एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 4 खाएँ आम बारहों महीने
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 4 खाएँ आम बारहों महीने पर्यावरण अध्ययन के प्रश्नों के उत्तर सवालों के हिंदी में जवाब सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 5 पर्यावरण पाठ 4 के प्रश्नों को समझने के लिए छात्र यहाँ दिए गए पीडीएफ तथा विडियो की मदद ले सकते हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 4
कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 4 खाएँ आम बारहों महीने के प्रश्नों के उत्तर
खराब चीजों की पहचान
अमन ने नीतू के आलू को देखकर बता दिया की उसके आलू ख़राब हो गए है, क्योंकि आलू की सब्जी में अलग तरह की गंघ आ रही थी, और फुई भी लग गई थी। यदि नीतू इन आलू को खा लेती तो वह अवश्य ही बीमार पड़ जाती और उसका पेट ख़राब हो जाता, इसलिए उसकी सहेली प्रीति ने उसे आलू खाने से मना कर दिया था। किसी भी खाने के ख़राब होने से उसकी गंघ बदल जाती है और फँफून्दी आने लगती है। खाने के ख़राब होने का पता लगाने के लिए हम ब्रेड का प्रयोग कर सकते हैं, यदि हम ब्रेड पर कुछ पानी की बूँदें लगा कर रख दें तों वह दो-तीन दिन में ही ख़राब हो जाएगी। ख़राब होने पर उसमें फफूँदी आ जाती हैं।
चिट्टी बाबू और चिन्नाबाबू
चिट्टी बाबू और चिन्नाबाबू आंध्र प्रदेश के आत्रेयपुरम गाँव में रहने वाले दो भाई थे। उन्हें आम के बाग में खेलना बहुत पसंद था। जब पेड़ आम से लदे होते थे उन्हें कच्चे आम को काटकर नमक-मिर्च लगाकर खाना भी बहुत पसंद था। उनके घर पर उनकी माँ कच्चे आम को अलग-अलग तरह से उपयोग करती थी। तीन-चार तरीकों से तो आम का अचार बनाती थी जो पूरा साल भर चलता था।
चिन्नाबाबू की ख्वाहिश और आम पापड़ बनाने की तैयारी
एक दिन चिन्नाबाबू ने कहा “अम्मा इतने सारे आम पके रखे हैं उनका आम पापड़ बना दो” फिर उनके अप्पा ने कहा, “यह तो चार हफ़्तों की मेहनत का काम है, अगर तुम दोनों भी मदद करोगे, तो ही हम सब मिलकर आम पापड़ बनाएँगे। दोनों भाइयों ने मदद के लिए हामी भर दी। अगले दिन सुबह दोनों भाई अपने अप्पा के साथ बाज़ार गए वे बाज़ार से चटाई, कैज्युरीना पेड़ के डंडे, नारियल से बनी रस्सी, गुड़ और चीनी लाए।
आम पापड़ बनाना
दोनों भाईयों ने धूप वाले स्थान पर रस्सी और डंडे की मदद से एक मचान तैयार किया। अप्पा ने सबसे ज़्यादा पके हुए आम छाँटे, सभी ने मिलकर आम का गूदा निकाला। फिर एक बड़े से बर्तन पर पतले सूती कपड़े से आम के रस को छाना ताकि गूदे में आम के रेशे न रहें। फिर आम के रस में गुड़ और चीनी को बराबर मात्रा में डाला। चिन्नाबाबू ने बड़े चम्मच से खूब अच्छी तरह मिलाया। अम्मा ने इस मीठे गूदे की एक पतली-सी परत चटाई पर फैला दी। फिर उसे धूप में सूखने के लिए छोड़ दिया था।
दिन छिपने पर उन्होंने चटाई को एक साड़ी से ढँक दिया था। अगले दिन भी पिछले दिन वाली आम की परत पर एक और परत जमा दी। दोनों भाई ने कई दिन ऐसे ही कई परते जमाई, अगले चार हफ़्ते तक उन्हें केवल बारिस से उन्हें बचाना था। चार हफ़्तों बाद उनका आम पापड़ खाने के लिए तैयार हो गया था।