कक्षा 5 हिंदी व्याकरण अध्याय 4 लिंग, वचन और कारक
कक्षा 5 हिंदी व्याकरण अध्याय 4 लिंग, वचन और कारक तथा इस पर आधारित उदाहरण पर आधारित अध्ययन सामग्री विद्यार्थी सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। पाँचवीं कक्षा में हिंदी ग्रामर पाठ 4 को दोहराने के लिए विद्यार्थी अभ्यास पुस्तिका की मदद लेकर इसे आसान बना सकते हैं।
कक्षा 5 हिंदी व्याकरण अध्याय 4 लिंग, वचन और कारक के लिए पठन सामग्री
संज्ञा के विकार – लिंग, वचन और कारक
शब्द के दो भेद होते हैं।
1. अविकारी शब्द
2. विकारी शब्द
अविकारी शब्द
वे शब्द जिनका रूप सदा एक-सा रहता है, वे अविकारी शब्द होते हैं। इसका रूप किसी भी परिस्थिति में नहीं बदलता।
विकारी शब्द
वह शब्द जिसमें किन्हीं कारणों से परिवर्तन आ जाता है यानी कि उसका रूप बदल जाता है विकारी शब्द कहलाता है।
इस पाठ में हम विकारी शब्दों के विषय में पढ़ेंगे। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा क्रिया शब्द विकारी शब्द हैं। इनमें लिंग, वचन, कारक, आदि के कारण विकार अर्थात बदलाव या परिवर्तन आ जाता है।
लिंग
‘लिंग’ का शाब्दिक अर्थ है- ‘चिह्न’ अथवा लक्षण। संज्ञा शब्द के जिस रूप से उसके पुरुष अथवा स्त्री होने का बोधा हो, उसे लिंग कहते हैं।
लिंग के भेद
1. पुल्लिंग
2. स्त्रीलिंग
पुल्लिंग
संज्ञा शब्द के जिस रूप से पुरूष जाति का बोध होता है, उसे पुल्लिंग कहते हैं।
उदाहरण:
पिता, राजा, बच्चा, छात्र आदि।
स्त्रीलिंग
संज्ञा शब्द के जिस रूप से स्त्री जाति का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं।
उदाहरण:
माता, रानी, बच्ची, छात्रा आदि।
लिंग बदलने के नियम: ‘आ’ या ‘ई’ लगाकर
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
---|---|
पुत्र | पुत्री |
लड़का | लड़की |
देव | देवी |
बेटा | बेटी |
बकरा | बकरी |
नर | नारी |
कारक
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप में उसका संबंध वाक्य की क्रिया या दूसरे किसी शब्द से ज्ञात होता है, उसे कारक कहा जाता है। जो चिह्न इस संबंध को बताते हैं, उन्हें परसर्ग या विभक्ति कहा जाता है।
कारक | चिह्न |
---|---|
कर्ता | ने |
कर्म | को |
करण | से, के द्वारा |
संप्रदान | के लिए |
अपादान | से, अलग होना |
संबंध | का, की, के, ना, नी, ने, रा, री, रे |
अधिकरण | में, पर |
संबोधन | हे अरे! |
वचन
संज्ञा या सर्वनाम शब्द के जिस रूप से उसकी संख्या का पता चले, वह वचन कहलाता है।
वचन के भेद
वचन दो प्रकार वेळ होते हैं:
1. एकवचन
2. बहुवचन