटना, मारपीट, झगड़े आदि की रपट उसी थाने में लिखवा सकते हैं। यह वहाँ के थानेदार की ज़िम्मेदारी होती है कि वह लोगों से घटना के बारे में पूछताछ करे, जाँच-पड़ताल करे और अपने क्षेत्र के अंदर के मामलों पर कार्रवाई करे।

राजस्व विभाग का काम

ज़मीन को नापना और उसका रिकॉर्ड रखना पटवारी का मुख्य काम होता है। हो सकता है कि कुछ अन्य क्षेत्रों में पटवारी के लिए किसी अन्य शब्द का प्रयोग होता हो जैसे लेखपाल। प्रत्येक पटवारी कुछ गाँवों के लिए ज़िम्मेदार होता है। अगले पृष्ठ पर दिए गए नक्शे और उसके अनुसार बने खसरे यानी रजिस्टर के विवरण को देखिए। यह पटवारी द्वारा रखा गया गाँव के लोगों की ज़मीन के रिकॉर्ड का एक हिस्सा है। आम तौर पर पटवारियों के पास खेत नापने के अलग-अलग तरीके होते हैं। कई जगहों पर वह एक लंबी लोहे की जंजीर का इस्तेमाल करते हैं। इसे जरीब कहते हैं।

एक नया कानून (हिंदू अधिनियम धारा, 2005)

2005 से पहले कई राज्यों में हिंदू औरतों को परिवार की ज़मीन में हिस्सा नहीं मिलता था। पिता की मृत्यु के बाद ज़मीन बेटों में बाँट दी जाती थी। 2005 में इस नए क़ानून जिसे हिन्दू अधिनियम धारा 2005 कहा गया। इस कानून के मुताबिक हिन्दू परिवारों में बेटों, बेटियों और उनकी माँ को ज़मीन में बराबर हिस्सा मिलता है। यह कानून सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी लागू होगा। इस कानून से बड़ी संख्या में औरतों को फायदा होगा।

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